फरीदाबाद में मिलावट का चल रहा खुला खेल, दूध, घी और मिठाई में जहर; नमूने की आई रिपोर्ट ने चौंकाया
फरीदाबाद में मिलावटी खाद्य पदार्थों का बाजार तेज़ी से बढ़ रहा है खासकर देसी घी दूध और मिठाइयों में। ब्रांडेड कंपनियों के नाम का इस्तेमाल हो रहा है। पिछले पांच वर्षों में 120 नमूनों में से 83 फेल हुए। विशेषज्ञ चिकित्सकों ने मिलावटी खाद्य पदार्थों को सेहत के लिए हानिकारक बताया है। खाद्य सुरक्षा विभाग कार्रवाई कर रहा है और नागरिकों से शिकायत करने का आग्रह किया गया है।

अनिल बेताब, फरीदाबाद। औद्योगिक नगरी में मिलावटी खाद्य पदार्थों का बाजार गर्म है। खास कर यहां के बाजारों में देसी घी, दूध और मिठाइयों में मिलावट की जा रही है। मिलावटखोर ब्रांडेड कंपनियों के नाम का इस्तेमाल करके खेल कर रहे हैं।
जिले में लिए गए इन पदार्थों के नमूने की फेल आई रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि होती है कि यहां के दूध निर्मित पदार्थ गुणवत्ता की कसौटी पर खरे नहीं उतर रहे हैं। पांच वर्षों में दूध, देसी घी और मिठाइयों के लिए गए 120 में से 83 नमूने फेल आए हैं।
विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि जगह-जगह बिक रहे मिलावटी खाद्य पदार्थों का सेवन सेहत के लिहाज से ठीक नहीं है। अब तक फेल आए अधिकांश नमूने बल्लभगढ़ क्षेत्र के हैं। ओल्ड फरीदाबाद तथा बल्लभगढ़ के नमूने भी फेल आए हैं।
देसी घी में ऐसे करें मिलावट की जांच
देसी घी मिलावटी है या फिर खाने के लिए सही है। जांच के लिए एक गिलास में गुनगुना पानी लें और एक चम्मच देसी घी डालकर चम्मच से घुमाएं। मिलावटी घी होगा तो वह इतनी अच्छी तरह और जल्दी से पानी में मेल्ट नहीं होगा। असली घी पानी में मेल्ट होकर चिकनाई की तरह तैरने लगेगा।
ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर भी चलता है मिलावट का खेल
खाद्य सुरक्षा विभाग ने अब तक देसी घी के जो नमूने लिए हैं। उनकी जांच के बाद यह बात सामने आई है कि बहुत से मिलावाटखोर कई ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर भी गड़बड़ी करते हैं। कारण साफ है कि रिफाइंड सस्ता होता है और नकली घी बनाने में इसका इस्तेमाल अधिक किया जाता है।
रिफाइंड, वनस्पति घी और महक डालकर देसी घी बनाया जाता है। बड़े मिलावटखोर राजधानी दिल्ली से देसी घी का सेंट लेकर आते हैं और देसी घी बनाने में इसका इस्तेमाल होता है।
घी की कीमत का अंतर
बाजार में पशु के दूध से तैयार किए गए असली देसी घी की कीमत 700 रुपये किलोग्राम है। कई बाजारों में 400 से 500 प्रति किलोग्राम बिक रहा है। कई बाजारों में तो देसी घी 300 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिक रहा है।
कई मिलावटखोर असली घी में रिफाइंड, वनस्पति घी और महक मिला देते हैं। मिलावट की मात्रा के हिसाब से घी का रेट तय किया जाता है।
डेयरी संचालक भी करते हैं खेल
दूध डेयरी संचालक दूध में पानी मिलाते हैं। जब दूध की जांच की जाती है तो उससे पता चल जाता है कि दूध में वसा की कितनी मात्रा है। देसी घी में आमतौर पर रिफाइंड और वनस्पति घी मिलाया जाता है। जांच से मिलावट की पुुष्टि होती है।
लिए गए नमूनों का ब्योरा
पदार्थ, नमूने लिए, फेल आए
- मिठाई, 38, 29 (एक जनवरी, 2024 से तीन जून 2025 तक)
- देसी घी, 68, 45 (एक जनवरी 2020 से तीन जून 2025 तक)
- दूध, 14, 09 (एक अप्रैल 2020 से तीन जून, 2025 तक)
- 120, कुल लिए गए नमूने
- 83, फेल आए नमूने
कार्रवाई की गति तेज हो
समाजसेवी अजय सैनी कहते हैं कि खाद्य सुरक्षा विभाग नमूने लेने की कार्रवाई की गति तेज करे। सख्ती होगी तो ही मिलावटखोरों के हौसले पस्त होंगे। विभाग कम संख्या में नमूने लेता है।
मिलावटी दूध और देसी घी का जब सेवन किया जाता है तो उससे हमें पोषक तत्व नहीं मिल पाते। कई बार इससे पेट संबंधी बीमारी की आशंका रहती है। ऐसे ही बासी मिठाइयों में बैक्टीरिया भी पनपता है। ऐसी मिठाई खाने से संक्रमण का जोखिम रहता है। इसलिए गुणवत्ता देख ही खरीदारी करें।
डॉ.राकेश गुप्ता, चेयरमैन, सर्वोदय अस्पताल
हम नियमित रूप से खाद्य पदार्थों के नमूने लेते हैं। नमूने फेल आने पर कानूनी कार्रवाई की जाती है। फिर भी अगर किसी नागरिक को कहीं मिलावटखोरी की आशंका हो तो कार्यालय आकर शिकायत करें। कार्रवाई की जाएगी।
पृथ्वी सिंह, पदेन अधिकारी, खाद्य सुरक्षा विभाग।

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