Deepika Padukone बनीं भारत की पहली मेंटल हेल्थ एंबेसडर, मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहे लोगों के लिए उठाएंगी आवाज
World Mental Health Day पर एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण को भारत की पहली मेंटल हेल्थ एंबेसडर चुना गया है। जानें क्या होगा एक्ट्रेस का काम?
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दीपिका पादुकोण बनीं भारत की पहली मेंटल हेल्थ एंबेसडर
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण का द लिव लव लाफ (एलएलएल) फाउंडेशन मेंटल अवेयरनेस फैलाने का काम करता है। दीपिका खुद पर्सनली भी मेंटल हेल्थ पर खुलकर बात करती आई हैं क्योंकि उन्होंने खुद ड्रिप्रेशन को झेला है। अब उन्हें एस ऐसा पद दे दिया गया है जिस पर रहते हुए वे मेंटल हेल्थ अवेयरनेस को और भी बड़े पैमाने पर फैला सकती हैं।
मेंटल हेल्थ एंबेसडर बनीं दीपिका पादुकोण
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) द्वारा एक्ट्रेस को पहली 'मानसिक स्वास्थ्य राजदूत (मेंटल हेल्थ एंबेसडर)' नियुक्त किया गया है। इस नियुक्ति का उद्देश्य भारत की मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रणाली को मजबूत करना और स्वास्थ्य के बारे में खुली बातचीत को बढ़ावा देना है।
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केंद्रीय मंत्री जे पी नड्डा ने कहा, 'दीपिका पादुकोण के साथ साझेदारी भारत में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में व्यापक रूप से जागरूकता फैलाने और इस पर चर्चाओं को नॉर्मल करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य के अलग-अलग पहलू के रूप में मानसिक स्वास्थ्य को उजागर करने में मदद करेगी'। एक्टर ने कहा, 'केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के पहले मानसिक स्वास्थ्य राजदूत के रूप में सेवा करने पर मुझे बेहद गर्व है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारत ने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने में काफी प्रगति की है। मैं इस गति को बनाए रखने और हमारे देश के मानसिक स्वास्थ्य ढांचे को और मजबूत करने के लिए मंत्रालय के साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूं'।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए लोगों को करेंगी जागरूक
अपने नए पद पर, वह मंत्रालय के साथ मिलकर लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में शिक्षित करेंगी और ज्यादा से ज्यादा भारतीयों को मदद लेने के लिए प्रोत्साहित करेंगी। वह टेली मानस जैसे सरकार कार्यक्रमों को भी बढ़ावा देंगी और समान मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की पहुंच के लिए स्ट्रैटजी बनाने में योगदान देंगी।
इससे पहले पादुकोण ने 2015 में द लिव लव लाफ की स्थापना के बाद से अपने सफर पर बातचीत की। उन्होंने कहा, 'दस साल पहले, यह लोगों को यह एहसास दिलाने के बारे में था कि वे जो महसूस कर रहे हैं उसका एक नाम है और मदद मांगना ठीक है। जब लोग मेरे पास आते हैं और कहते हैं, 'आपने एक जान बचाई है,' या 'आपने मेरी बेटी की मदद की है,' तो उस एहसास की तुलना किसी और चीज से नहीं की जा सकती'।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत में मानसिक स्वास्थ्य सेवा का भविष्य विज्ञान को योग और ध्यान जैसी भारतीय परंपराओं के साथ मिलाने और मानसिक स्वास्थ्य पर बातचीत को सामन्य बनाएगा। उन्होंने यह भी आशा व्यक्त की कि मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता एक दिन गली क्रिकेट की तरह व्यापक हो जाएगी।
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