Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    IVF डॉक्टर पर किसी दूसरे के शुक्राणु के इस्तेमाल का आरोप, हाई कोर्ट ने दिया जांच का आदेश

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Sun, 13 Jul 2025 03:07 AM (IST)

    गुजरात की एक महिला ने आइवीएफ चिकित्सक के खिलाफ किसी अन्य व्यक्ति के शुक्राणु से उसकी पुत्री का जन्म कराने का आरोप लगाया है। पुत्री के बीमार होने पर महिला ने उसका डीएनए टेस्ट कराया। इसके बाद इसे मामले का पर्दाफाश हुआ। इस संबंध में महिला ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई है। हाई कोर्ट ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं।

    Hero Image
    IVF डॉक्टर पर किसी दूसरे के शुक्राणु के इस्तेमाल का आरोप (सांकेतिक तस्वीर)

     शत्रुघ्न शर्मा, अहमदाबाद। गुजरात के वडोदरा की एक महिला ने आइवीएफ चिकित्सक के खिलाफ किसी अन्य व्यक्ति के शुक्राणु से उसकी पुत्री का जन्म कराने का आरोप लगाया है। पुत्री के बीमार होने पर महिला ने उसका डीएनए टेस्ट कराया। इसके बाद इसे मामले का पर्दाफाश हुआ। इस संबंध में महिला ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई है। हाई कोर्ट ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पूरा मामला मेडिकल रिपोर्ट पर टिका

    इस मामले में विशेषज्ञों का कहना है कि पैसों के लिए आइवीएफ चिकित्सक ने ऐसा किया होगा, इसकी उम्मीद बहुत कम है। लेकिन पूरा मामला मेडिकल रिपोर्ट पर टिका है। वह कुछ और कहानी बयां कर रही है। इसलिए, मामला सीधा तो नहीं लगता है।

    पति के शुक्राणु को लेकर फ्रीज कर लिया

    एक दंपत्ती ने 2023 में वडोदरा की महिला चिकित्सक से मिलकर आइवीएफ से बच्चे को जन्म देने की इच्छा जताई। डॉ. सुषमा लक्ष्मी ने इस दंपत्ती से मिलने के बाद आइवीएफ से बच्चे का जन्म कराने के लिए मार्च 2024 में मेडिकल प्रक्रिया शुरू की। उसके पति के शुक्राणु को लेकर फ्रीज कर लिया।

    महिला चिकित्सक ने आइवीएफ के लिए साढ़े पांच लाख रुपये लिए थे। चिकित्सकों की टीम ने पति का शुक्राणु लेने के बाद इन वीट्रो फर्टिलाइजेशन प्रक्रिया शुरू की। लेकिन, पहला प्रयास विफल गया। कुछ दिनों बाद दूसरे प्रयास में महिला गर्भवती हुई और एक पुत्री को जन्म दिया। अप्रैल 2024 में जन्म के कुछ समय बाद पुत्री बीमार हुई तो उसका ब्लड टेस्ट कराया गया।

    पुलिस ने उनकी नहीं सुनी तो हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

    महिला का आरोप है कि उसका व पति का ब्लड ग्रुप ओ है, लेकिन पुत्री का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव आया तो उन्होंने डीएनए टेस्ट कराया। इससे पता चला कि उसके पति इस बच्ची के जैविक पिता नहीं हैं। महिला ने चिकित्सक के खिलाफ पुलिस से शिकायत की लेकिन पुलिस ने उनकी नहीं सुनी तो हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    हाई कोर्ट के न्यायाधीश हंसमुख सुथार ने इस मामले की चार सप्ताह में जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। देश में इस तरह के मामले पहले भी आए हैं, जिसमें पैसों के लिए चिकित्सक गड़बड़ी कर चुके हैं। लेकिन गुजरात में अपनी तरह का यह पहला मामला है।

    आइवीएफ से पैदा हुई बच्ची का डीएनए पिता से न मिलने को विशेषज्ञ मानवीय भूल के रूप में देखते हैं। उनका मानना है कि जो मेडिकल रिपोर्ट सामने है, उसे नकारा नहीं जा सकता। लेकिन डॉ. सुषमा ने ऐसा किया हो विश्वास करना मुश्किल है।

     आइवीएफ के लिए स्पर्म को एक चेंबर में रखा जाता है

    वैसे उनका मानना है कि 99 प्रतिशत मामलों में संतान में माता-पिता का ब्लड ग्रुप ही आता है। एक लाख में एक केस हो सकता है जिसमें संतान का ब्लड ग्रुप माता-पिता से अलग हो। ध्यान देने वाली बात यह है कि आइवीएफ के लिए स्पर्म को एक चेंबर में रखा जाता है। इसमें उनको एक बैच व कोड दिया जाता है।

    नए प्रजनन कानून को काफी सख्त

    यहां मानवीय भूल की संभावना रहती है। नए प्रजनन कानून को काफी सख्त बनाया गया है। भारी जुर्माने के साथ ही पांच से 10 वर्ष की सजा का भी प्रविधान है। इसलिए कोई चिकित्सक जानबूझकर ऐसा करेगा, इसकी संभावना बहुत कम है।