'जवान' के लिए शाह रुख को नेशनल अवॉर्ड देना कितना वाजिब, रानी और विक्रांत को लेकर क्या है दर्शकों की राय
इस शुक्रवार जैसे ही 71वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स की अनाउंसमेंट हुई तो कई तरह की चर्चाएं होने लगीं। कहीं विजेताओं को लेकर हुए चयन को सराहा गया तो कुछ के पुराने जख्म भर गए. वहीं एक बात जिसने बॉलीवुड लवर्स को खुश किया वो थी इन अवॉर्ड्स में हिंदी फिल्मों का बोलबाला होना।

अनंत विजय, नोएडा। नेशनल फिल्म अवॉर्ड की घोषणा के साथ ही इंटरनेट पर शाह रुख खान को मिले बेस्ट एक्टर के अवॉर्ड को लेकर कई तरह की चर्चा होने लगी। यह पुरस्कार उनको विक्रांत मैसी के साथ दिया जाएगा। पुरस्कार की घोषणा होते ही इंटरनेट मीडिया पर लिखा जाने लगा कि शाह रुख को 2004 में ‘स्वदेश’ के लिए पुरस्कार दिया जाना चाहिए था। उस वर्ष सैफ अली खान को फिल्म ‘हम तुम’के लिए बेस्ट एक्टर का पुरस्कार दिया गया था। सैफ की मां शर्मिला टैगोर उस वक्त सीबीएफसी की अध्यक्ष थीं, इस कारण उनको पुरस्कार मिल गया। हालांकि कहानी कुछ और ही है।
दरअसल 2004 के लिए जब नेशनल पुरस्कार तय करने के लिए जूरी बैठी तो सामने शाह रुख की फिल्म ‘स्वदेश’ भी आई। जूरी के सदस्यों में निर्देशक टी. एस. नागबर्ना भी शामिल थे। उन्होंने आरोप लगाया कि ‘स्वदेश’ उनकी फिल्म ‘चिगुरिदा कनासू’ की नकल है। फिल्म देखने के बाद फैसला हुआ कि ‘स्वदेश’ के लिए शाह रुख खान को पुरस्कार नहीं दिया जा सकता क्योंकि किसी भी रीमेक या दूसरी भाषा में बनी फिल्म की कहानी पर बनी फिल्म को अवॉर्ड नहीं किया जाता है।
फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया
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वक्त ने बदली करवट
अब बात करते हैं फिल्म ‘जवान’ की, जिसमें नायक के तौर पर शाह रुख खान सिस्टम को चुनौती देते हैं। फिल्म में देश की हेल्थ सेक्टर को बेहतर करने के लिए मंत्री का अपहरण करने जैसी चीजें दिखाई गई हैं। क्या जूरी के सदस्यों ने ‘जवान’ पर फैसला करते हुए ये नहीं सोचा होगा कि जिस फिल्म की कहानी में सिस्टम को चुनौती दी जा रही है, उसके एक्टर को बेस्ट अभिनेता का पुरस्कार कैसे दिया जा सकता है। फिल्म ने एक हजार करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार किया था। मगर ‘जवान’ में शाह रुख खान की एक्टिंग की बहुत तारीफ हुई ऐसा याद नहीं पड़ता। जूरी के अध्यक्ष आशुतोष गोवारिकर और अन्य सदस्यों को शाह रुख खान की एक्टिंग में वो दिखा होगा जो अन्य लोगों को नहीं दिखा। क्या यह संयोग मात्र है कि शाह रुख को नेशनल अवॉर्ड मिला है या इसके पीछे जूरी के चेयरमैन आशुतोष गोवारिकर हैं जो ‘स्वदेश’ के निर्देशक थे।
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शाह रुख के साथ विक्रांत मैसी को ‘12वीं फेल’ के लिए बेस्ट एक्टर का पुरुस्कार दिया जाएगा। हाल ही में आई उनकी फिल्म ‘साबरमती रिपोर्ट’ में भी उनका अभिनय शानदार है। ‘12वीं फेल’ को बेस्ट फीचर फिल्म का अवार्ड भी दिया जाएगा। कम बजट में बनी इस फिल्म ने अपनी लागत से करीब तीन गुना ज्यादा कारोबार किया था। नेशनल फिल्म अवॉर्ड में कारोबार कोई आधार नहीं होता लेकिन इस फिल्म ने बगैर किसी हिंसा और आइटम सॉन्ग के लोगों का दिल जीता था।
टकराव में जीत गई रानी
फिल्म ‘मिसेज चटर्जी वर्सेज नार्वे’ के लिए रानी मुखर्जी को बेस्ट एक्ट्रेस चुना गया है। संयोग देखिए कि ये फिल्म भी ‘12वीं फेल’ की तरह रियल लाइफ कीघटना पर आधारित है। रानी मुखर्जी ने इसके पहले भी कई बेहतरीन फिल्में की हैं, जिन पर उनको राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया जा सकता था। फिल्म ‘ब्लैक’ और ‘हिचकी’ में उनका अभिनय शानदार था।
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टकराव ने दिलाया सम्मान
‘द केरल स्टोरी’ के निर्देशक सुदीप्तो सेन को बेस्ट डायरेक्टर का अवार्ड दिया जाएगा। इस फिल्म ने भारतीय समाज में धीरे-धीरे जगह बनाते लव जिहाद के खतरों से दर्शकों को अवगत करवाया था। निर्देशक के तौर पर सुदीप्तो सेन ने इस फिल्म से अपनी पहचान बनाई। एक और फिल्म ने ध्यान खींचा वो है हिंदी फिल्म ‘कटहल: ए जैकफ्रूट मिस्ट्री’। छोटे बजट की इस फिल्म की खूब चर्चा रही थी। कहानी और उसके ट्रीटमेंट को लेकर, ये फिल्म सामाजिक व्यवस्था पर व्यंग्य है। विधायक के घर में लगे कटहल के पेड़ से दो कटहल गायब हो जाते हैं। कटहल को ढूंढने के लिए पुलिस लगाई जाती है और फिर शुरू होती है कहानी, जिसमें जातिगत भेदभाव जैसे मुद्दे हैं। कुल मिलाकर अगर देखें तो 2023 के लिए नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स में हिंदी फिल्मों का दबदबा रहा है।
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