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    मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से बिगड़ रही बच्चों की मानसिक स्थिति, प्रभावित हो रहा विकास

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 11:51 AM (IST)

    फरीदाबाद में मोबाइल के बढ़ते इस्तेमाल से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है जिससे उनका विकास प्रभावित हो रहा है। नागरिक अस्पताल में हर महीने लगभग 200 बच्चे इलाज के लिए आ रहे हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग के पास मनोचिकित्सक नहीं हैं। विशेषज्ञों के अनुसार मोबाइल के कारण बच्चों में गर्दन और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी बीमारियां भी पनप रही हैं।

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    मोबाइल के अधिक प्रयोग बच्चों के लिए खतरनाक है। फोटो- जागरण ग्राफिक्स

    अनिल बेताब, फरीदाबाद। मोबाइल के अधिक प्रयोग से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। मानसिक विकार से बच्चों का विकास भी प्रभावित हो रहा है। जिला नागरिक अस्पताल में महीने भर में लगभग 200 बच्चे इलाज को आते हैं, मगर जिला स्वास्थ्य विभाग के पास एक भी मनोचिकित्सक नहीं है।

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    हैरानी की बात है कि सरकारी व निजी अस्पतालों मं आने वाले मानसिक रोगियों में बच्चों की संख्या तो बढ़ रही है। जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से मेंटल हेल्थ कार्यक्रम भी चल रहे हैं, मगर एक भी मनोचिकित्सक न होने से विभाग की कार्यप्रणाली पर ही सवाल उठ रहे हैं।

    स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि मोबाइल फोन के अधिक प्रयोग से बच्चों की सोच पर विपरीत असर पड़ रहा है। विशेषज्ञ कहते हैं कि आज के समय में मोबाइल फोन बच्चों की पढ़ाई और मनोरंजन का अहम साधन बन चुका है, लेकिन इसके लगातार और अनियंत्रित उपयोग से उनका स्वास्थ्य तेजी से प्रभावित हो रहा है।

    ओपीडी में बढ़ी मरीजों की संख्या

    नागरिक अस्पताल में कई महीने पहले तक मानसिक रोग से प्रभावित लगभग 150 बच्चे इलाज को आते थे। अब महीने भर में 200 से अधिक बच्चे आ रहे हैं। बच्चों के इलाज के साथ अभिभावकों की काउंसिलिंग की जाती है।

    ऐसे ही महीने भर में एकार्ड अस्पताल में 8 से 10 मरीज आ रहे हैं। यहां पहले से अब मामले बढ़े हैं। ऐसे ही सर्वोदय अस्पताल में भी हर महीने 20 से बच्चे मानसिक रोगों के आ रहे हैं।

    पनप रहीं गर्दन और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी बीमारियां

    • मोबाइल के कारण बच्चों में मोटापा, गर्दन और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी बीमारियां भी देखने को मिल रही हैं, जो भविष्य में गंभीर रूप ले सकती हैं।
    • माता-पिता को जागरूक हाेने की जरूरत है।
    • बच्चों को मोबाइल उपयोग करने की समय-सीमा तय करनी चाहिए।
    • बच्चों को खुले वातावरण में शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
    • पढ़ाई या आनलाइन कक्षा के अलावा मोबाइल पर बिताए जाने वाले समय को कम करना बेहद जरूरी है।
    • सोने से कम से कम एक घंटे पहले बच्चों को मोबाइल से दूर रखने की सलाह दी जाए।

    बच्चों की दिनचर्या बदलें तो बीमारियों से बचाव संभव

    एकार्ड अस्पताल के न्यूरोलाजी विभाग के चेयरमैन डा. रोहित गुप्ता ने बताया कि मोबाइल पर लंबे समय तक वीडियो देखने, गेम खेलने और सोशल मीडिया इस्तेमाल करने से बच्चों में कई गंभीर बीमारियां उभर रही हैं।

    मोबाइल का अधिक प्रयोग आंखों पर गहरा असर डाल रहा है, जिससे बच्चों में कम उम्र में ही चश्मा लगने की समस्या तेजी से बढ़ रही है। लगातार स्क्रीन देखने से सिरदर्द, नींद न आना, चिड़चिड़ापन और ध्यान केंद्रित न कर पाने जैसी दिक्कतें भी सामने आ रही हैं।

    डॉ. गुप्ता ने कहा कि यदि समय रहते स्वजन सावधानी बरतें और बच्चों को संतुलित दिनचर्या अपनाने के लिए प्रेरित करें तो इन बीमारियों से बचा जा सकता है।

    सरकार ने तीन डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया है। उन्हीं के सहारे बच्चों का इलाज चलता है । सप्ताह में एक दिन दूसरे जिले से एक मनोचिकित्सक को यहां बुलवाया जाता है। चाहे बच्चे हों या बड़े। हम प्रयास करते हैं कि मानसिक रोगियों को बेहतर इलाज मिले।

    -डॉ. मान सिंह, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी, मेंटल हेल्थ प्रोग्राम