JFF 2024: पर्दे पर कॉमेडी रोल निभाना नहीं है आसान, युवाओं को मोटिवेट करते हुए Rajpal Yadav ने दिया ये मूलमंत्र
JFF 2024 राजपाल यादव का नाम फिल्म इंडस्ट्री के टैलेंटेड एक्टर्स में शामिल है। अभिनेता ने कई सालों तक पर्दे पर कॉमेडी वाले रोल से दर्शकों को गुदगुदाया है। हाल ही में वो दिल्ली में आयोजित जागरण फिल्म फेस्टिवल में पहुंचे थे जहां उन्होंने सिनेमा के प्रति नई जनरेशन को प्रेरित किया। साथ ही बताया कि उन्हें गांव की जिंदगी काफी पसंद है।

मुहम्मद रईस, जागरण, नई दिल्ली। पर्दे पर कॉमेडी करना जितना आसान नजर आता है, दरअसल वह उतना होता नहीं है। इसके लिए अंदर के गंभीर विमर्श से गुजरना पड़ता है। पर्दे पर कॉमिक रोल प्ले करने के लिए एक्टर के अंदर काफी टैलेंट होना चाहिए। यह सलाह ख्यात फिल्म अभिनेता राजपाल यादव ने रविवार को दिल्ली के युवाओं को जागरण फिल्म फेस्टिवल के दौरान दी थी। उन्होंने न केवल युवाओं को सिनेमा के लिए प्रेरित किया, बल्कि प्रकृति से जुड़ने की भी अपील की।
गांव की जिंदगी पर रहता है राजपाल यादव का झुकाव
अपने 28 साल के फिल्मी करिअर में 200 से अधिक फिल्में करने वाले राजपाल यादव ने जहां अपनी आने वाली फिल्मों पर बात की तो वहीं गांव की जिंदगी और प्रकृति से जुड़ाव को लेकर भी अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा, बेहतर करने के लिए दिमागी रूप से तैयार होना पड़ता है।
ढेर सारी तैयारी करनी पड़ती है। फिर आपकी कद काठी मायने नहीं रखती। हर दिन एक नया जन्म होता है और हर दिन एक नई शुरुआत, इसलिए जिंदगी में जब भी और जहां भी अवसर आए शिकार की तरह झपट्टा मार लो।
इसके लिए उन्होंने अपना उदाहरण भी दिया। कहा, शूल फिल्म में मनोज बाजपेयी के सामने सिर्फ तीन लाइन का रोल था। रोल अच्छा लगा। मनोज भाई ने इंप्रोवाइज करने के लिए बोल दिया। जब तैयारी करके गया तो तीन लाइन का रोल 13 लाइन का हो गया। तीन लाइन के रोल में भी अगर आप खड़े हो गए तो लोग आपके 30 लाइन के रोल के लिए भी इंतजार करेंगे।
ये भी पढ़ें- JFF 2024: दिल्ली से यूपी की तरफ बढ़ा जागरण फिल्म फेस्टिवल का कारवां, इन दो शहरों में होगा आयोजन
बीज से सीखो तपिश को झेलकर दरख्त बनना...
राजपाल यादव ने एक किसान की कहानी भी सुनाई। आम की गुठली का उदाहरण देते हुए बताया कि धूप की तपिश झेलने के बाद भी बीज अपना वजूद नहीं खोता। जरा सी बारिश मिलते ही अंकुरित होता और आगे चलकर एक दरख्त का रूप ले लेता है। उन्होंने युवाओं को मुश्किल हालात में हार न मानने और लगातार सीखते रहने की सलाह दी, ताकि आप दूसरों के लिए दरख्त की तरह उपयोगी बन सकें।
खेतों और मेड़ों को प्रणाम करने आज भी जाता हूं गांव...
मैं आज भी अपने गांव खेतों और मेड़ों को प्रणाम करने जाता हूं। जल, जंगल और जमीन बचाने की बातें तो बहुत होती हैं, लेकिन इसकी शुरुआत भी तो करनी पड़ेगी। प्रकृति को बचाने के लिए प्रकृति को अपनाना होगा। पहले आप अपने आप को अपनाएं, अपनी स्थितियों को अपनाएं, परिवार व आसपड़ोस को अपनाएं, तभी जल-जंगल और जमीन से जुड़ पाएंगे।
हम अपना घर तो अपना लेते हैं, लेकिन सड़क पर कचरा फेंक देते हैं। अपने आंगन में लगे पेड़ से ज्यादा फिक्र सार्वजनिक स्थल पर खड़े पेड़ की करेंगे तो ही प्रकृति से जुड़ पाएंगे। तभी नदियां साफ होंगी, तालाब स्वच्छ होंगे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।