Andaaz 2 Review: सबकुछ समेटने के चक्कर में फैला दिया रायता, पुराने मसालों का बेस्वाद 'अंदाज' है कहानी
Andaaz 2 Movie Review प्रियंका चोपड़ा अक्षय कुमार और लारा दत्ता अभिनीत ओरिजनल फिल्म अंदाज़ की रिलीज के दो दशक से भी ज्यादा समय बाद इसकी फ्रेंचाइजी ने दूसरी कहानी पेश की। अंदाज 2 आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। आयुष कुमार आकाश और नताशा फर्नांडीज अभिनीत यह रोमांटिक ड्रामा फिल्म नए कलाकारों के साथ भारी उम्मीदें लिए बड़े पर्दे पर उतरी लेकिन कमाल करने में असफल रही।
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। आयुष कुमार स्टारर फिल्म अंदाज 2 सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। फिल्म में एक संवाद है कि हम दो मिनट की शौहरत कमाने नहीं आए अपना हुनर दिखाने है। यह बात अंदाज 2 के कलाकारों पर पूरी तरह फिट बैठती है। इस फिल्म से आयुष शर्मा, अकाइशा अभिनय में पदार्पण कर रहे हैं। उन्हें अपना हुनर दिखाने का मौका मिला, लेकिन स्क्रिप्ट में कसाव और नयापन नहीं होने से फीकी हो गई है।
क्या है अंदाज 2 की कहानी?
कहानी यूं है कि आरव (आयुष कुमार) का सपना बड़ा गायक बनने का है। वह अपने दो दोस्तों के साथ शादी में परफॉर्म करता है। हालांकि उसके पिता विकास (संजय मेहंदीरत्ता) को यह बात पसंद नहीं। वह चाहते हैं कि आवारा दोस्तों के साथ घूमने के बजाए वह नौकरी करे। मां सुलेखा (नीतू पांडेय) बेटे का साथ देती हैं। स्विमिंग पूल से अलीशा (अकाइशा) का महंगा मोबाइल फोन चोरी करके भाग रहे गुंड़े येड़ा अन्ना (जीतू वर्मा) को आयुष पकड़ता है। उसके बाद क्लब में परफॉर्म करने के बाद अलीशा और आरव की मुलाकात होती है। उधर, प्रियंका (नताशा फर्नांडीज) आरव को अपनी कंपनी के साथ अनुबंध के लिए बुलाती है। अलीशा ही प्रियंका की छोटी बहन है। प्रियंका को भी आरव से प्रेम हो जाता है।
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आरव की जिंदगी में आती है मुसीबत
उसे अलीशा और आरव के प्रेम संबंधो का पता चलता है। गुस्से में वह आरव का अनुबंध रद कर देती है। आरव के विरोध जताने पर प्रियंका शर्त रखती है कि अलीशा से दूर रहना होगा। आरव इनकार कर देता है। उधर आरव के पिता की तबियत बिगड़ती है। किडनी ट्रांसप्लांट कराने के लिए मोटी रकम की जरूरत है। आरव पैसों के लिए समझौता करेगा या कोई और रास्ता अपनाएगा कहानी इस संबंध में हैं।
लव ट्रायंगल पर आधारित है फिल्म की कहानी
अंदाज 2 साल 2003 में आई प्रियंका चोपड़ा, अक्षय कुमार और लारा दत्ता अभिनीत फिल्म अंदाज की फ्रेंचाइज है। हालांकि इसका मूल फिल्म से कोई लेना देना नहीं है। बस दोनों में एक ही समानता है कि दोनों की कहानियां त्रिकोणीय प्रेम पर हैं। एक हसीना थी एक दीवाना था फिल्म की रिलीज के करीब आठ साल बाद सुनील दर्शन ने अंदाज 2 का निर्देशन किया है। अंदाज 2 में नीरज श्रीधर का गाया गाना इश्क जुनूनी है कर्णप्रिय है। मूल फिल्म का गाना रब्बा इश्क न होवे का रीक्रिएटेड वर्जन सुनना अच्छा लगता है।
सुनील से कहां हुई चूक?
सुनील ने त्रिकोणीय प्रेम के साथ पारिवारिक मूल्यों, बेटा बेटी की जिम्मेदारी, बराबरी जैसे मुद्दों को उठाने का प्रयास किया है। हालांकि निर्माता, निर्देशक के साथ लेखक, संवाद और स्क्रिनप्ले की जिम्मेदारी संभालने की कोशिश में वह सबके साथ न्याय नहीं कर पाए। फिल्म की शुरुआत में आरव और येढ़ा अन्ना के बीच टकराव का आधार बेहद कमजोर है। अगर येढ़ा इतना बड़ा गुंडा है तो मोबाइल चोरी क्यों करता है? प्रियंका का आरव के प्रति प्रेम और नफरत दोनों ही पूरी तरह से स्थापित नहीं हो पाया है। अलीशा और आरव की प्रेम कहानी में प्रेम का अहसास गायब है। प्रियंका और आरव के बीच टकराव भी दमदार नहीं बन पाया है।
फिल्म के फर्स्ट हाफ में ही प्रियंका को अपनी बहन और आरव के रिश्तों का पता चल जाता है। उसके बाद लगता है कि कहानी में बड़ा मोड़ आएगा लेकिन उसमें कोई नयापन नहीं दिखता। अलीशा गुजरे जमाने की लड़कियों की तरह बेबस और असहाय नजर आती हैं। उसे उम्मीद होती है कि आरव आकर उसकी रक्षा करेगा। यह घिसे पीटे फार्मूले कहानी को कमजोर बनाते हैं। आखिर में क्लाइमेक्स तेजी से निपटाया गया दिखता है।
कलाकार फिल्म में जान डालने में असफल?
आयुष कुमारऔर अकाइशा मासूम लगे हैं। दोनों को यहां पर टिके रहने के लिए अपने अभिनय को और निखारना होगा। नताशा भी खूबसूरत दिखी हैं लेकिन उनका पात्र पूरी तरह उबर नहीं पाया है। मां की भूमिका में नीतू पांडेय काम सराहनीय है। डाली बिंद्रा के पात्र में कोई नयापन नहीं है। इस फिल्म में नवोदित कलाकारों को मौका मिला है, लेकिन मसाले पुराने और घिसे पिटे हैं। इस वजह से इसका अंदाज लुभावना नहीं बन पाया है।
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