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    Oscar Awards 2025: ऑस्‍कर पाने वाले को नहीं मिलते पैसे, बेचोगे तो बस 1 डॉलर मिलेगा; वाकई अनोखा है अवार्ड

    Updated: Mon, 03 Mar 2025 09:05 PM (IST)

    अमेरिका के लॉस एंजेलिस में भारतीय समयानुसार 3 मार्च सुबह साढ़े पांच बजे ऑस्‍कर अवार्ड समारोह संपन्न हुआ। फिल्‍मी दुनिया का सबसे बड़े अवार्ड में इस बार फिल्‍म अनोरा ने धूम मचाई। ऑस्‍कर कब और क्‍यों शुरू हुआ इसका असली नाम क्‍या है ऑस्‍कर ट्रॉफी कीमत कितनी है और क्‍या ऑस्कर जीतने वाला शख्स इसे बेच सकता है? जानिए ऑस्कर अवार्ड से जुड़े रोचक तथ्य...

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    जानिए ऑस्कर अवार्ड ट्रॉफी की कीमत, नियम और रोचक तथ्‍य। जागरण ग्राफिक्‍स टीम

    डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। अमेरिका के लॉस एंजेलिस में भारतीय समयानुसार आज यानी सोमवार सुबह साढ़े पांच बजे ऑस्‍कर अवार्ड समारोह संपन्न हुआ। इस बार के अवार्ड में सेक्‍स वर्कर पर बनी फिल्‍म अनोरा छाई रही। फिल्‍म को 5 कैटेगरी में अवार्ड मिले हैं। क्‍या आप जानते हैं कि चमकती-दमकती सोने की परत चढ़ी ऑस्‍कर ट्रॉफी कितने रुपये की है और क्‍या ऑस्कर जीतने वाला शख्स इसे बेच सकता है?

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    ऑस्कर ट्रॉफी की कीमत कितनी है?

    एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंस हर साल ऑस्‍कर अवार्ड समारोह आयोजित करती है। हर साल ऑस्‍कर अवार्ड समारोह पर अनुमानित 57 मिलियन अमेरिकी डॉलर (497.42 करोड़ रुपये) खर्च होता है। ऑस्‍कर अवार्ड समारोह में सबसे ज्यादा खर्च  24 कैरेट सोने की परत चढ़ी ट्रॉफी पर होता है। अगर सिर्फ एक ट्रॉफी की कीमत की बात करें तो करीब 400 अमेरिकी डॉलर ((35000 रुपये) है।

    ऑस्कर ट्रॉफी की डिजाइन कैसी है?

    ऑस्कर ट्रॉफी यानी तलवार पकड़े एक योद्धा, जो फिल्म की रील पर खड़ा है। रील पर पांच बिल्लियां भी उकेरी हुई हैं। ये तिल्लियां  फिल्म एकेडमी के पांच ब्रांच- एक्टर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, टेक्नीशियन और राइटर को दर्शाती हैं। ऑस्‍कर ट्रॉफी  13.5 इंच लंबी और 8.5 पाउंड (करीब 4 किलो वजनी) है। यह ट्रॉफी कांस्य की बनी होती है और इस पर 24 कैरेट सोने की परत चढ़ी होती है।

    हालांकि, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान कांस्‍य की कमी हो गई थी, तब तीन साल तक पेंट की गईं प्लास्टर से बनी ट्रॉफियां दी गई थीं। हालांकि, जंग खत्म होने के बाद एकेडमी ने इन सभी अवार्ड विजेताओं को सोने की परत चढ़ी ट्रॉफी देने के लिए बुलाया था।

    क्‍या ऑस्कर विजेता अपनी ट्रॉफी बेच सकता है?

    एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंस के नियमों के मुताबिक,  ऑस्कर अवॉर्ड जीतने वाला शख्स  या फिर कोई अन्‍य व्‍यक्ति इस ट्रॉफी को बाजार में नहीं बेच सकता है। ट्रॉफी को घर ले जाने से पहले ऑस्कर अवार्ड जीतने वाले शख्स से एक एग्रीमेंट पर साइन कराए जाते हैं, जिसमें स्पष्ट तौर पर ऑस्‍कर ट्रॉफी को न बेचने और न नष्ट करने की शर्तें लिखी होती हैं।

    नियम के मुताबिक, अगर ऑस्कर विजेता ट्रॉफी बेचता भी है तो उसे 35 हजार की ट्रॉफी के सिर्फ 87 रुपये मिलेंगे। अभी सोच रहे होंगे, कैसे तो आइए आपको नियम भी बता देते हैं...

