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    बॉलीवुड कैसे तोड़ेगा टाइपकास्टिंग की बेड़ियां? भाग्यश्री, विवेक ओबेरॉय और राहुल भट्ट ने खोले हिंदी सिनेमा के कास्टिंग मिथक

    By Anu Singh Edited By: Anu Singh
    Updated: Mon, 09 Jun 2025 11:31 AM (IST)

    हिंदी सिनेमा के बनने और विस्तार होने तक बतौर दर्शक हमने फिल्मों कलाकारों और कहानियों बदले कई स्वरूप को देखा है। इन दिनों बॉलीवुड में एक बड़ा टाइपकास्टिंग को लेकर बना हुआ है। कई बार एक्टर्स एक ही तरह के करिदार के लूप में फंस जाते हैं। इससे बचने के तरीकों पर दिग्गज सितारों ने खुलकर बात की है। जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर।

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    टाइपकास्टिंग को चुनौती दे रहे सितारे (Photo Credit- X)

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। बॉलीवुड में जहां फॉर्मूला और परिचित चेहरों का बोलबाला है, वहां टाइपकास्टिंग यानी एक ही तरह के रोल में बंध जाना एक बड़ी चुनौती बन गई है। लेकिन भाग्यश्री, विवेक ओबेरॉय, अनंत महादेवन जैसे सितारों ने साबित किया है कि मेहनत और साहस से इस जाल को तोड़ा जा सकता है। टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ खास बातचीत में इन सितारों ने बताया कि कैसे एक्टर अपनी एक्टिंग से दर्शकों को चौंका सकते हैं। आइए जानते हैं इस खास चर्चा की पूरी कहानी।

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    टाइपकास्टिंग: बॉलीवुड की पुरानी बीमारी

    बॉलीवुड में अक्सर एक्टर को एक ही तरह के किरदारों में ढाल दिया जाता है। अगर कोई रोमांटिक हीरो के रूप में हिट हो जाता है, तो उसे बार-बार वही रोल दिए जाते हैं। प्रोड्यूसर्स को डर रहता है कि कुछ नया करने से फिल्म फ्लॉप हो सकती है, और दर्शक भी एक्टर को उसी छवि में देखना पसंद करते हैं। लेकिन कुछ एक्टर्स ने इस रिवाज को तोड़कर अपनी अलग पहचान बनाई है।

    विवेक ओबेरॉय: रिस्क लेकर बदली छवि

    विवेक ओबेरॉय ने साथिया में रोमांटिक हीरो, कंपनी में गैंगस्टर, मस्ती में कॉमिक किरदार, और कृष 3 में खलनायक का रोल निभाकर दिखाया कि वे किसी एक सांचे में नहीं बंधते। विवेक कहते हैं, “टाइपकास्टिंग से बचने की कुंजी है कि आप ऐसे रोल चुनें जो आपको चुनौती दें और चौंकाएं।” वे मानते हैं कि आज का दर्शक पहले से ज्यादा खुले दिमाग का है और हर तरह के किरदार को स्वीकार करता है। विवेक ने हाल ही में मलयालम फिल्म L2: एम्पुरान में भी शानदार परफॉर्मेंस दी, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।

    भाग्यश्री: परिवार के बाद बनाई नई पहचान

    मैंने प्यार किया की सलमान खान की नायिका भाग्यश्री ने शादी और परिवार के बाद एक्टिंग छोड़ दी थी। लेकिन उनकी वापसी ने सबको हैरान कर दिया। उन्होंने राधे श्याम और थलाइवी जैसे प्रोजेक्ट्स में अलग-अलग किरदार निभाए। भाग्यश्री कहती हैं, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं वापस एक्टिंग करूंगी। लेकिन जब मौका मिला, तो मैंने नए तरह के रोल चुने।” वे रणवीर सिंह जैसे एक्टर्स की तारीफ करती हैं, जो हर बार अलग किरदार निभाने से नहीं डरते।

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    अनंत महादेवन: थिएटर और इंडी फिल्मों का सहारा

    डायरेक्टर और एक्टर अनंत महादेवन ने बताया कि थिएटर और इंडी फिल्में टाइपकास्टिंग से बचने का शानदार तरीका हैं। वे कहते हैं, “थिएटर में आप हर तरह के किरदार निभा सकते हैं, जो आपको मेनस्ट्रीम सिनेमा में नई पहचान देता है।” अनंत ने रफ कॉपी और द स्टोरीटेलर जैसी ऑफबीट फिल्मों में काम करके अपनी बहुमुखी प्रतिभा दिखाई।

    अनंत महादेवन ने ये भी बताया कि प्रोड्यूसर्स अक्सर “सुरक्षित” कास्टिंग पर भरोसा करते हैं, क्योंकि उन्हें डर होता है कि कुछ नया करने से नुकसान हो सकता है। लेकिन आज का दर्शक बदल रहा है। वह एक्टर को नए रोल में देखना चाहता है। विवेक कहते हैं, “अगर आपकी एक्टिंग में सच्चाई है, तो दर्शक हर रूप में आपको स्वीकार करेंगे।

    पिछले सितारों से लें प्रेरणा

    भाग्यश्री ने ऋषि कपूर और संजीव कुमार जैसे एक्टर्स का उदाहरण दिया, जिन्होंने अपने समय में टाइपकास्टिंग को तोड़ा। ऋषि कपूर ने प्रेम रोग और दामिनी जैसे अलग-अलग किरदारों से सबको चौंकाया, तो संजीव कुमार ने कोशिश और शतरंज के खिलाड़ी में अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया। आज रणवीर सिंह जैसे एक्टर इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं, जो पद्मावत, 83, और जयेशभाई जोरदार जैसे विविध किरदारों में नजर आए।

    सोशल मीडिया और OTT का रोल

    आज के समय में सोशल मीडिया और OTT प्लेटफॉर्म्स ने एक्टर्स को टाइपकास्टिंग से बाहर निकलने का मौका दिया है। अनंत महादेवन कहते हैं, “OTT पर आपको तरह-तरह के किरदार निभाने का मौका मिलता है।” विवेक ओबेरॉय ने भी इनसाइड एज और धरमवीर जैसे प्रोजेक्ट्स में अलग-अलग रोल किए। सोशल मीडिया पर एक्टर्स अपनी नई छवि को फैंस तक पहुंचा सकते हैं, जिससे दर्शकों की सोच बदलती है।

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