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    Gurugram News: अदालत ने खारिज की सदर बाजार की दुकानों का कब्जा दिलाने की याचिका

    Updated: Thu, 28 Aug 2025 09:23 PM (IST)

    गुरुग्राम के सदर बाजार में दुकानों को खाली कराने की निष्पादन याचिका अदालत ने खारिज कर दी। दुकानदारों ने राहत की सांस ली क्योंकि पहले भी तीन बार ऐसी याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं। अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता ने तथ्यों को छुपाया था। दुकानदारों ने विरोध प्रदर्शन किया और अपने मालिकाना हक के कागजात पेश किए।

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    अदालत ने खारिज की सदर बाजार की दुकानों का कब्जा दिलाने की याचिका

    महावीर यादव, बादशाहपुर (गुरुग्राम)। गुरुग्राम में सदर बाजार की दुकानों को खाली कराने को लेकर डाली गई निष्पादन याचिका अदालत ने खारिज कर दी। इससे दुकानदारों ने राहत की सांस ली है। तीन दिन पहले बाजार में हड़कंप मच गया था। दुकानों को खाली करने के आर्डर की जानकारी मिलते ही दुकानदार अदालत पहुंचे।

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    सिविल जज रूपम की अदालत ने बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता रामावतार गुप्ता एवं जेके महेश्वरी की दलील सुनने के बाद निष्पादन याचिका को खारिज कर दिया। अदालत को बताया गया कि पहले भी तीन बार याचिका खारिज की जा चुकी है। एक व्यक्ति अलग-अलग नाम से दुकानों के विवाद संबंधी मामले को लेकर अदालत में पहुंच जाता है।

    रविवार को अदालत के आदेश पर दुकान खाली कराने का सदर बाजार के दुकानदारों ने विरोध किया। काफी संख्या में दुकानदार एकत्रित होकर थाना शहर पहुंचे। उन्होंने थाना प्रबंधक और एसीपी को दुकानों के मालिक आना हक के कागजात भी दिखाए।

    पहले भी सिविल जज प्रगति राणा की अदालत ने 16 नवंबर 2022 को इसी संपत्ति से जुड़ी एक्जीक्यूशन याचिका यानी निष्पादन याचिका धोखाधड़ी और पूर्व आदेश को छिपाने पर खारिज कर दी थी। याचिका मृतक जयदेव अग्रवाल के कानूनी वारिस योगेंद्र अग्रवाल ने दायर की थी।

    बचाव पक्ष के वकीलों ने आपत्ति दर्ज कर कहा कि याचिकाकर्ता ने अदालत से सच्चाई छुपाई है। पूर्व में इसी डिक्री पर दायर निष्पादन याचिका को अदालत पहले भी 22 मार्च 2017 को खारिज कर चुकी है। उस समय अदालत ने साफ तौर पर कहा था कि जयदेव अग्रवाल ने महत्वपूर्ण तथ्य छुपाकर धोखाधड़ी से डिक्री हासिल की थी। अब उसी मामले को नए रूप में प्रस्तुत कर अदालत से राहत लेने का प्रयास किया गया है। एक बार धोखाधड़ी से प्राप्त आदेश को कानून की नजर में शून्य घोषित किया जा चुका है इसलिए उस पर आगे कोई निष्पादन नहीं हो सकता।

    इससे पूर्व अदालत ने इस मामले में जितेंद्र अग्रवाल के खुद के नाम से दायर की गई याचिका को भी खारिज कर दिया था। अदालत ने अब इस मामले में तीसरी बार याचिका को खारिज किया है।

    75 साल पहले से विवादों में है मामला

    सदर बाजार में बेशकीमती इन दुकानों का मामला 75 सालों से विवादों में है। उस समय अदालत के आदेश पर इन दुकानों को नीलाम किया गया था। गुमानी राम के नाम रिकवरी के मामले में दुकानों की नीलामी की गई थी। 1943 में गुमानी राम ने इन दुकानों को सोहनलाल के नाम गिरवी रख दिया था। नीलामी में दो भाइयों ने दुकान खरीद ली थी। उनके नाम दुकानों की रजिस्ट्री भी हो गई थी।

    वहीं नीलामी में दुकान खरीदने वाले दोनों भाइयों ने सोहनलाल से गिरवी का मामला भी सेटल कर लिया था। 1963 में सोहनलाल नामक व्यक्ति की मौत हो गई। 2006 में इस मामले को लेकर मृतक सोहनलाल के नाम माध्यम सुरेंद्र सिंह से याचिका दायर की गई। अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद इस याचिका को खारिज कर दिया था।