शम्मी कपूर संग आखिरी मुलाकात का Mumtaz ने किया जिक्र, सुनकर छलक पड़ेंगे आंसू
Mumtaz और शम्मी कपूर की मोहब्बत किसी से छुपी नहीं थी मगर उनका प्यार अधूरा रह गया। हाल ही में मुमताज ने शम्मी के आखिरी दिनों को यादकर किए। उन्होंने बताया कि कैसे शम्मी की हालत देखकर उनका दिल टूट गया था। आइए जानें मुमताज ने अपने इस खास रिश्ते के बारे में क्या कहा।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। Mumtaz On Shammi Kapoor: बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री मुमताज ने एक समय बी-ग्रेड फिल्मों में काम किया था, लेकिन 1967 में राम और श्याम के बाद उनका सितारा चमक उठा था। इसके बाद वही हीरो, जो पहले उनके साथ काम करने से कतराते थे, उनके दीवाने हो गए। हाल ही में रेडियो नशा को दिए इंटरव्यू में मुमताज ने शम्मी कपूर के साथ अपने रिश्ते की बातें साझा कीं और उन्हें याद कर भावुक हो गईं।
कई एक्टर्स ने काम करने से किया था इनकार
मुमताज ने इंटरव्यू में बताया कि शुरुआती दिनों में कई बड़े सितारों ने उनके साथ काम करने से मना कर दिया था। तेरे मेरे सपने (1971) में उनके को-स्टार देव आनंद के साथ उनकी शानदार बॉन्डिंग थी। उन्होंने हंसते हुए कहा, “देव साहब मुझे मम्जी बुलाते थे। मेरे सभी हीरो मुझे बहुत पसंद करते थे, शायद इसलिए मेरे रोमांटिक लिंकअप की अफवाहें उड़ा करती थीं।” जीतेंद्र ने भी एक बार उनके साथ काम करने से इनकार किया था, लेकिन बाद में वह भी उनके साथ फिल्में करने को तैयार हो गए।
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शम्मी कपूर ने किया था मुमताज को प्रपोज
शम्मी कपूर के बारे में बात करते हुए मुमताज की आंखें चमक उठीं। दिवंगत अभिनेता के बारे में बात करते हुए मुमताज ने कहा, 'शम्मी जी इतने हैंडसम थे कि कोई भी लड़की उन पर फिदा हो जाए।' जब उनसे पूछा गया कि प्यार कैसे हुआ, तो मुमताज ने शरारत से जवाब दिया, “आपको भी तो कभी प्यार हुआ होगा, बताइए कैसे?” उन्होंने खुलासा किया कि शम्मी ने उन्हें प्रपोज किया था, और यह उनके जीवन का खूबसूरत पल था।
'शम्मी कपूर को मरते नहीं देखना चाहती थी'
मुमताज ने शम्मी कपूर के साथ अपनी आखिरी मुलाकात को याद करते हुए काफी भावुक हो गईं। उन्होंने बताया, “जब मैंने उन्हें कुर्सी पर बैठे देखा, तब भी वह पी रहे थे। मैंने पूछा कि आप ठीक नहीं हैं, फिर भी क्यों पी रहे हैं? उन्होंने जवाब दिया कि वह ज्यादा दिन नहीं जिएंगे। मैंने उनसे कहा, ‘ठीक है, एंजॉय करो।’” मुमताज ने कहा कि वह शम्मी को दुखी नहीं देख सकती थीं। रोते हुए उन्होंने एक शायरी सुनाई, “दिल के आर्मानों की मंजिल थी वो, बिछड़े तो बिछड़े सारी बारी-बारी।”
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