Ramanand Sagar की रामायण के अरविंद त्रिवेदी को लोग सच में समझने लगे थे रावण, संसद में भी गूंजा था नाम
रामानंद सागर की रामायण (Ramayan) में रावण का किरदार निभाने वाले अरविंद त्रिवेदी ने छोटे पर्दे पर अपनी भूमिका को बखूबी निभाया। रावण के लुक से लोग डर जाते थे खासकर बच्चे। लोग उन्हें असल जिंदगी में भी रावण मानने लगे थे। राजनीति में आने के बाद भी लोग उन्हें रामायण के किरदार से ही पहचानते थे। आज बात संसद से जुड़े एक किस्से की कर रहे हैं।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। रामानंद सागर के धार्मिक सीरियल रामायण का हमेशा टीवी लवर्स के बीच जिक्र चलता है। इसमें काम करने वाले कलाकारों को लोगों ने असल जिंदगी में भगवान समझना शुरू कर दिया था। राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल खुद बता चुके हैं कि एक बार एयरपोर्ट पर उनके पैर छुने के लिए एक महिला आई। हालांकि, रावण का किरदार निभाने वाले एक्टर के साथ कुछ इसके ठीक विपरीत हुआ।
अरविंद त्रिवेदी ने रामायण में रावण का किरदार निभाया था। उन्होंने अपने काम को बखूबी छोटे पर्दे पर पूरा किया। यही कारण है कि जब भी रावण का जिक्र होता है, तो लोगों के दिमाग में पहली छवि उनकी ही बनती है। रामायण सीरियल ने भगवान राम के प्रति लोगों की श्रद्धा और भक्ति भाव को बढ़ाने का काम किया है। उन्होंने टीवी पर ऐसा अभिनय किया कि लोग उन्हें असल जिंदगी में रावण ही मानने लगे थे।
रावण को देखकर डर जाते थे छोटे बच्चे
अरविंद त्रिवेदी ने रावण वाले लुक से लोगों के बीच खौफ पैदा कर दिया था। खासकर इस सीरियल को देखने वाले बच्चे रावण को देखकर डरने लगे थे। इतना ही नहीं, परिवार के लोग बच्चों को रावण का नाम लेकर डराने लगे थे। ज्यादातर माता-पिता कहते थे कि सो जाओ वरना रावण आ जाएगा।
Photo Credit- IMDb
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राजनीति में आने के बाद भी रही रावण की पहचान
दर्शकों के दिलों में उनका किरदार इस कदर बस गया कि राजनीति में एंट्री लेने के बाद भी लोग उनके रामायण के किरदार को आसानी से पहचान जाते थे। एक्टर के लिए एक मुश्किल बात यह भी थी कि लोग उन्हें रावण के नाम से ही पुकारने लगे थे और कुछ लोग, तो उन्हें रावण ही समझने लगे थे।
Photo Credit- IMDb
साल 1991 में अरविंद त्रिवेदी भारतीय जनता पार्टी से चुनाव जीतक गुजरात की साबरकांठा सीट से लोकसभा सांसद चुने गए थे। जब रामायण के रावण पहली बार संसद पहुंचे थे, तो वहां मौजूद कर्मचारियों ने उन्हें देखते ही कहा, अरे रावण आ गया। यह किस्सा अरविंद त्रिवेदी कई इंटरव्यू में बता चुके हैं कि वह पल उनके लिए खुद हैरानी भरा था, क्योंकि लोग उनका असली नाम भूल चुके थे, लेकिन उनके किरदार का नाम हमेशा सभी को याद रहता था।
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