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    एक ही अभिनेता ने निभाया था फिल्म में राम और सीता का किरदार, 107 साल पहले आया डबल रोल का कंसेप्ट

    Updated: Fri, 18 Oct 2024 07:46 PM (IST)

    एक टिकट खरीदकर पूरे ढाई से तीन घंटे सिर्फ अपने ही पसंदीदा सितारे को डबल रोल में देखना किस फैन की ख्वाहिश नहीं होगी। दिलीप कुमार से लेकर नरगिस दत्त देवानंद और श्रीदेवी जैसे कई सितारे फिल्मों में दोहरी भूमिका निभा चुके हैं। हालांकि डबल रोल निभाने वाले अभिनेता का जन्म 107 साल पहले ही इंडस्ट्री में हो गया था जो पर्दे पर राम और सीता दोनों बने थे।

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    सबसे पहले किस अभिनेता ने निभाया डबल रोल/ फोटो- Jagran Graphics

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। फिल्मों में डबल रोल का कंसेप्ट काफी समय से चला आ रहा है। हेमा मालिनी की 'सीता और गीता' से लेकर, शाह रुख खान की 'डुप्लीकेट', दिलीप कुमार की 'राम और श्याम और सलमान खान की जुड़वा दर्शकों ने थिएटर में बैठकर एक टिकट पर डबल मजे लिए।

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    उन्हें अपने पसंदीदा सितारे को एक ही स्क्रीन पर अलग-अलग रोल में देखने का मौका हमेशा से मिलता रहा है। बीते साल जहां शाह रुख खान ने फिल्म 'जवान' में बाप और बेटे का रोल अदा किया था, तो वहीं डबल रोल निभाने की लीग में अब कृति सेनन का नाम भी शामिल हो चुका है। वह अपनी आगामी फिल्म 'दो पत्ती' में डबल रोल अदा करती हुई दिखाई देंगी।

    क्या आपको पता है कि भारत में डबल रोल का कंसेप्ट कौन लेकर आया। कौन था वह अभिनेता जिसने सबसे पहले एक पौराणिक फिल्म में डबल रोल निभाया। अगर नहीं, तो चलिए जानते हैं 107 साल पुरानी सुपरहिट फिल्म का इतिहास, जिसमें एक ही अभिनेता बना था राम और सीता।

    इस अभिनेता ने 1917 में बनी फिल्म में निभाया था डबल रोल

    पहली फिल्म में डबल रोल की भूमिका अदा करने वाले अभिनेता कोई और नहीं, बल्कि अन्ना सालुंके थे, जिन्होंने भारत की पहली फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' में भी काम किया था। अपने करियर के शुरुआती दौर में उन्होंने हीरो के साथ-साथ नायिका की भूमिका भी अदा की। दादा साहब फाल्के की फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' में रानी तारामती बनने के बाद, वह पर्दे पर माता सीता और भगवान श्रीराम भी बने।

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    साल 1917 में एक फिल्म रिलीज हुई, जिसका टाइटल था 'लंका-दहन'। ये फिल्म हिंदू महाकाव्य 'रामायण' पर आधारित थी, जिसे महर्षि वाल्मीकि ने लिखा था। फिल्म का निर्देशन दादा साहब फाल्के ने ही किया था। राजा हरिश्चंद्र के बाद ये निर्देशक की दूसरी फीचर फिल्म थी। राजा हरिश्चंद्र की तरह ही 'लंका-दहन' भी एक म्यूट फिल्म थी।

    राजा हरिश्चंद्र फोटो- IMDB

    क्यों अन्ना सालुंके को निभानी पड़ी थी सीता की भूमिका?

    भारत को आजादी मिलने से पहले महिलाओं का कमर्शियल फिल्मों में काम करना, या इस तरह से अपनी कला का प्रदर्शन पर्दे पर करना गलत माना जाता था। यही वजह थी कि उस वक्त जो भी फीमेल किरदार आते थे, उसे फिल्म के अभिनेता ही निभाते थे। उन्होंने 'लंका दहन' में श्रीराम का किरदार निभाने के बाद उनकी पत्नी माता सीता का किरदार भी अदा किया था। वह भारतीय सिनेमा के पहले अभिनेता थे, जिन्होंने अधिकतर फिल्मों में अभिनेता और अभिनेत्री दोनों का किरदार निभाया।

    लंका दहन फोटो- IMDB

    क्यों अभिनेता को ही दादा साहब फाल्के ने बनाया  हीरोइन?

    अन्ना सालुंके को फिल्मों में हीरोइन का रोल करवाना दादा साहब फाल्के की च्वाइस नहीं, बल्कि मजबूरी थी। दरअसल, दादा साहब फाल्के और अन्ना सालुंके की पहली मुलाकात एक रेस्टोरेंट में हुई थी, जहां अभिनेता कथित तौर पर एक वेटर के रूप में काम करते थे। दादा साहेब फाल्के उस दौरान एक लड़की की तलाश में थे, जिसे वह अपनी फिल्म में कास्ट कर सके। लेकिन फिल्मों से जुड़ना उस समय पर किसी भी महिला को मंजूर नहीं था।

    ऐसे में दादा साहब फाल्के की नजर अन्ना सालुंके पर पड़ी, जिनका कद-काठी और फीचर ऐसे थे, जिसकी वजह से नायिका की भूमिका के लिए  वह निर्देशक को एकदम परफेक्ट लगे। जैसे-तैसे दादा साहब फाल्के 10 रुपए में काम करने वाले सालुंके को 15 रुपए की फीस देकर फिल्मों में आने के लिए मना लिया और बतौर अभिनेता उनकी जर्नी की शुरुआत हो गई।

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