अहमदाबाद अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव: सिनेमा के जरिए सामाजिक बदलाव की अनूठी मिसाल
इस वर्ष AIFF को देश-विदेश से 3600 से अधिक प्रविष्टियां प्राप्त हुईं जिनमें लघु फिल्में वृत्तचित्र एनीमेशन दिव्यांग रचनाएं स्कूल प्रोजेक्ट्स संगीत वीडियो और फीचर फिल्में शामिल थीं। इनमें से 260 फिल्मों का चयन किया गया। ये फिल्में हिंदी गुजराती तमिल तेलुगु रूसी फ्रेंच अरबी और स्पेनिश सहित एक दर्जन भाषाओं में थीं जो महोत्सव को एक वैश्विक मंच प्रदान करती हैं।

जहां भारत में साल भर 100 से अधिक फिल्म समारोहों का आयोजन होता है, वहीं अहमदाबाद अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (AIFF) ने अपनी एक अलग पहचान और सार्थक उद्देश्य से सिनेमा की दुनिया में विशेष स्थान बनाया है। यह केवल फिल्मों का उत्सव नहीं, बल्कि सामाजिक समावेशन, कलात्मक उत्कृष्टता और प्रेरणादायक नेतृत्व का प्रतीक बन चुका है।
महोत्सव के 16वें संस्करण का आयोजन 23–24 अप्रैल को हुआ और 25 अप्रैल को टैगोर हॉल में इसका भव्य समापन समारोह संपन्न हुआ। इस आयोजन की विशेष बात यह रही कि इसे 80% शारीरिक रूप से अक्षम, लेकिन असीम मानसिक शक्ति से प्रेरित आध्यात्मिक मार्गदर्शक ओमगुरु ने सफलतापूर्वक आयोजित किया।
इस वर्ष AIFF को देश-विदेश से 3600 से अधिक प्रविष्टियां प्राप्त हुईं, जिनमें लघु फिल्में, वृत्तचित्र, एनीमेशन, दिव्यांग रचनाएं, स्कूल प्रोजेक्ट्स, संगीत वीडियो और फीचर फिल्में शामिल थीं। इनमें से 260 फिल्मों का चयन किया गया। ये फिल्में हिंदी, गुजराती, तमिल, तेलुगु, रूसी, फ्रेंच, अरबी और स्पेनिश सहित एक दर्जन भाषाओं में थीं, जो महोत्सव को एक वैश्विक मंच प्रदान करती हैं।
सपनों की उड़ान अहमदाबाद से: ओमगुरु की प्रेरक कहानी
महज आठ वर्ष की उम्र में विकलांगता का सामना करने वाले ओमगुरु ने कभी भी अपने सपनों को सीमाओं से नहीं बांधा। उन्होंने यह साबित किया कि सिनेमाई उत्कृष्टता मुंबई या किसी बड़े शहर की बपौती नहीं, बल्कि किसी भी जगह और किसी भी व्यक्ति से जन्म ले सकती है। अहमदाबाद से शुरू हुआ उनका यह प्रयास अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान प्राप्त कर चुका है।
ओमगुरु का मानना है कि, "सिनेमा भावनाओं को जगाने और विचारों को जन्म देने का सशक्त माध्यम है।" उनका उद्देश्य ऐसा मंच तैयार करना है, जहां परंपरा और नवीनता का संगम हो, और जहां दिव्यांगता कोई सीमा नहीं बल्कि सृजनात्मकता का विस्तार बने।
विकलांगता नहीं, प्रेरणा बनी कहानी
AIFF विशेष रूप से उन फिल्मों को प्रोत्साहित करता है, जो दिव्यांगजनों के जीवन और उपलब्धियों को सम्मानित करती हैं। इस वर्ष कबीर खान की फिल्म चंदू चैंपियन जो भारत के पहले पैरालिंपिक स्वर्ण पदक विजेता पद्मश्री मुरलीकांत पेटकर पर आधारित है को विशेष सम्मान प्रदान किया गया। कार्तिक आर्यन को मुख्य भूमिका निभाने के लिए विशेष महोत्सव पुरस्कार और स्वयं मुरलीकांत पेटकर को लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार दिया गया।
AIFF: एक मंच, एक मिशन
AIFF केवल एक महोत्सव नहीं, बल्कि महत्वाकांक्षी फिल्म निर्माताओं, संपादकों, एनिमेटरों और कहानीकारों के लिए एक ऐसा मंच है, जो उन्हें समीक्षकों, उद्योग विशेषज्ञों और पारखी दर्शकों से जोड़ता है। ओमगुरु का सपना एक ऐसे रचनात्मक समुदाय का निर्माण करना है जो सांस्कृतिक रूप से समावेशी और सामाजिक रूप से जागरूक हो।
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