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    AFC Asian Cup Qualifiers: भारतीय टीम को बांग्‍लादेश के खिलाफ ड्रॉ से करना पड़ा संतोष, मैच में नहीं लगा एक भी गोल

    Updated: Wed, 26 Mar 2025 11:16 AM (IST)

    भारत और बांग्लादेश की फुटबॉल टीम ने मंगलवार को 2027 एएफसी एशियाई कप क्वालीफाइंग दौर के मैच में गोल रहित ड्रॉ खेला। बांग्लादेश पहले हाफ में थोड़ी बेहतर थी लेकिन उसे कोई स्पष्ट मौका नहीं मिला उसने इस दौरान थोड़े अधिक आक्रामक मूव और कॉर्नर किक हासिल किए। लेकिन भारत ने अगले 45 मिनट यानी दूसरे हाफ में काफी बेहतर प्रदर्शन किया।

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    भारत और बांग्‍लादेश के बीच मैच ड्रॉ (Pic Courtesy - Indian football team X)

    स्‍पोर्ट्स डेस्‍क, नई दिल्‍ली। भारतीय टीम ने मंगलवार को एएफसी एशियन कप क्‍वालीफायर्स के तीसरे राउंड में बांग्‍लादेश के खिलाफ गोलरहित ड्रॉ खेला। शिलांग के जवाहरलाल नेहरू स्‍टेडियम में खेले गए मुकाबले में दोनों टीमों का स्‍कोर 0-0 से बराबर रहा।

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    इस मुकाबले की काफी चर्चा थी क्‍योंकि प्रीमियर लीग स्‍टार हमजा चौधरी- (मौजूदा समय में लेस्‍टर सिटी से शेफील्‍ड यूनाइटेड में लोन पर हैं), ने बांग्‍लादेश के लिए डेब्‍यू किया था। इसके साथ ही संन्‍यास से यू-टर्न लेने वाले भारतीय कप्‍तान सुनील छेत्री पर भी सबकी नजरें थीं। हालांकि, दोनों ही खिलाड़ी उम्‍मीदों पर खरे नहीं उतर सके।

    हमजा जहां मैच में अधिकांश समय शांत रहे, वहीं छेत्री को कई मौके मिले, लेकिन एक बार भी वो गेंद को जाली में भेदने में नाकाम रहे। 85वें मिनट में छेत्री को मैदान से बाहर बुला लिया गया।

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    शुभाशीष बोस ने प्रभावित किया

    शुभाशीष बोस भले ही कागज पर सेंटर बैक की पोजीशन पर थे, लेकिन भारतीय जर्सी में जब वो मैदान में उतरे तो सभी तरफ दौड़ लगाकर अपने जज्‍बे और खेल से काफी प्रभावित किया। चाहे लंबी रेंज के शॉट्स खेलने हो या फिर विरोधी खिलाड़ी से गेंद छुड़ानी हो या शानदार डिफेंस करना हो, ये सभी चीजें बोस ने की।

    बोस ने बांग्‍लादेश के खिलाफ अपना सबकुछ झोंका। चाहे गेंद को आगे ले जाकर आक्रमण करना हो या फिर पहले हाफ में गोल-लाइन क्‍लीयरेंस देना हो। बोस ने टीम हित में अपना समर्पण दिखाया।

    छेत्री पर कब तक निर्भरता रहेगी

    भारतीय टीम के हेड कोच मानोलो मर्केज को एक समस्‍या का समाधान करना है। उन्‍हें विरोधी खेमे की जाली में गेंद भेदने वाले मजबूत स्‍ट्राइकर की खोज करना है। इसमें कोई शक नहीं कि जब सुनील छेत्री मैदान में हो तो पूरा ध्‍यान उन्‍हीं पर होता है। मगर भारतीय टीम कब तक छेत्री पर निर्भर रहेगी।

    छेत्री को गोल करने के मौके मिले, लेकिन वह इसे भुना नहीं पाए। जब भारत के पास फारूख चौधरी जैसे युवा उपलब्‍ध हो तो उन्‍हें मौका कब मिलेगा। कोच को यह सुनिश्चित करना होगा कि अगली पीढ़ी टीम का भार संभालने के लिए तैयार है।

    मिडफील्‍ड बड़ी समस्‍या

    बांग्‍लादेश ने मैच में भारत की कमजोरी उजागर कर दी। बांग्‍लादेश ने दर्शाया की भारत की मिडफील्‍ड कमजोर है। भारत के पास विकल्‍प जरूर हैं, लेकिन उसने अपनी प्‍लेइंग टीम में मिडफील्‍ड में धाकड़ खिलाड़ी को नहीं चुना। आगे चलकर देखना होगा कि कोच मर्केज इस कमजोरी को ठीक करने में सफल रहते हैं या नहीं।

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