JFF 2025: 'एक्टिंग मेरे लिए थेरेपी,' Kajol ने जेएफएफ के आखिरी दिन दी सिनेमा की मास्टर क्लास
Jagran Film Festival 2025 जागरण फिल्म फेस्टिवल के 13वें संस्करण का कल दिल्ली में समापन हो गया। आखिरी दिन अभिनेत्री काजोल (Kajol) अपनी अपकमिंग वेब सीरीज द ट्रायल सीजन 2 को मद्देनजर रखते हुए यहां पहुंची। इस दौरान काजोल ने सिनेमा में अपनी जर्नी और सीरीज को लेकर खूब चर्चा की।

रीतिका मिश्रा l जागरण नई दिल्ली: मुझे काम करते हुए 33 वर्ष हो गए हैं, ये मेरा 34वां वर्ष चल रहा है। मैंने जितना काम अपने अभिनय के 15वें या 16वें वर्ष में नहीं किया था, उससे कहीं अधिक काम 34वें वर्ष में करना पड़ रहा है। लेकिन अभिनय मेरे लिए एक तरह की थेरेपी है, जहां मैं अपने अनुभवों को पर्दे पर बेहतरीन ढंग से पेश करती हूं।
हर किसी को अपनी जिंदगी में एक बार अभिनय करना चाहिए। ये बातें अभिनेत्री काजोल (Kajol) ने जागरण फिल्म फेस्टिवल (JFF) के अंतिम दिन सिरीफोर्ट आडिटोरियम में अपनी वेब सीरीज द ट्रायल के दूसरे सीजन (The Trial Season 2)को लेकर खास बातचीत के दौरान कहीं।
ट्रायल का सीजन-2 को लेकर बोलीं काजोल
उन्होंने बताया कि इस बार ट्रायल का सीजन-2 पिछले सीजन से अलग है। इस बार किरदार में अधिक गहराई आई है। सीखने का बेहतरीन अनुभव रहा। निर्देशक उमेश बिष्ट के साथ काम करना बेहद खास रहा। वो बहुत नाजुक तरीके से महिलाओं की कहानियां पेश करते हैं। ट्रायल का सीजन- 2 आगामी 19 सितंबर को जियो हाटस्टार पर रिलीज हो रहा है।
फोटो क्रेडिट- ध्रुव कुमार
सीजन-2 के बारे में बात करते हुए काजोल ने कहा कि यह सिर्फ एक सीरीज नहीं है, बल्कि एक सामाजिक पहल है। यह समाज की उन कहानियों को सामने लाती है, जिन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। मेरे लिए यह गर्व की बात है कि मैं ऐसी कहानी का हिस्सा बन रही हूं। मुझे ये किरदार बहुत पसंद आया। कुल मिलाकर नोयोनिका एक परतदार किरदार है।
फोटो क्रेडिट- एक्स
उसके अंदर अच्छाई और कमियां दोनों हैं। एक अच्छा कलाकार वो है, जो खुद को भूलकर किरदार में पूरी तरह डूब जाए। नोयोनिका के किरदार में यह सीखने को मिला। काजोल के सत्र और एक चतुर नार फिल्म की स्क्रीनिंग के साथ ही दिल्ली में जेएफएफ का समापन हो गया। जेएफएफ का आयोजन रजनीगंधा के सहयोग से हो रहा है।
काजोल को लेकर बोले निर्देशक
सिनेप्रेमियों से सवाल- जवाब के दौरान काजोल ने अपनी पसंदीदा फिल्मों और यादगार सीन पर भी बात की। कहा, मैंने 18 वर्ष में एक फिल्म की थी उधार की जिंदगी। फिल्म करने के बाद मैं इतना बर्नआउट हुई कि मां से कहा कि मैं अब आगे फिल्मों में काम नहीं करूंगी। एक कलाकार को खुद की सीमाएं समझनी चाहिए।‘कलाकार को खुद की सीमाएं समझनी चाहिए’
ट्रायल सीजन 2 के निर्देशक उमेश बिष्ट ने कहा कि मर्द जो भी महिलाओं की कहानी सुनाते हैं वो महिलाओं से ही सीख कर सुनाते हैं। उन्होंने काजोल की तारीफ करते हुए कहा कि उनकी सहजता ही उन्हें एक बेहतरीन कलाकार बनाती है। कहा जामिया से पढ़ाई करने के बाद मैंने बतौर डाक्यूमेंट्री मेकर काम शुरू किया था।‘काजोल की सहजता उन्हें अच्छा कलाकार बनाती है’।
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