गुरुग्राम में सड़क किनारे मशहूर पांच ढाबों पर टूटने की लटकी तलवार, विभाग ने दिया चार हफ्ते का अल्टीमेटम
गुरुग्राम के नेशनल हाईवे पर बने पुराने ढाबों पर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने शिकंजा कसा है। डीटीपीई ने ढाबा संचालकों को चार सप्ताह का अल्टीमेटम दिया है कि वे सीएलयू लेकर ढाबों को नियमित करा लें, अन्यथा तोड़फोड़ की जाएगी। ये ढाबे ग्रीन बेल्ट एरिया में बने हैं, जहां व्यावसायिक निर्माण प्रतिबंधित है। ढाबा एसोसिएशन ने सरकार से राहत की मांग की है।

मशहूर पांच ढाबों पर अब टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग का शिकंजा कस गया है।
गौरव सिंगला, नया गुरुग्राम। नेशनल हाईवे पर चल रहे गुरुग्राम के पुराने और मशहूर पांच ढाबों पर अब टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग का शिकंजा कस गया है। जिला नगर योजनाकार इन्फोर्समेंट (डीटीपीई) की ओर से शुक्रवार को ढाबा संचालकों को चार सप्ताह का अंतिम अल्टीमेटम जारी किया गया है।
विभाग ने साफ कर दिया है कि अगर चार हफ्तों में सीएलयू (चेंज ऑफ लैंड यूज) लेकर ढाबों को नियमित नहीं कराया गया, तो विभाग नियमों के तहत तोड़फोड़ की कार्रवाई करेगा।
शुक्रवार को डीटीपीई कार्यालय में ढाबा संचालकों की बैठक बुलाई गई, जिसमें अधिकारियों ने सख्त निर्देश दिए कि या तो जगह को वैध करा लें या खुद ढांचा हटा लें, वरना विभाग अपनी कार्रवाई करेगा। विभागीय जानकारी के मुताबिक दिल्ली-जयपुर एक्सप्रेसवे पर पांच पुराने और मशहूर ढाबे जिनमें ओल्ड राव ढाबा, मुस्कान ढाबा, सांवरिया ढाबा, मन्नत ढाबा और बसंत ढाबा चल रहे हैं।
इनमें से ओल्ड राव और मुस्कान ढाबा करीब 32 से 33 साल पुराने हैं, जबकि बाकी तीन ढाबे 8 से 12 साल पुराने बताए जा रहे हैं। इन सभी ढाबों को पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, लेकिन संतोषजनक जवाब न मिलने पर विभाग ने रेस्टोरेशन आदेश भी निकाल दिए।
बताया गया है कि ये सभी ढाबे ग्रीन बेल्ट एरिया में बने हुए हैं, जहां व्यावसायिक निर्माण पूरी तरह प्रतिबंधित है। इस संबंध में टाउन प्लानिंग मुख्यालय से भी कार्रवाई के निर्देश मिले हैं और विभाग से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। इस संबंध में डीटीपीई की तरफ से एफआइआर भी दर्ज कराई हुई हैं।
ढाबा संचालक बोले, सरकार को देना चाहिए राहत
ढाबा एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि ये ढाबे वर्षों से चल रहे हैं और सरकार इस तरह पुराने प्रतिष्ठानों को नहीं तोड़ सकती। उन्होंने कहा कि 2009 और 2011 में भी सरकार ने एक पॉलिसी लाई थी, जिसके तहत ढाबा संचालकों से राशि लेकर शर्तों के साथ संचालन की अनुमति दी गई थी कि जब भी सरकार को ज़मीन की जरूरत होगी, उसे खाली कराया जा सकेगा।
हमारी जमीन का अब तक अधिग्रहण नहीं हुआ है, सभी के पास मालिकाना हक है। सरकार को पिछली पालिसी की तरह एक बार फिर राहत देनी चाहिए ताकि ढाबा संचालकों की आजीविका प्रभावित न हो।
विभाग ने अंतिम मौका दे दिया है कि चार सप्ताह में सीएलयू लेकर जगह को वैध कराएं या रिस्टोर करें, अन्यथा विभाग नियमों के अनुसार तोड़फोड़ कार्रवाई करेगा। - अमित मधोलिया, डीटीपीई, टाउन प्लानिंग

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