Kaushaljis vs Kaushal में दिखाई गई कन्नौज की होली की खासियत, क्या है फिल्म का असली टर्निंग प्वाइंट?
कुछ समय पहले जियो हॉटस्टार (Jio Hotstar) पर एक नई फिल्म आई थी नाम था कौशलजी वर्सेज कौशल ने दस्तक। इस फिल्म को सीमा देसाई ने डायरेक्ट किया है जिसे आशुतोष राणा शीबा चड्ढा पावेल गुलाटी और ईशा तलवार ने अहम किरदार निभाया था। फिल्म की कहानी एक फैमिली के इर्द गिर्द घूमती है जो एक आम परिवार की तरह हैं।

स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। बड़े पर्दे पर भले ही पात्र होली खेलते दिखते हैं, लेकिन उसकी खुमारी शूटिंग के बाद भी कलाकारों पर रहती है। सीमा देसाई निर्देशित हालिया प्रदर्शित फिल्म ‘कौशलजीस वर्सेज कौशल’ में होली का एक पूरा सीक्वेंस है। कन्नौज की पृष्ठभूमि में सेट इस दृश्य में कुछ विदेशी मेहमान भी होली का आनंद लेते दिखे हैं। इस सीक्वेंस को शूट करने का कैसा अनुभव रहा इस बारे में हमसे बात की सीमा ने।
होली पर क्यों फाड़ते हैं एक-दूसरे के कपड़े
जब मैं कहानी सोच रही थी तो देख रही थी कि इसे उत्तर प्रदेश में कहां सेट करें। बहुत सारी जगहों को फिल्मों में पहले ही कई बार दर्शाया जा चुका है। तब मेरी नजर कन्नौज पर पड़ी। काफी लोगों को नहीं पता है कि वहां की होली अतरंगी भी है और खूबसूरत भी। कन्नौज की होली को कपड़ा फाड़ होली कहते हैं। हमने फिल्म में उसे दर्शाया है कि बच्चे मजाक में एक-दूसरे के कपड़े फाड़ेंगे, लेकिन उसके पीछे सोच यह है कि आप अपने अंदर की बुराइयों को चीर-फाड़कर फेंक दें।
यह भी पढ़ेंं: Mystery Thriller OTT: ये मिस्ट्री थ्रिलर देख दिमाग हो जाएगा फ्यूज, आखिरी का 10 मिनट तो भूल से भी मत करना मिस
इत्र का शहर कहा जाता है कन्नौज
इसके बाद शाम को नए कपड़े पहनकर निकलते हैं यानी एक नई शुरुआत होती है। आपकी अच्छाई का स्वरूप सामने आता है। यह एक तरह से रूपक है। मुझे यह काफी दिलचस्प लगा। यह इत्र का शहर भी है, यहां का शमामा अत्तर (जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक तेलों से मिलकर बना एक दुर्लभ और कीमती इत्र) पूरी दुनिया में निर्यात होता है। सभी परफ्यूम में शमामा अत्तर पड़ता है और हमें पता ही नहीं कि हमारे देश से ही जा रहा है। तो वहीं से कहानी कन्नौज की पृष्ठभूमि में सेट की।
क्या है फिल्म का टर्निंग प्वाइंट
फिल्म में होली के सीक्वेंस में आशुतोष राणा और उनके दोस्त बने बृजेंद्र काला कव्वाली गाते हैं। आशुतोष का पात्र अमीर खुसरो को अपना गुरु मानता है। फिल्म का गाना है ‘आज रंग है...’ जो वास्तव में अमीर खुसरो का सूफी गीत है। मैंने उसका प्रयोग होली के मौके पर किया है। हमने उसे बहुत खूबसूरती से चित्रित किया है। यह सीक्वेंस फिल्म का टर्निंग प्वाइंट भी है। संगीता (शीबा चड्ढा) को अपने पति साहिल (आशुतोष राणा) का गायन पसंद नहीं है। वहीं साहिल को संगीता का इत्र बनाना नहीं सुहाता है। जब यह गाना खत्म होता है तो उनके मतभेद सामने आते हैं और कहानी मोड़ लेती है।
फिल्म में दिखाया गया भारतीय त्योहारों का महत्व
होली का रूपक मेरे लिए यह भी था कि इनका जीवन बेरंग हो गया है मगर होली मना रहे हैं। इस सीक्वेंस को हमने आगरा में शूट किया था। इस सीन में कुछ फिरंगी आते हैं। स्थानीय बच्चा उन्हें नाली से कन्नौज का पानी भरकर देता है और बैकग्रांउड में आता है कि इत्र की फैक्ट्री से निकले पानी की वजह से कन्नौज की नाली में भी खुशबू आती है।
फिल्म में साहिल की बेटी एनजीओ में काम करती है। वह अपना दृष्टिकोण लेकर आई है कि हर्बल रंगों का इस्तेमाल करो क्योंकि वो उन लोगों की मदद करना चाहती है, जो इन रंगों को बनाते हैं, लेकिन ठेठ होली खेलने वालों को तो पेंट या कीचड़ वाली होली खेलनी है। उस पहलू को भी शामिल किया है। खास बात यह है विदेशी मेहमान हमारी संस्कृति और त्योहारों से प्रभावित होते हैं तो किस प्रकार से वह माहौल को कैमरे में कैद करते हैं। यह भारतीय त्योहारों की अहमियत बताने का भी जरिया है। हमने इस सीक्वेंस को दो दिन में शूट किया था।
बिन होली के त्योहार के खेली होली
होली ऐसा त्योहार है कि भले ही शूट कर रहे हों, लेकिन उसे खेलने से खुद को रोक नहीं पाते हैं। हमने अक्टूबर में शूट किया था। होली का कोई माहौल नहीं था, लेकिन खुमारी सब पर छाई थी। आशुतोष और बृजेंद्र तो उस सीक्वेंस को काफी एंज्वाय कर रहे थे। वह इसमें पूरी तरह से मशगूल हो गए थे। हमने उन्हें छूट भी दी थी कि आप अपना डांस करिए!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।