Throwback Thursday: हिट फिल्मों के बाद भी 9 महीने तक सलीम-जावेद को नहीं मिला था कोई काम
70-80 के दशक में स्क्रीन राइटर्स सलीम-जावेद की जोड़ी ने खूब राज किया। हिट फिल्मों की गारंटी देने वाले सलीम-जावेद का अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना जैसे सितारों का करियर उठाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हालांकि चार ब्लॉकबस्टर फिल्में देने के बाद सलीम-जावेद के करियर में एक ऐसा समय आया था जब 9 महीने तक उनके पास कोई काम नहीं था और वह समझौता भी नहीं करना चाहते थे।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। सलीम-जावेद की जोड़ी एक समय पर सुपरहिट थी। जिस फिल्म की कहानी वह लिखते उसकी सुपरहिट होने की गारंटी होती थी। उनकी जोड़ी को एक समय पर हीरोज से भी ज्यादा फीस चार्ज करती थी। सरहदी लुटेरा के निर्माता एस एम सागर ने सलीम-जावेद को बतौर स्क्रीनप्ले राइटर पहला ब्रेक दिया था।
एस एम सागर की साल 1971 में रिलीज हुई फिल्म 'अधिकार' का स्क्रीनप्ले इस जोड़ी ने ही लिखा, जिसके लिए दोनों को पांच हजार रुपए तो मिले, लेकिन कोई क्रेडिट नहीं मिला। इसके बाद फिल्म आई अंदाज, जिसमें सलीम-जावेद को बतौर राइटर पहली बार क्रेडिट मिला। राजेश खन्ना की साल 1971 में रिलीज हुई फिल्म 'हाथी मेरे साथी' सलीम जावेद के करियर में मील का पत्थर साबित हुई। इस मूवी ने उनके लिए हिंदी सिनेमा के दरवाजे खोल दिए।
इस फिल्म के बाद इस जोड़ी ने साथ में सीता और गीता, जंजीर, यादों की बारात, और दीवार जैसी कई सुपरहिट फिल्में दी। हालांकि, बैक टू बैक हिट की झड़ी लगाने के बावजूद भी एक वक्त ऐसा आया था जब सलीम-जावेद के पास 9 महीने तक कोई काम नहीं था। जिसके बारे में खुद जावेद अख्तर ने इंटरव्यू में बताया था। आज थ्रोबैक थर्सडे में हम आपको उस किस्से के बारे में बताने जा रहे हैं-
फीस बनी थी सलीम -जावेद के करियर में अड़चन
हिंदी सिनेमा के लोकप्रिय राइटर सलीम-जावेद कई सालों पहले जब राजीव मसंद के शो में पहुंचे थे, तो उन्होंने खुद इस बात का खुलासा किया था कि एक बड़ी सफलता के बावजूद उन्हें 9 महीने तक किसी ने काम नहीं दिया। उन्होंने इसकी वजह भी बताई थी।
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जावेद अख्तर ने पुराने इंटरव्यू में कहा,
"मैं एक बहुत बड़े प्रोड्यूसर से मिला था, तो उन्होंने मुझसे कहा कि तुम लोग मुझे स्टोरी दो ना। मैंने उनसे कहा कि हमने चार लगातार हिट फिल्में दी हैं, लेकिन इसके बावजूद हमारे पास काम नहीं है। 9 महीने तक हमारे पास कोई काम नहीं था और उसकी वजह ये थी कि हम ये डिसाइड कर चुके थे कि हम फिल्म के लिए दो लाख रुपए ही चार्ज करेंगे। उस समय के दो लाख रुपए आज के 20 करोड़ के बराबर हैं। इसलिए हमने दो लाख लेने का ही डिसाइड किया। मैंने उन्हें कहा कि आप दो लाख देने के लिए अग्री नहीं कर रहे हो। फिर उन्होंने मुझे कहा कि पैसा प्रॉब्लम नहीं है, तुम मुझे ऐसी स्क्रिप्ट दो जो मुझे पसंद आए"।
दो लाख सुनते ही प्रोड्यूसर के ऑफिस में छा गया था सन्नाटा
जावेद अख्तर ने आगे बताया, "मैंने उन्हें कहा कि मैं आपको स्क्रिप्ट सुना दूंगा, लेकिन आप पहले प्राइस सुन लीजिये। आप बोलेंगे कि स्क्रिप्ट मुझे पसंद आई, इसलिए पैसा ज्यादा मांग रहे हैं, तो आप अमाउंट सुन लीजिये फिर स्क्रिप्ट सुना देंगे, हम एडवांस नहीं मांग रहे। जैसे ही निर्माता ने पूछा, मैंने तपाक से कहा 2 लाख रुपए, जिसे सुनकर ऑफिस में पूरा सन्नाटा छा गया।
उन्होंने ऊपर से अपने पार्टनर को बुलाया और मुझे कहा कि जो मैंने उन्हें बताया है, वह उनके पार्टनर को भी बताए, क्योंकि कोई विश्वास नहीं करता था कि राइटर इतना पैसा ले सकते हैं। 9 महीने बाद जो हमें फिल्म मिली वो हमने 2 लाख में की, दूसरी की कहानी के लिए हमने 5 लाख लिए और तीसरी के लिए 10 लाख।
उस समय पर अगर आप हाइएस्ट पेड राइटर हैं और आपको 60-80 हजार के करीब मिल रहे हैं, तो निश्चित तौर पर आप बिगड़ैल और अहंकारी इंसान की तरह लगते हैं"।
- कन्नड़ फिल्मों के लिए भी लिखी सलीम-जावेद ने स्क्रिप्ट
- जंजीर के लिए जीता था बेस्ट स्क्रीनप्ले और बेस्ट स्टोरी का अवॉर्ड
- शोले को ब्रिटिश फिल्म इंस्टीट्यूट के 2002 के पोल में पहला स्थान मिला था।
1982 में टूटी थी सलीम-जावेद की जोड़ी
सलीम-जावेद की जोड़ी 21 साल की लंबे पार्टनरशिप के बाद टूट गई। दोनों ने 1982 में निजी कारणों के चलते अपनी राह अलग-अलग कर ली।
उनकी जोड़ी टूटने के बाद 1985 में उनकी फिल्म 'जमाना' और 1987 में मिस्टर इंडिया रिलीज हुई। ये दोनों ही फिल्में हिट रहीं। अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी की फिल्म बागबान के लिए भी उन्होंने स्क्रीनप्ले लिखा, लेकिन इसमें उन्हें क्रेडिट नहीं मिला।
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