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    'इससे क्रिएटिविटी पर फर्क...' शंकर महादेवन ने AI के प्रयोग बताया अच्छी कोशिश, कहा- 'सहूलियत होती है'

    Updated: Sun, 13 Jul 2025 06:30 AM (IST)

    प्रख्यात भारतीय संगीतकार शंकर महादेवन ने हाल ही में टेक दिग्गज गूगल के साथ मिलकर उसके एआई म्यूजिक जेनरेटर टूल लिरिया की मदद से एक गाना तैयार किया है। पिछले ढाई दशक से वो म्यूजिक इंडस्ट्री सक्रिय हैं। एआई के प्रयोग से तैयार किए गए गाने पर सिंगर ने हमसे बात की। उन्होंने बताया कि इस काम में बहुत सहूलियत है।

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    शंकर महादेवन ने तैयार किया एआई से गाना (फोटो-इंस्टाग्राम)

    दीपेश पांडेय, मुंबई। भारतीय सिनेमा और संगीत में ढाई दशक से ज्यादा समय से सक्रिय संगीतकार व गायक शंकर महादेवन ने हाल ही में एआइ का प्रयोग कर गाना बनाया है। शंकर ने दीपेश पांडेय को बताया कि क्यों फायदेमंद है रचनात्मक क्षेत्रों में एआइ का प्रयोग...

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    - हाल ही में आपने एआइ के प्रयोग से गाना बनाया। इसे कला के क्षेत्र में बड़े खतरे के तौर देखा जा रहा है? आपकी क्या राय है?

    एआइ एक तकनीक है जो आपका काम और तेजी व आसानी से करने में मदद करती है। एआइ को क्या करना है और क्या नहीं, वो निर्णय लेने वाले और उसको निर्देश देने वाले तो आप ही हो। अगर आपको कोई बड़ा गुणा –भाग करना हो तो कैलकुलेटर का इस्तेमाल ही करोगे ना। वैसे ही एआइ एक सहूलियत है। इससे क्रिएटिविटी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

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    - इतने लंबे अनुभव के बाद भी आप बेहिचक दूसरे कलाकारों के साथ दो-तीन पंक्तियां भी गाने के लिए आसानी से तैयार हो जाते हैं

    मैं दो चीजों से बहुत दूर रहता हूं, पहला गुस्सा और दूसरा अहंकार। ये दोनों चीजें इंसान को खत्म कर सकती हैं। गुस्से में इंसान का स्वयं पर नियंत्रण नहीं होता है। वहीं दूसरी तरफ अहंकार कभी दूसरों के लिए अच्छा सोचने या करने नहीं देता। जीवन से इन दोनों चीजों को हटा देना चाहिए। मैं छोटी-मोटी चीजों पर ध्यान नहीं देता हूं। मैं बस इतना सोचता हूं कि क्या वो काम करके या उस कलाकार के साथ मुझे मजा आएगा? बस।

    - ‘दिल चाहता है’ फिल्म के दौरान फरहान अख्तर आपके साथ काम करने को लेकर सुनिश्चित नहीं थे..

    हां, उन्होंने कहा कि चलो एक बार थोड़ा काम करके देखते हैं। हम अपने दूसरे विकल्प भी खुले रखते हैं। अगर हमारा काम नहीं जमा तो वो किसी दूसरे संगीतकार के पास जा सकते हैं। इस पर हम साथ काम करने के लिए तैयार हो गए। जब उस फिल्म में हमारी जोड़ी जमीं तो हम 25-26 वर्ष से लगातार काम करते आ रहे हैं। ‘दिल चाहता है’ का पूरा साउंडट्रैक हमने सिर्फ साढ़े तीन दिन में पूरा कर लिया था।

    - आपने एक ही घर की दो पीढ़ी के दो सितारों अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन, दोनों के लिए गाने गाए। दोनों को आवाज देने में क्या अंतर रखा?

    हर गाने और कलाकार के बारे में जानने के बाद एक त्वरित रचनात्मक विचार आता है। जब एक ही घर की दो पीढ़ी के दो कलाकारों के लिए गाना होता है, तो हम सोचते हैं कि दोनों का अंदाज क्या होगा, स्वभाव क्या होगा? यहां तक कि शब्दों में भी, दोनों अपनी बातों में किस तरह अलग-अलग शब्दों का प्रयोग करते हैं। इन सारी बातों को ध्यान में रखकर गाना बनाते हैं।

    - पैन इंडिया फिल्मों का प्रभाव संगीत जगत में किस तरह देख रहे हैं?

    पैन इंडिया फिल्मों से लोग अब हर तरह के गाने सुन रहे हैं। संगीत के माध्यम से एक-दूसरे की संस्कृति के बारे में भी जान रहे हैं। अब हिंदी के साथ तेलुगु और मलयालम गाने भी आ रहे हैं। अब उत्तर के लोगों को पता चल गया कि अच्छा संगीत सिर्फ हिंदी में ही नहीं, दूसरी भाषाओं में भी है। यह बहुत बढ़िया है। अब हम संगीत बनाते समय भी अलग-अलग संगीत को एक-दूसरे के साथ मिलाकर प्रयोग कर रहे हैं।

    - सबसे ज्यादा क्रिएटिव झगड़े किस संगीतकार के साथ हुए?

    मेरे दोनों भाई लोग एहसान (एहसान नूरानी) और लाय (लाय मेंडोसा) के साथ। हम तो परिवार हैं, परिवार के लोग तो लड़ते रहते हैं, मियां-बीवी, बच्चे, भाई-बहन में लड़ाई तो होती ही है। उसी तरह हम भी लड़ते रहते हैं। लड़ाई, झगड़ा, अलग सोच, अलग नजरिया, ये सब तो होना ही चाहिए। इनके बीच से जो निकलकर आएगा, वही सही होता है। हमारे बीच उस पर सहमति बनती है, जो गाने और संगीत के लिए बेहतर होता है।

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