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    Gujarat: हाई कोर्ट को भरोसा देकर पुलों की देखभाल करना भूल गई गुजरात सरकार, स्थानीय लोगों ने चेताया लेकिन नहीं खुली आंख

    Updated: Fri, 11 Jul 2025 07:01 AM (IST)

    मोरबी झूलता पुल हादसे के बाद गुजरात सरकार ने हाई कोर्ट के समक्ष राज्य में उपयोग में लिए जा रहे पुलों के रखरखाव को लेकर जो बातें कही थीं यदि उनका पालन किया जाता तो गंभीरा पुल हादसे को टाला जा सकता था। वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले मोरबी में मच्छु नदी पर बने झूलता पुल के टूटने से 144 लोगों की जान गई थी।

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    हाई कोर्ट को भरोसा देकर पुलों की देखभाल करना भूल गई गुजरात सरकार (फोटो- एक्स)

     शत्रुघ्न शर्मा, जागरण, अहमदाबाद। मोरबी झूलता पुल हादसे के बाद गुजरात सरकार ने हाई कोर्ट के समक्ष राज्य में उपयोग में लिए जा रहे पुलों के रखरखाव को लेकर जो बातें कही थीं, यदि उनका पालन किया जाता तो गंभीरा पुल हादसे को टाला जा सकता था।

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    मोरबी पुल हादसे के बाद ऑडिट की घोषणा की गई थी

    वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले मोरबी में मच्छु नदी पर बने झूलता पुल के टूटने से 144 लोगों की जान गई थी। इस हादसे के बाद सरकार ने एक परिपत्र जारी कर राज्य के सभी 1554 पुलों की देखरेख, स्ट्रक्चर के ऑडिट, निरीक्षण मरम्मत को लेकर एक पालिसी की घोषणा की थी।

    सरकार ने हाई कोर्ट को भी राज्य के सभी छोटे-बड़े पुलों की जानकारी देते हुए भरोसा दिलाया था कि उनका नियमित निरीक्षण कर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे लेकिन समय के साथ सरकार खुद इस बात को भूल गई।

    बड़ी संख्या में भारी वाहन गुजरने लगे

    गंभीरा पुल की बात की जाए तो अगस्त 2022 से इस पुल को लेकर स्थानीय लोगों में चिंता थी। मुंबई-अहमदाबाद हाईवे पर टोल बचाने के लिए बड़ी संख्या में भारी वाहन, टैंकर व ट्राले भी इस पुल से होकर गुजरने लगे थे।

    मुख्यमंत्री व जिला कलक्टर को शिकायत करने वाले जिला पंचायत सदस्य हर्षद सिंह परमार बताते हैं कि ट्रक व भारी वाहनों के गुजरते वक्त पुल के स्तंभों में कंपन होता था। रोड एंड बिल्डिंग विभाग की जांच में यह कंपन पुल के लिए खतरनाक बताया गया था, लेकिन पुल की सुरक्षा एवं मरम्मत के नाम पर महज लीपापोती कर उसे रामभरोसे छोड़ दिया गया।

    गुजरात में बीते नौ वर्ष में छोटे बड़े 21 पुल टूट चुके हैं

    कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोशी का आरोप है कि राज्य में बीते नौ वर्ष में छोटे बड़े 21 पुल टूट चुके हैं लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगती। कांग्रेस इस हादसे की जांच सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जज की अध्यक्षता में कराने की मांग करती है।

    अधिकारियों की समिति से जांच कराने की घोषणा की

    उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अपने ही विभागों के अधिकारियों की समिति से जांच कराने की घोषणा की है जो नाकाफी है। सरकार की देखरेख में ही सड़कों व पुलों के निर्माण में भारी भ्रष्टाचार व्याप्त है।