अंबाला में अंग्रेजों के जमाने का थाना, यहां काम करने में कर्मचारियों को सताता है ये डर
Ambala News अंबाला में 80 साल पुराना अंग्रेजों के जमाने का जीआरपी थाना (GRP Station) है। यहां पर कर्मचारियों को अंदर बैठकर काम करने में डर लगता है। इस ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, अंबाला। 80 साल पुरानी राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) थाने का स्वरूप बदलेगा। वार्षिक निरीक्षण के दौरान छावनी पहुंचे उत्तर रेलवे महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने जानकारी देते हुये बताया कि यह स्थानीय स्तर का मामला है। जीआरपी उनकी सहयोगी सुरक्षा टीम है, इसलिये उनकी परेशानी का समाधान करना रेलवे की जिम्मेदारी है। नई इमारत के लिए जगह देने सहित अन्य प्रक्रिया को लेकर जल्द ही योजना तैयार की जायेगी ताकि उनकी उचित मांग को पूरा किया जा सके। इस संबंध में मंडल रेल प्रबंधक से भी मंत्रणा की जायेगी। वहीं जीआरपी अधिकारियों से भी विस्तृत योजना की रिपोर्ट मांगी जायेगी।
जान जोखिम में डाल काम कर रहे कर्मचारी
छावनी के राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) की नई इमारत बनाने के लिये करीब 14 साल पहले डीजीपी ने शिलान्यास तक किया, लेकिन नया भवन नहीं बना। लगभग 80 साल पुराने जीआरपी थाने की इमारत बेहतर ही दयनीय है। 70 जीआरपी कर्मचारी जान-जोखिम में डालकर ड्यूटी कर रहे हैं। यह इमारत इतनी पुरानी हो चुकी है कि थोड़ी से वर्षा होते ही थाने के प्रत्येक कक्ष की छत टपकने लगती और दीवारों में भी सीलन आ जाती है। इस कारण न केवल कंप्यूटर में खराबी आती है, बल्कि करंट लगने का खतरा भी बना रहता है जबकि खस्ता हालत में थाने का स्टाफ पूरा कामकाज संभाल रहा है और इसी स्थिति में वे लोग थाने के अंदर भी रहते हैं।
कई बार किया पत्राचार, नहीं मिला जवाब
छावनी जीआरपी थाना प्रभारी धर्मवीर सिंह ने बताया कि थाने की जर्जर इमारत को लेकर पूर्व में कई पत्र लिखे गये, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। इतना ही नहीं सिफ जगह देने और उस पर पुलिस वेयर हाउसिंग द्वारा भवन तैयार करने की पूरी रूपरेखा भी रेलवे अधिकारियों को भेजी गई। लेकिन वो मामला भी ठंडे बस्ते में चला गया। अगर उत्तर रेलवे महाप्रबंधक ने जर्जर इमारत के कायाकल्प की बात कही है तो यह अच्छी बात है क्योंकि मौजूदा समय में जीआरपी कर्मचारी जान जोखिम में डालकर थाने में काम कर रहे हैं।

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