Raj Kapoor ने नरगिस दत्त के प्यार का उठाया था फायदा, Sanjay Dutt की मां के साथ इस फिल्म में हुआ था अन्याय?
छह सितंबर 1955 को प्रदर्शित हुई राज कपूर द्वारा निर्देशित और अभिनीत ‘श्री 420’ भारतीय सिनेमा के इतिहास में मील का पत्थर है। यह फिल्म केवल एक मनोरंजक कहानी नहीं बल्कि स्वतंत्र हुए भारत के युवाओं के सपनों की कहानी भी है। इस फिल्म की एक्ट्रेस नरगिस को भी ये लगने लगा कि उनके साथ अन्याय हुआ है।

अनंत विजय, नई दिल्ली। आज से करीब 70 वर्ष पूर्व राज कपूर की फिल्म ‘श्री 420’ आई थी। इस फिल्म ने राज कपूर के सोच और उनकी स्टोरीटेलिंग स्टाइल को बदल दिया। ये एक ऐसी फिल्म थी जिसने उनकी व्यक्तिगत जिंदगी में भी बदलाव देखा। ‘श्री 420’ के पहले राज कपूर की फिल्म ‘आवारा’ आई थी। फिल्म ‘आवारा’ जब प्रदर्शित हुई थी तो फिल्म समीक्षकों ने उसमें एक मार्क्सवादी अंडरटोन होने की चर्चा की थी। संभव है ऐसा हो।
श्री 420 को अमेरिका में नहीं मिला था अच्छा रिस्पांस
हालांकि राज कपूर अपने साक्षात्कारों में हमेशा इस बात का निषेध करते थे कि वो किसी विचार या विचारधारा से प्रेरित होकर फिल्म बनाते हैं। फिल्म ‘आवारा’ ख्वाजा अहमद अब्बास ने लिखी थी। अब्बास गहरे तक मार्क्सवादी विचारधारा में डूबे हुए थे। कहा जाता है कि जब इस फिल्म की स्क्रीनप्ले लिखी गई थी तो ख्वाजा अहमद अब्बास और वी. पी. साठे ने बेहद चतुराई के साथ कई दृश्यों और संवादों में परोक्ष रूप से कम्युनिस्ट विचार और उन विचारों का पोषण करने वाली स्थितियां लिख दी थीं। एक समीक्षक ने तब लिखा भी था कि ख्वाजा अहमद अब्बास एक वैचारिक गाइड थे।
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राज कपूर जब इस फिल्म को लेकर अमेरिका गए थे तो वहां इसके प्रदर्शन के दौरान उत्साह नहीं दिखा था। कुछ महीनों बाद जब वो ‘आवारा’ के प्रदर्शन के लिए सोवियत संघ गए तो वहां जबरदस्त सफलता मिली। ‘आवारा’ के प्रदर्शन के लिए सोवियत संघ जाने के पहले से ही ‘श्री 420’ फिल्म आकार लेने लगी थी। इस फिल्म का नाम भी दिलचस्प है। 420 भारतीय दंड संहिता की एक धारा थी जो धोखेबाजी के केस में लगाई जाती थी। उसके ही आधार पर इस फिल्म का नाम ‘श्री 420’ रखा गया था। 420 के आगे श्री जानबूझकर लगाया गया था ताकि विवाद ना हो।
श्री 420 के ये गाने हुए थे सुपरहिट
फिल्म ‘आवारा’ की तरह इसके नायक का भी नाम राजू था। ये भी लगभग आवारा ही था, लेकिन पढ़ा-लिखा था। देश को स्वतंत्र हुए सात-आठ साल हुए थे। नौजवानों के अपने सपने थे। उन्हीं सपनों को केंद्र में रखते हुए राज कपूर ने इस फिल्म के नायक के चरित्र को गढ़ा था। ‘आवारा’ में जिस तरह से मार्क्सवादी अंडरटोन की बात होती थी, वैसे ही इस फिल्म में राष्ट्रवादी अंडरटोन देखा जा सकता है।
इस फिल्म का गीत ‘मेरा जूता है जापानी, सर पे लाल टोपी रूसी’ खूब लोकप्रिय हुआ था। हिंदुस्तानी दिल को ढंग से इस गाने में रेखांकित किया गया था। इस फिल्म में राज कपूर और नर्गिस पर फिल्माया गया अमर गीत, ‘प्यार हुआ इकरार हुआ’ है जिसमें एक पंक्ति है, ‘हम न रहेंगे तुम न रहोगे फिर भी रहेंगी निशानियां’।
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राज कपूर की बेटी चिट्ठी के साथ रखती थीं मोगरे के फूल
इस गाने के एक सीन में राज कपूर के तीनों बच्चे रणधीर, रितु और ऋषि कपूर भी थे। बच्चे रेन कोट पहनकर राज और नर्गिस के साथ बारिश में जाते हैं। रितु कपर ने जब राज कपूर पर पुस्तक लिखी थी तो एक चर्चा में उन्होंने मुझे बताया था कि किस तरह से वो इस सीन के बाद अपने पिता का ध्यान रखने लगी थीं। उनकी मां बताती थीं कि उनको अगर पिता से कुछ कहना होता था तो वो एक कागज पर लिखकर उनके तकिए पर रख देती थीं। रितु ने बताया था कि चूंकि उनके पिता को मोगरे की खुशबू पसंद थी इसलिए वो अपने संदेश के साथ उनके तकिए पर मोगरे के फूल भी रख देती थी।
इस फिल्म का एक और गाना ‘मुड़ मुड़ के ना देख’ नादिरा पर फिल्माया गया था। ये गाना भी हिट रहा था। इसके पहले भी नादिरा ने कई कॉमेडी फिल्मों में काम किया था, लेकिन इस गाने ने उनको लोकप्रियता की नई ऊंचाई दी। इस फिल्म के पहले राज कपूर और नर्गिस के बीच का प्रेम बहुत गाढ़ा हो चुका था।
नरगिस दत्त को जब लगा उनके साथ हुआ अन्याय
नरगिस के भाई जब उनसे कहते कि राज कपूर उसकी स्टारडम का उपयोग अपनी फिल्मों को सफल बनाने में कर रहे हैं तो वो इसे नकार देती थीं। उनके भाई जब उनसे कहते कि राज कपूर अपनी फिल्मों में नरगिस की शोहरत के हिसाब से स्क्रीन टाइम नहीं देते हैं तो वो इस पर ध्यान नहीं देती थीं क्योंकि तब वो राज के प्रेम में दीवानी थीं।
जब ‘श्री 420’ प्रदर्शित हुई तो नरगिस को लगा कि राज कपूर ने इस फिल्म में उनके साथ न्याय नहीं किया है। तब तक दोनों के प्रेम के अंजाम तक पहुंचने को लेकर बहसें भी होने लगी थीं। ‘श्री 420’ के बाद नरगिस, राज कपूर से दूर जाने लगी थी। ‘श्री 420’ के साथ राज कपूर के कई किस्से जुड़े हुए हैं, लेकिन अगर फिल्म के लिहाज से देखें, उसके क्राफ्ट को देखें तो ये एक मास्टरपीस थी। ये अनायास नहीं है कि सत्यजित राय ‘श्री 420’ को राज कपूर की सबसे अच्छी फिल्म मानते थे, कहते भी थे!
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