    ऑस्‍कर अवार्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर लिखा है-

    अवार्ड विजेता ऑस्‍कर ट्रॉफी को न बचेंगे और न उसे डिस्पोजल करेंगे। अगर अवार्ड विजेता ऑस्‍कर ट्रॉफी बेचना चाहे तो उसे यह एकेडमी को 1 डॉलर यानी सिर्फ 87 रुपये में देनी होगी। यह नियम अवार्ड विजेता की मौत के बाद भी लागू होता है।  यानी कि विजेता के वारिस, उपहार या वसीयत में ट्रॉफी मिलने वाले पर भी यह नियम लागू होता है।

    2012 में कैसे हुई थी ऑस्‍कर ट्रॉफी की नीलामी?

    ऑस्‍कर अवार्ड समारोह का आयोजन पहली बार 16 मई 1929 को हुआ था। जबकि ऑस्‍कर अवार्ड ट्रॉफी को लेकर नियम 1951 में बनाए गए। ऐसे में अवार्ड विजेताओं ने 1951 से लागू नियमों की खामी (Loophole) ढूढ़ ली गई। नियम लागू होने से पहले यानी 1951 से पहले दिए गए 15 ऑस्‍कर अवार्ड की ट्रॉफियों को 2012 में नीलाम किया गया।

    तब ये ट्रॉफियां 30 लाख डॉलर (250 करोड़ रुपये) से ज्यादा तक की नीलाम हुई थीं। इनमें 1941 में बेस्ट स्क्रीनप्ले के लिए हरमन मैनक्यूविक्ज को मिली ऑस्‍कर ट्रॉफी सबसे महंगी 588,455 डॉलर (5.13 करोड़ रुपये) में बिकी थी। हालांकि, ध्‍यान देने वाली बात यह है कि 1951 के बाद कोई भी ट्रॉफी नहीं बिकी है।

    आधिकारिक नाम एकेडमी अवॉर्ड्स है तो फिर ऑस्‍कर अवार्ड क्‍यों कहा जाता है?

    सिनेमाई दुनिया के इस सर्वोच्च अवार्ड का आधिकारिक नाम - 'एकेडमी अवार्ड ऑफ मेरिट' है। हालांकि, यह 'ऑस्‍कर अवार्ड' के नाम से ज्‍यादा फेमस है। 'एकेडमी अवार्ड ऑफ मेरिट' का नाम 'ऑस्‍कर' कैसे पड़ा, इस की पूरी कहानी तो किसी को नहीं पता, लेकिन थ्‍योरी है - 1936 से लेकर 1943 तक एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंस की लाइब्रेरियन मार्गेट हेरिक थी।

    मार्गेट ने जब पहली बार ट्रॉफी को देखा तो कहा- ये तो मुझे मेरे अंकल ऑस्‍कर की तरह दिख रही है। उस वक्त वहां एक अखबार के कॉलमिस्ट वहां मौजूद थे, जिन्होंने अपने आर्टिकल में इसका जिक्र किया था। कहा जाता है कि यहीं से इस अवार्ड का निकनेम ऑस्कर अवॉर्ड्स पड़ गया।

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    ऑस्कर अवॉर्ड्स की शुरुआत क्यों और किसने की थी?

    अमेरिका के एमजीएम स्टूडियो के मालिक लुईस बी मेयर ने 1927 में अपने तीन दोस्‍तों- फिल्ममेकर फीड बिटसोन, एक्‍टर एक्टर कॉनरेड नागेल और डायरेक्टर फ्रैड निबलो के साथ मिलकर एक ऐसा ग्रुप बनाने के बारे में सोचा था, जिससे पूरी फिल्म इंडस्ट्री लाभ पहुंचे। इसी के साथ एक ऐसा अवार्ड शुरू करने के बारे में भी सोचा, जो फिल्म बनाने वालों को उत्साहित करे।

    लुईस बी मेयर ने इस आइडिया को आगे बढ़ाने के लिए लॉस एंजिल्स के बिल्टमोर होटल में रात्रिभोज रखा। इसमें हॉलीवुड की 36 नामचीन हस्तियों को आमंत्रित किया था। इन सभी के सामने लुईस ने एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर ऑफ आर्ट एंड साइंस (AMPAS) बनाने के बारे में बताया। इस पर सभी राजी हो गए। बस फिर क्‍या था, इस प्रस्‍ताव पर तेजी से काम किया गया।

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    पहली बार 16 मई 1929 को रूजवेल्ट होटल के ब्लॉसम रूम में अवार्ड समारोह का आयोजन किया गया था। इस समारोह में 270 हस्तियों ने शिरकत की थी। तब समारोह में शामिल होन के लिए 5 डॉलर ( मौजूदा वक्‍त के 100 डॉलर) की सदस्यता लेनी पड़ी थी।

    तब से लेकर आज तक यह एकेडमी अवार्ड देती है। वर्तमान में इस एकेडमी में फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े 10 हजार से ज्‍यादा सदस्य हैं। खास बात यह है कि यह एकेडमी फिल्‍मी दुनिया से बाहर के लोगों को सदस्यता नहीं देती है।

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    Source:

    • ऑस्‍कर की आधिकारिक वेबसाइट
    • https://www.oscars.org/oscars/statuette