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    नवंबर होता है सबसे ज्यादा प्रदूषण का महीना, 30 में से 25 दिन बेहद खराब रहती है हवा; बरतें सावधानी

    Updated: Mon, 03 Nov 2025 02:53 PM (IST)

    दिल्ली से सटे बहादुरगढ़ में नवंबर महीने में प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक रहता है। पिछले तीन सालों के आंकड़ों से पता चलता है कि इस महीने में हवा की गुणवत्ता ज्यादातर खराब या बेहद खराब होती है। बारिश होने पर कुछ राहत मिल सकती है, लेकिन आमतौर पर प्रदूषण का स्तर उच्च रहता है। इसके कई कारण हैं, जिनमें पराली जलाना और हवा की गति कम होना शामिल है।

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    चल रहे निर्माण कार्य के कारण उड़ रही धूल के बीच गुजरते वाहन। जागरण

    जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़। प्रदूषण का स्तर वैसे तो अक्टूबर के मध्य से ही बढ़ रहा है, लेकिन नवंबर में ही सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है। पिछले तीन साल के आंकड़े भी इसके गवाह है। ऐसे में इस महीने में सबसे ज्यादा सावधानी की जरूरत होगी। पिछले दो दिनों में एक्यूआई में राहत के बाद रविवार को फिर से प्रदूषण के स्तर में उछाल आ गया।

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    दिन में एक्यूआई का स्तर 350 माइक्रोग्राम से ज्यादा दर्ज किया गया। अगर बारिश होती है तो इस महीने में प्रदूषण से राहत मिल सकती है, अन्यथा इस पूरे महीने में प्रदूषण का स्तर हर बार की तरह इस साल भी ज्यादा ही रहने के आसार हैं।

    आकंड़ों को देखें तो यह साफ पता चला है कि हर साल नवंबर में सबसे ज्यादा दिनों तक प्रदूषण रहता है। 30 में से 25 दिन तो ऐसे होते हैं जब हवा की स्थिति खराब या बेहद खराब स्थिति में रहती है। बाकी 5 दिनों में भी ज्यादा राहत नहीं रहती। प्रदूषण का लेवल भी किसी भी साल के इसी महीने में ही सबसे ज्यादा दर्ज किया जाता है। इसके कई कारण हैं। ऐसे में जरूरत है तो एहतियात की।

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    2022 की स्थिति

    इस साल नवंबर में एक्यूआई का स्तर दो दिनों तक तो 400 से ऊपर यानी बेहद खराब स्थिति में रहा। इनमें एक दिन हाई लेवल 452 दर्ज किया गया। तीन दिन ऐसे रहे जब एक्यूआई रेड कैटेगरी में 400 के आसपास रहा। 20 दिन ऐसे थे जब एक्यूआई का स्तर 250 से 300 के बीच रहा। बाकी पांच दिन येलो कैटेगरी में एक्यूआई 150 से 200 के बीच रहा।

    2023 की स्थिति

    इस साल में नवंबर के दो दिनों में तो एक्यूआई का स्तर 400 माइक्रोग्राम से भी ज्यादा रहा। यह अति गंभीर श्रेणी होती है। जबकि 20 दिन यह औसतन 350 से ज्यादा रहा। पांच दिन ऐसे बीते जब यह औरेंज कैटेगरी में रहा। इन पांच दिनों में एक्यूआई का स्तर 250 से 300 के बीच रहा। केवल तीन दिन ऐसे बीते जब एक्यूआई का स्तर 200 से नीचे यानी येलो कैटेगरी में रहा। मगर यह श्रेणी भी ज्यादा राहतकारी नहीं होती। ऐसे में ग्रीन कैटेगरी तो इस महीने में भूल ही जाइये।

    2024 की स्थिति

    इस साल के नवंबर में प्रदूषण का सबसे ज्यादा स्तर 453 रहा। तीन दिन ऐसे रहे जब एक्यूआई का स्तर 400 से ऊपर दर्ज किया। 11 दिन ऐसे बीते जब यह रेड कैटेगरी में यानी औसतन 350 के आसपास रहा। बाकी 16 दिन ऐसे बीते जब यह औरेंज कैटेगरी में रहा। यानी इस साल नवंबर में एक भी दिन प्रदूषण का स्तर ग्रीन कैटेगरी तो दूर येलो कैटेगरी में भी नहीं आया।

    ये हैं बड़ी वजह

    नवंबर में प्रदूषण का स्तर हर साल बढ़ने के पीछे कई कारण माने जाते हैं। इसी महीने में पराली ज्यादा जलाई जाती है। हालांकि बहादुरगढ़ के आसपास में पराली जलाने की घटनाएं नहीं मिलती। दूसरा, मौसम विशेषज्ञों के अनुसार इस महीने में हवा की गति मंद हो जाती है।

    मौसमी परिस्थितियां ऐसी होती हैं कि न तो ठीक से सर्दी होती है और न गर्मी रहती है। ऐसे में हवा को प्रदूषित करने वाले पार्टिकल एक निर्धारित लेवल पर रहते हैं। इससे ज्यादा एक्यूआई दर्ज होता है। खेतों की जुताई का कार्य भी इसी महीने में ज्यादा होता है और मौसम शुष्क रहता है तो उसका भी असर पड़ता है।

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    इस महीने में धूल-धुएं के कण एक निर्धारित ऊंचाई पर रहते हैं। न तो ज्यादा ऊपर जा पाते हैं और न ही जमीन पर आते हैं। फिर यह स्थिति एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम में कैच होती है। हवा भी इस महीने में लगभग थम जाती है। मौसम साफ रहे और हवा की गति थोड़ी सी भी बढ़ती है तो एक्यूआई का लेवल कम हो जाता है। बाकी अगर सभी जिम्मेदार विभाग और हर नागरिक प्रदूषण को रोकने में सहयोग करे तो इस समस्या का निदान हो सकता है। नवंबर व दिसंबर में प्रदूषण को लेकर और भी ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है।


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    -शैलेंद्र अरोड़ा, क्षेत्रीय अधिकारी, एचसीपीसीबी, बहादुरगढ़