समस्या के साथ समाधान भी देती है ‘जाइए आप कहां जाएंगे’, Karan Anand ने शेयर किया फिल्म से जुड़ा मजेदार अनुभव
JFF 2024 राजधानी दिल्ली में जागरण फिल्म फेस्टिवल का आयोजन हुआ था जिसमें फिल्मी दुनिया के कई दिग्गज सितारे शामिल हुए थे। जिसमें संजय मिश्रा ने अपनी नई फिल्म जाइए आप कहां जाएंगे पर खुलकर बात की। इस फिल्म से मेकर्स ने महिलाओं के खुले में शौच जाने की परेशानी को दिखाया है। आइए जानते हैं क्या फिल्म निर्माता और इसके कलाकारों ने मूवी पर क्या कहा।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। लोक लाज के चलते आज महिलाएं खुले में शौच नहीं जातीं। उसकी वजह से कई बार उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, खासकर गांवों जैसे इलाकों में, लेकिन अगर ऐसा ई रिक्शा बनाया जाए जिसमें टायलेट की सुविधा हो और अपने आसपास के इलाकों में मोबाइल फोन करके बुलाया जा सके और फिर मामूली शुल्क देकर उस शौचालय का इस्तेमाल करें तो महिलाएं ही नहीं पुरुषों के खुले में शौच करने की समस्या से मुक्ति पाने की दिशा में बेहतरीन कदम हो सकता है।
ये भले ही सुनने में अजीब लगता होगा, लेकिन इसी विषय पर आधारित है करण आनंद और संजय मिश्रा अभिनीत फिल्म 'जाइए आप कहां जाएंगे'।
फिल्म को लेकर ये था निर्माण का लक्ष्य
रविवार को जागरण फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित इस फिल्म को लेकर इसके निर्माता हनवंत खत्री ने कहा, मेरा लक्ष्य हमेशा ऐसे विषयों को लेकर फिल्म बनाने का रहा है जो सकारात्मक संदेश दें। इसी कड़ी में जब मैंने यह स्क्रिप्ट सुनी तो मुझे लगा कि अगर इसे बनाया जाए तो काफी प्रशंसा मिलेगी। वैसा ही हो रहा है, जागरण फिल्म फेस्टिवल में इसे दर्शकों ने काफी पसंद किया।
फिल्म में रिक्शावाला की भूमिका निभाने वाले करण आनंद ने कहा, जागरण फिल्म फेस्टिवल में फिल्म को मिली प्रतिक्रिया देखकर काफी आनंदित महसूस कर रहा हूं। मैं तो चाहूंगा कि मेरी अगली जितनी भी फिल्में आएं, वह जागरण फिल्म फेस्टिवल में जरूर आएं, ताकि हर साल मैं भी यहां पर आ सकूं।
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संजय मिश्रा के साथ काम करने पर बोले करण आनंद
आगे अपनी भूमिका निभाने को लेकर करण ने बताया कि पहली बात तो मैं अपने निर्माता-निर्देशक का आभारी हूं कि उन्होंने मुझे रिक्शा चालक बनने का मौका दिया, क्योंकि मैं वैसा दिखता नहीं हूं। फिल्म में उनके पिता की भूमिका में संजय मिश्रा हैं। उनके साथ काम के अनुभव को लेकर करण ने कहा, इस फिल्म में बहुत सारे ऐसे दृश्य हैं कि उनके संवाद कुछ और होते थे लेकिन हमने अपने हिसाब से उसमें सुधार भी किया। कहने का अर्थ यह है कि उसकी आत्मा वही रखी, बस शब्द बदल गए। बाकी संजय मंझे हुए अभिनेता हैं।
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किसका आईडिया था ई रिक्शे पर टॉयलेट बनाना?
फिल्म में ई रिक्शा पर टॉयलेट बनाने के आइडिया को लेकर करण कहते हैं कि इसका पूरा श्रेय हमारे निर्देशक निखिल राज सिंह को जाता है। इसकी कहानी भी उन्होंने ही लिखी है। इसमें मेरा 70 प्रतिशत किरदार उनके गांव के एक शख्स से प्रेरित रहा है जो घर से भाग जाता है।
Photo Credit- IMDb
ई रिक्शे पर टॉयलेट का आइडिया उनका ही था। फिल्म की अच्छी बात यह है कि इसमें समस्या को दिखाने के साथ उसका समाधान भी दिया गया है। आगे करण ने बताया कि यह फिल्म प्रसार भारती के ओटीटी प्लेटफार्म वेव्स पर उपलब्ध है। फिलहाल यहां पर उसे मुफ्त में देखा जा सकता है।
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