क्यों 'सरजमीन' से डेब्यू करना इब्राहिम के लिए होता बेहतर, 'नादानियां' स्टार पर पृथ्वीराज सुकुमारन ने कही ये बात
सैफ अली खान के बेटे इब्राहिम अली खान की सरजमीन हाल ही में रिलीज हुई। फिल्म में उनके अभिनय को सराहा गया है खासकर उनकी पहली फिल्म नादानियां के मुकाबले। पृथ्वीराज सुकुमारन ने भी कहा कि अगर सरजमीन इब्राहिम की डेब्यू फिल्म होती तो उन्हें इतनी ट्रोलिंग का सामना नहीं करना पड़ता।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। सैफ अली खान के बेटे इब्राहिम अली खान की सरजमीन हाल ही में रिलीज हुई जिसमें उनके साथ पृथ्वीराज सुकुमारन और काजोल ने लीड रोल निभाया है। फिल्म चाहे जैसी भी हो लेकिन इब्राहिम इसमें अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे हैं। खासकर अपनी पहली फिल्म नादानियां से बेहतर परफॉर्मेंस उन्होंने इस फिल्म में दी है। फिल्म में उनके को एक्टर रहे पृथ्वीराज सुकुमारन ने भी कहा है कि सरजमीन इब्राहिम की डेब्यू फिल्म होनी चाहिए थी।
सरजमीन से डेब्यू होता बेहतर
इब्राहिम अली खान को धर्मा प्रोडक्शन ने इसी साल की शुरुआत में फिल्म नादानियां में लॉन्च किया। इसमें उनके साथ खुशी कपूर थी। फिल्म में उनकी एक्टिंग दर्शकों को बिल्कुल भी पसंद नहीं आई। उनकी परफॉर्मेंस। पहली फिल्म से मिले नेगेटिव रिएक्शन के बाद लोगों को इब्राहिम से उम्मीद कम ही थी लेकिन सरजमीन में उन्होंने ट्रोलर्स को गलत साबित कर दिया। फिल्म में उनकी एक्टिंग अवार्ड विनिंग तो नहीं है लेकिन देखने लायक जरूर है। पृथ्वीराज सुकुमारन और काजोल जैसे मंझे हुए एक्टर्स के बीच अपनी जगह बनाना कोई छोटी बात नहीं है।
फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया
नादानियां से पहले हुई थी शूटिंग
अगर यह फिल्म इब्राहिम की डेब्यू फिल्म होती तो शायद उन्हें फायदा होता क्योंकि दर्शकों पर उनका फर्स्ट इंप्रेशन अच्छा होता। लेकिन नादानियां के बाद इस फिल्म में बेहतर प्रदर्शन करना केवल उन्हें एक अच्छे से कोशिश करने वाले अभिनेता का ही टैग दिला पाया। हालांकि सरजमीन की शूटिंग नादानियां से पहले ही हो चुकी थी तो ये किया जा सकता था। वहीं उनके को एक्टर पृथ्वीराज सुकुमारन का भी यही कहना है कि अगर ऐसा होता है तो इब्राहिम को इतना ट्रोल फेस नहीं करना पड़ता।
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यह लेफ्टिनेंट कर्नल विजय मेनन (पृथ्वीराज सुकुमारन) की कहानी है, जिसकी भावनात्मक बुद्धिमत्ता उस बर्फ से ढकी घाटी की तरह शुष्क है, जिसमें वह तैनात है। उसकी पत्नी मेहर (काजोल, अपने सबसे सपाट अभिनय में) अपने कठोर पति और उनके हकलाने वाले बेटे हरमन के बीच बढ़ती खाई को पाटने की कोशिश करती है।
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सरजमीन का प्लॉट काफी कुछ कहने की कोशिश करता है- कश्मीर में उग्रवाद, बाप-बटे के बीच का रिश्ता, और अपने आप को बेहतर बनाने की कवायद के बीच की भावनाओं को इब्राहिम ने काफी अच्छे से निभाया है। फिल्म में कई खामियां होने के बावजूद अपनी जगह बनाना कोई छोटी बात नहीं है। नादानियां में दिखने वाले ओवर कॉन्फिडेंस से लेकर सरजमीन में उनकी मैच्योर एक्टिंग तक का सफर सराहनीय है।
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