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    The Bhootnii Review: लव स्‍टोरी में हॉरर-कॉमेडी का तड़का, बदल गया भूत भगाने का तरीका; क्‍यों देखने जाएं यह मूवी?

    Updated: Thu, 01 May 2025 04:29 PM (IST)

    सिद्धांत सचदेव निर्देशित हॉरर कॉमेडी मूवी द भूतनी आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्‍म की कहानी दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक कॉलेज और एक भूतनी के इर्द-गिर्द घूमती है जिसे एक छात्र से प्यार हो जाता है। संजय दत्त एक भूत भगाने वाले ओजा के तौर पर दिखाया जाता है। अब भी जानना चाह रहे होंगे कि फिल्‍म कैसी है तो यहां पढ़ें फिल्‍म का रिव्‍यू ...

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    The Bhootni मूवी रिव्यू: अलग कॉन्‍सेप्‍ट में हॉरर कॉमेडी

    प्रियंका सिंह, मुंबई। इन दिनों हॉरर कॉमेडी फिल्मों बनाने को लेकर होड़ मची है। एक ओर निर्माता दिनेश विजन आठ हॉरर कॉमेडी फिल्में लेकर आ रहे हैं तो वहीं 'द भूतनी' के निर्देशक सिद्धांत सचदेव कह चुके हैं कि इसे वह फ्रेंचाइजी में तब्‍दील करेंगे। हालांकि इसे यूनिवर्स में तब्दील करने के बारे में उन्हें तब सोचना चाहिए, जब फिल्म दर्शकों को पसंद आए।

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    'द भूतनी' आज रिलीज हो गई है, अब भी जानना चाह रहे होंगे कि फिल्‍म कैसी है तो यहां पढ़ें...

     'द भूतनी' की क्‍या कहानी है?

    कहानी शुरू होती है दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट विसेंट कॉलेज की, जिसमें वर्जिन ट्री है। उसकी पूजा हर वैलेंटाइन्स डे को वे प्रेमी करते हैं, जो सच्ची मोहब्बत  को पाना चाहते हैं। उसके पास ही एक और पेड़ है, जिससे शांतनु (सनी सिंह) वर्जिन ट्री समझकर सच्ची मोहब्बत मांगता है।

    बदले में उसे मोहब्बत (मौनी रॉय) मिलती है, लेकिन वह शांतनु के अलावा किसी को नजर नहीं आती, क्योंकि वो भूतनी है। कॉलेज में हो रही पैरानॉर्मल एक्टिविटी की वजह से घोस्ट हंटर और पैराफिजिसिस्ट डॉक्टर कृष्णा त्रिपाठी (संजय दत्त) को बुलाया जाता है। आगे किसे सच्ची मोहब्बत मिलती है, किसे नहीं? उसके लिए फिल्म देखनी होगी।  

    फिल्मकार करण जौहर ने कॉलेज की एक दुनिया दर्शकों को दिखाई थी, जिसमें फैशन, फैशन और फैशन था। पढ़ाई-लिखाई की कोई बात नहीं थी। ऐसा ही कॉलेज 'द भूतनी' में है, लेकिन यह करण के कॉलेज का सस्ता वर्जन है, फैशन कम, लेकिन पढ़ाई यहां भी नहीं होती। पौधे लगाना, दीवारों पर पेंटिंग करना है, वर्जिन ट्री की पूजा करना, टूटते तारे को देखकर विश मांगने वाला काम चलता है।

    कॉलेज में आत्महत्याएं हो रही हैं, लेकिन कोई केस या उसकी खोजबीन की बात नहीं। कॉलेज का मैनेजमेंट भी बस भूत पकड़ने वाले को लाकर बिठा देता है। फिल्म के अनुसार, निर्देशक सिद्धांत सचदेव ने नया कॉन्सेप्ट लाने की कोशिश की है, लेकिन उनकी और वंकुश अरोड़ा का खराब स्क्रीनप्ले फिल्म को न कॉमेडी न हॉरर, कोई दिशा नहीं देता है।

    फिल्म में संजय जब भूतों को भगाकार पूछते हैं कि कैसा लगा? इस पर वहां मौजूद व्यक्ति कहता है कि ऐसा लगा जैसे नागिन सीरियल की शूटिंग लाइव देखकर आ रहा हूं। वैसा ही हाल फिल्म का है। हालांकि, फिल्म के डायलॉग्स बीच-बीच में कॉमेडी का तड़का लगाते हैं। अमर मोहिले का बैकग्राउंड स्कोर हॉरर फिल्म के अनुसार दमदार नहीं है।

    द भूतनी में क्या नया है?

    फिल्म में बस नयापन यह है कि भूतों को भगाने के लिए हनुमान चालीसा की बजाय शिव तांडव का प्रयोग है। भूत पकड़ने वाला मॉडर्न तांत्रिक है, जो विज्ञान की मदद से भूतों को पकड़ता है। साल्ट बुलेट से लेकर लोहे से बने हथियार तक सब रखता है, जैसा जिस भूत को मारने में काम आए। फिल्म के गाने ऐसे नहीं जो आप थिएटर से बाहर निकलने पर गुनगुनाएं।

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    अभिनय की बात करें तो मौनी रॉय अपने चिरपरिचित अंदाज में हैं। उन पर भूतनी, नागिन जैसे रोल सूट करते हैं। कॉमेडी में माहिर सनी सिंह को हॉरर कॉमेडी रास नहीं आई। पलक तिवारी का रोल भी आधा अधूरा सा है।

    निक और आसिफ खान अपने चुटकुले संवादों से मुस्कान लाते हैं। भूत पकड़ने वाले मॉडर्न बाबा के रोल में संजय दत्त स्वैग तो खूब दिखाते हैं, लेकिन स्क्रीनप्ले कमजोर हो, तो वह भी क्या कर सकते थे। अगर आपको हॉरर कॉमेडी पसंद है तो यह मूवी देखने जरूर जाएं। 

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