Delhi Blast: आखिर क्या छिपा रखा है हॉस्टल के लॉकर में? खुफिया अधिकारियों की पड़ी नजर; जांच के लिए बनी तीन श्रेणियां
फरीदाबाद में अल फलाह यूनिवर्सिटी में देश विरोधी गतिविधियों के बाद पुलिस सतर्क है। महाविद्यालयों और अस्पतालों में कार्यरत प्रवासी डॉक्टरों और प्रोफेसरों की जानकारी ली जा रही है, खासकर कश्मीरी प्रवासियों पर नजर है। उनकी नियुक्ति प्रक्रिया और पृष्ठभूमि की जांच हो रही है। हॉस्टलों के लॉकरों पर विशेष नजर रखी जा रही है और पुलिस ने जांच के लिए तीन श्रेणियां बनाई हैं। पुलिस आयुक्त ने एसआईटी गठित की है और संदिग्ध कॉलोनियों में सर्च ऑपरेशन जारी है।

अल फलाह यूनिवर्सिटी में देश विरोधी गतिविधियों वाली घटना सामने आने के बाद गुप्तचर एजेंसियां व पुलिस गंभीरता बरत रही हैं।
प्रवीन कौशिक, फरीदाबाद। अल फलाह यूनिवर्सिटी में देश विरोधी गतिविधियों वाली घटना सामने आने के बाद गुप्तचर एजेंसियां व पुलिस गंभीरता बरत रही हैं। जोर-शोर से संदिग्ध जगह जांच अभियान चलाया जा रहा है। पुलिस सूत्रों से पता चला है कि अब जिले के महाविद्यालयों, यूनिवर्सिटी, अस्पताल में कार्यरत प्रवासी डाक्टरों, प्रोफेसरों सहित अन्य स्टाफ की पूरी जानकारी ली जा रही है। खासकर कश्मीरी प्रवासियों पर नजर है।
पता किया जा रहा है कि इनकी नियुक्ति की क्या प्रक्रिया रही और कब से यहां कार्यरत हैं। इनका बैक ग्राउंड भी पता किया जा रहा है। आतंकियों से इनके लिंक के बारे में पूरी जांच चल रही है। शक है कि अभी भी आतंकियों के मददगार मौजूद हैं। इसलिए एजेंसी पूरे मॉड्यूल को ध्वस्त करना चाहती है।
जिले में यूनिवर्सिटी के अलावा अन्य जगह दर्जनों जगह हॉस्टल हैं। हॉस्टल के लाकर में क्या रखा होता है, इसकी जानकारी केवल चाबी रखने वाले के पास होती है। इसलिए अब इन लाकर पर विशेष नजर रखी जा रही है। लॉकर डॉक्टर, प्रोफेसर व अन्य स्टाफ के हैं। लाकर खुलवाकर पूरी जांच की जाएगी। लॉकर का गलत प्रयोग किए जाने की पूरी आशंका रहती है।
जांच के लिए बनी ए,बी और सी श्रेणी
सूत्रों के अनुसार पुलिस व अन्य एजेंसियाें ने जांच के लिए तीन श्रेणी ए,बी और सी बनाई हैं। पहले वाली ए श्रेणी सीधे लिंक की है। इसके तहत आतंकी मॉड्यूल में शामिल लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और अभी सर्च ऑपरेशन जारी है। इन सभी के मोबाइल फोन जब्त कर लिए हैं, चैट, लोकेशन की जांच हो रही है।
इस श्रेणी में करीब आधा दर्जन लोगों को यहां से उठाया गया था। दूसरी बी श्रेणी में वह लोग हैं जो आतंकियों के संपर्क में थे लेकिन सीधे तौर पर इनकी दिल्ली धमाके में भूमिका नहीं है। आतंकी लोकल ग्रामीणों से भी बात करते थे। जब एजेंसियों ने ऐसे लोगों को उठाया लेकिन एक दिन बाद छोड़ दिया। इस दौरान ऐसे लोगों के मोबाइल फोन की जांच की गई। घरों की तलाशी ली। बैंक खाते खंगाले गए।
इस श्रेणी में 100 से अधिक लोग पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ के बाद छोड़ दिए। तीसरी श्रेणी में केवल शक वाले लोग थे। ऐसे लोगों से पुलिस ने पूछताछ इसलिए की कि यह लोग किसी न किसी रूप में यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए थे। या तो काम कर रहे थे या फिर कर चुके थे। इन सभी के भी फोन चैक किए गए। जरूरी पूछताछ हुई और कुछ घंटे बाद छोड़ दिया गया। ऐसे एक हजार से अधिक लोगों से पूछताछ की गई थी।
जागी पुलिस, पर देर से
घटना होने के बाद ही पुलिस सतर्क दिखाई देती है। कुछ दिन सड़कों पर चेकिंग की जाती है। फिर से वही ढुलमुल रवैया अपना लिया जाता है। जिस तरह पुलिस अब सतर्कता बरत रही है, यदि समय-समय पर जांच अभियान चलाया जाता रहता तो अपराधियों पर शिकंजा कसा जा सकता है। नौकर-किरायेदार सत्यापन अभियान को भी लोग गंभीरता से नहीं लेते और पुलिस भी ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती। इसलिए यह पता ही नहीं चल पाता कि यहां बाहर से कौन आकर रह रहे हैं।
पुलिस आयुक्त सतेंद्र कुमार गुप्ता के आदेश पर एसआइटी गठित कर दी गई है। दो एसीपी अपने सहयोगियों संग पूरी छानबीन में जुटे हैं और लोकल स्तर पर जांच रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि सभी थाना व पुलिस चौकी की टीमें अपने-अपने क्षेत्र में प्रतिदिन जांच कर रही है। मस्जिद सहित अन्य संदिग्ध कालोनियों में जाकर सर्च आपरेशन चलाया जा रहा है। स्पष्ट हिदायत दी जा रही है कि यदि यहां कोई बाहरी व्यक्ति है तो इसकी सूचना तुरंत पुलिस को दें।

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