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    दिल्ली ब्लास्ट के बाद अल फलाह यूनिवर्सिटी के 10 प्रोफेसरों ने छोड़ी नौकरी, छात्रों की पढ़ाई बाधित

    Updated: Mon, 08 Dec 2025 10:20 PM (IST)

    दिल्ली ब्लास्ट के बाद अल फलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ाई बाधित है। फैकल्टी की कमी के कारण छात्र परेशान हैं। सुरक्षित भविष्य को देखते हुए सहायक प्रोफेसर नौक ...और पढ़ें

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    दिल्ली ब्लास्ट के बाद अल फलाह यूनिवर्सिटी की पढ़ाई ट्रैक पर नहीं आ पाई है।

    जागरण संवाददाता, फरीदाबाद। दिल्ली ब्लास्ट के बाद अल फलाह यूनिवर्सिटी की पढ़ाई ट्रैक पर नहीं आ पाई है। फैकल्टी की कमी के कारण छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। सूत्रों के अनुसार सुरक्षित भविष्य को लेकर सहायक प्रोफेसर नौकरी छोड़कर जा रहे हैं। अभी तक 10 सहायक प्रोफेसर नौकरी छाेड़कर यूनिवर्सिटी से जा चुके हैं। जिसकी वजह से छात्रों के लेक्चर खाली जा रहे हैं।

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    एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्र लीव पर चले गए हैं। यूनिवर्सिटी की ओर से छात्रों को कहा गया कि वह किसी भी तरह का तनाव नहीं ले। अपने घर जाकर सर्दियों की छुट्टियां बिताएं और एक सप्ताह बाद वापस आएं। छुट्टी पर आए एमबीबीएस प्रथम वर्ष के दो छात्रों ने बताया कि अधिकतर लेक्चर खाली जा रहे हैं। ऐसे में हॉस्टल में रुकने का भी कोई औचित्य नहीं बचता है।

    यह बता दें कि अल फलाह ग्रुप के मालिक जावेद सिद्दीकी की गिरफ्तारी के बाद सभी यूनिवर्सिटी के पूरे स्टाफ में डर बैठा हुआ है। सूत्रों के अनुसार मेडिकल स्टाफ के अलावा दूसरी ब्रांच के कर्मचारियों ने भी रिजाइन दिया हैं। रिजाइन देने वालों में कश्मीरी मूल के डाक्टर भी शामिल हैं।

    स्टाफ ने पहले परिवार को निकाला, फिर खुद दे दिया रिजाइन

    यूनिवर्सिटी में कई डाक्टरों को हास्टल में ही रहने को कमरे उपलब्ध कराए गए थे। दिल्ली ब्लास्ट के बाद जब जांच एजेंसी बार-बार पूछताछ के लिए यूनिवर्सिटी परिसर मे आने लगी तो सहायक प्रोफेसरों में डर बैठ गया। सूत्रों के अनुसार उन्होंने पहले तो बहाने से अपने परिवार को हास्टल से घर भेजा। फिर खुद छुट्टी लेकर अपने घर चले गए। इसके बाद अब अपने इस्तीफे भेज दिए हैं।

    कश्मीरी मूल के डाक्टर और स्टाफ की संख्या अधिक

    यूनिवर्सिटी के अस्पताल एवं मेडिकल कालेज में 200 लोगों का नर्सिंग स्टाफ है। करीब 80 प्रतिशत मुस्लिम और 20 प्रतिशत हिंदू कर्मचारी है। इनमें से भी 35 फीसदी स्टाफ कश्मीरी है। सूत्रों के अनुसार इनमें से ही 40 प्रतिशत गैर हाजिर चल रहा है। इनमें डाक्टर व पैरा मेडिकल स्टाफ दोनों हैं। जब इस बारे में यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर भूपिंदर कौर से संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन पिक नहीं किया। वहीं वाट्सएप पर भेजे गए मैसेज का भी उनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया।