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    बॉलीवुड में हीरो की मौत को स्टाइल बना गए थे ये मशहूर निर्देशक, इन फिल्मों से समझिए डायरेक्टर की फिल्मोग्राफी

    By Anu Singh Edited By: Anu Singh
    Updated: Sat, 19 Apr 2025 04:18 PM (IST)

    हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ने कई बेहतरीन कलाकारों को जन्म दिया है। कुछ ने अभिनय में नाम कमाया तो कुछ ने निर्देशन में खास पहचान बनाई। आज हम एक दिवंगत फिल्मकार की बात कर रहे हैं जिन्होंने एक्टिंग के साथ-साथ फिल्म मेकिंग में भी खूब सफलता हासिल की। खास बात यह थी कि उनकी अधिकतर फिल्मों में हीरो का अंत दुखद होता था जो उनकी फिल्मों की खास पहचान बन गया।

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    स्टाइल और क्लास के लिए मशहूर थे निर्देशक (Photo Credit- Instagram)

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। बॉलीवुड में कुछ कलाकार ऐसे होते हैं जो सिर्फ अभिनय नहीं, बल्कि अपनी स्टाइल और सोच से भी इंडस्ट्री को एक नया नजरिया देते हैं। फिरोज खान ऐसे ही एक सितारे थे। एक्टिंग के साथ-साथ उन्होंने बतौर डायरेक्टर भी अपनी अलग पहचान बनाई। चार भाइयों में सबसे बड़े फिरोज खान के साथ उनके बाकी भाइयों – संजय खान, अकबर खान, समीर खान – ने भी फिल्मों में किस्मत आज़माई, लेकिन फिरोज खान का अंदाज सबसे जुदा था।

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    स्टाइल और क्लास के लिए थे मशहूर

    फिरोज खान न सिर्फ अपनी फिल्मों बल्कि अपने ड्रेसिंग सेंस, हेयरस्टाइल और वेस्टर्न लुक के लिए भी जाने जाते थे। 70-80 के दशक में युवा उनके स्टाइल को फॉलो करते थे – चाहे वो चमचमाते बूट हों या ट्रेंडी जैकेट्स। मगर सिर्फ स्टाइल ही नहीं, उनकी फिल्मों में एक और खास बात थी – एक ऐसा एलिमेंट जो उन्हें बाकियों से अलग बनाता था।

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    फिरोज खान की डायरेक्ट की गई कई फिल्मों में एक बात कॉमन थी – फिल्म के अंत में हीरो की मौत। यह उनके निर्देशन की सबसे खास और चौंकाने वाली बात थी। जैसे 1980 की सुपरहिट फिल्म कुर्बानी में विनोद खन्ना का किरदार आखिर में दम तोड़ देता है। फिर 1988 की दयावान में भी यही देखने को मिला। 1986 की जांबाज़ और 1992 की यलगार में भी फिल्म का नायक अंत तक जिंदा नहीं रहता।

    60 से ज्यादा फिल्मों में निभाईं यादगार भूमिकाएं

    फिरोज खान ने करीब 60 फिल्मों में काम किया और हर किरदार को अपने स्टाइल और गंभीरता से खास बना दिया। उन्होंने आरजू, धर्मात्मा, अपराध, काला सोना, नागिन, वेलकम जैसी फिल्मों में दमदार अभिनय से फैंस का दिल जीता। फिरोज खान ने 1960 में फिल्म दीदी से छोटे रोल के साथ फिल्मी सफर शुरू किया। बतौर लीड एक्टर उन्हें पहला मौका मिला घर की लाज में। वहीं, फिल्म ऊंचे लोग उनकी पहली हिट साबित हुई, जिससे उन्हें असली पहचान मिली।

    Photo Credit- X

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    अप्रैल 2009 में कह गए थे अलविदा

    फिरोज खान ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत साल 1960 में की थी। उनकी पहली फिल्म दीदी थी, जिसमें उन्होंने एक छोटा सा किरदार निभाया था। इसके बाद वे हम सब चोर हैं, जमाना और बड़े सरकार जैसी फिल्मों में सहायक भूमिकाओं में नजर आए। हालांकि, बतौर लीड एक्टर उन्हें पहला बड़ा ब्रेक मिला फिल्म घर की लाज में, जिसमें उनके अपोजिट निरूपा रॉय नजर आईं।

    इस फिल्म से उन्होंने मुख्यधारा में कदम रखा। इसके कुछ समय बाद आई फिल्म ऊंचे लोग ने उन्हें दर्शकों के बीच पहचान दिलाई और यह उनके करियर की पहली बड़ी हिट साबित हुई। फिरोज खान ने भले ही 2009 में इस दुनिया को अलविदा कह दिया हो, लेकिन अपने स्टाइल, फिल्मों और अलग सोच के लिए वे हमेशा याद किए जाते रहेंगे।

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