NHAI अब हाईवे बनाने में करेगा कचरे का इस्तेमाल, मिट्टी की जरूरत होगी कम और नहीं बनेंगे कूड़े के पहाड़
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) अब हाईवे निर्माण में कचरे का इस्तेमाल करेगा जिससे मिट्टी की जरूरत कम होगी और कूड़े के पहाड़ नहीं बनेंगे। यूईआर-दो के निर्माण में गाजीपुर लैंडफिल साइट से 10 लाख टन कचरा इस्तेमाल हुआ है। कचरे के इस्तेमाल से दिल्ली और गुरुग्राम में कूड़े के पहाड़ों से निजात मिलेगी। पहले भी कई हाईवे में कचरे का इस्तेमाल किया गया है और आगे भी किया जाएगा।

आदित्य राज, गुरुग्राम। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) अब हाईवे के निर्माण में कचरे का प्रयोग करेगा। इससे मिट्टी की आवश्यकता कम होगी और कूड़े के पहाड़ नहीं बनेंगे। अर्बन एक्सटेंशन रोड-दो के निर्माण में गाजीपुर लैंडफिल साइट के 10 लाख टन कूड़े का इस्तेमाल किया गया।
इससे निर्माण के दौरान गड्ढों को भरने के लिए मिट्टी की अधिक आवश्यकता नहीं महसूस हुई। शहरी क्षेत्रों से होकर जहां भी हाईवे बनाए जाते हैं, उनके निर्माण के दौरान जमीन को बराबर करने के लिए काफी दूर से मिट्टी लानी पड़ती है। इससे निर्माण में समय भी अधिक लगता है और खर्च भी बढ़ता है।
दिल्ली में गाजीपुर लैंडफिल साइट पर जबकि गुरुग्राम में बंधवाड़ी लैंडफिल साइट में कूड़े का पहाड़ बना हुआ है। इससे आसपास के लोगों का रहना मुश्किल हो रखा है। उम्मीद की जा रही है कि हाईवे या एक्सप्रेसवे के निर्माण में कचरे के इस्तेमाल से दोनों लैंडफिल साइट पर कूड़े का पहाड़ नहीं बनेगा।
राष्ट्रीय राजधानी के तीसरे रिंग रोड के रूप में 75 किलोमीटर लंबा अर्बन एक्सटेंशन रोड-दो (यूईआर-दो) का निर्माण किया गया है। निर्माण के दौरान काफी जगह जमीन को बराबर करने के लिए मिट्टी की आवश्यकता थी। सभी जगह पहले थोड़ी मिट़टी डाली गई फिर उसके ऊपर कचरा डाला गया।
इसके बाद रोलर चलाकर बराबर किया गया। बराबर करने के बाद फिर कचरा डालकर उसके ऊपर हल्की मिट्टी डाली गई। इसके बाद दोबारा रोलर चलाकर बराकर किया गया। इससे मजबूत परत तैयार हो गई। यूईआर-दो को चालू करने से पहले ट्रैफिक लोड डालकर ट्रायल किया गया, कहीं पर भी सड़क के दबने की शिकायत सामने नहीं आई।
यूईआर-दो को चालू किए जाने के बाद भी अब तक कहीं पर भी सड़क के दबने की शिकायत सामने नहीं आई है। जहां पर भी सड़क के नीचे का हिस्सा कमजोर होता है, लगातार वर्षा के दौरान दबने की शिकायत आ जाती है। यूईआर-दो के उद्घाटन के बाद से कई बार तेज वर्षा हो चुकी है।
इससे माना जा रहा है कि कचरे का प्रयोग सफल रहा। इससे पहले दिल्ली-मेरठ एवं दिल्ली-देहरादून हाईवे के निर्माण के दौरान डेढ़ से दो लाख टन कचरे का प्रयोग किया गया था। दोनों को लेकर भी शिकायत सामने नहीं आई है।
इसे देखते हुए आगे अब जहां कहीं भी हाईवे का निर्माण होगा और नजदीक में कहीं कूड़े का पहाड़ होगा तो वहां के कूड़े का इस्तेमाल किया जाएगा।
कई हाईवे व एक्सप्रेसवे का होना है निर्माण
आने वाले दिनों में एम्स से महिपालपुर व महिपालपुर से गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड तक नए एक्सप्रेसवे का निर्माण होना है। दिल्ली-अलवर हाईवे का सोहना से आगे अलवर तक चौड़ीकरण किया जाना है। इनके अलावा भी दिल्ली-एनसीआर में हाईवे एवं एक्सप्रेसवे बनाने की योजना एनएचएआइ ने तैयार कर रखी है।
इन सभी के निर्माण में जहां कहीं भी निर्माण के दौरान जमीन को बराबर करने की आवश्यकता होगी, वहां गाजीपुर या बंधवाड़ी लैंडफिल साइट से कचरे का इस्तेमाल किया जाएगा। बंधवाड़ी लैंडफिल साइट पर बंधवाड़ी से भी कचरा पहुंचता है। इसी तरह गाजीपुर लैंडफिल साइट पर कई इलाकों से कचरा पहुंचता है।
एनएचएआइ के पूर्व तकनीकी सलाहकार जेएस सुहाग का कहना है कि पहली बार यूईआर-दो के निर्माण में ही भारी मात्रा में कचरे का इस्तेमाल किया गया है।
मजबूती में किसी प्रकार की कमी नहीं आती है क्योंकि जमीन को बराबर करने की जो प्रक्रिया मिट्टी डालने के बाद अपनाई जाती है, वही प्रक्रिया कचरा डालने के बाद भी अपनाई जाती है। कचरे के साथ-साथ थोड़ी मिट्टी भी डाल दी जाती है, इससे जमीन आसानी से बराबर हो जाती है।
अर्बन एक्सटेंशन रोड-दो के निर्माण में गाजीपुर लैंडफिल साइट से 10 लाख टन कचरे का इस्तेमाल किया गया है। रोड की मजबूती में किसी भी प्रकार की शिकायत नहीं है। पहले भी कई हाईवे के निर्माण में कचरे का इस्तेमाल किया गया है। कहीं से भी सड़क कमजोर होने की शिकायत नहीं। इसे देखते हुए आगे जहां आवश्यकता महसूस होगी, वहां पर कचरे का इस्तेमाल किया जाएगा। आने वाले समय में दिल्ली-एनसीआर में कई परियोजनाओं के ऊपर काम होना है।
- हर्ष मल्होत्रा, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री
गाजीपुर लैंडफिल साइट
- क्षेत्रफल : 70 एकड़
- कब शुरू हुई: 1984
- कब तक साफ करना है कूड़ा: दिसंबर 2027
- पहले कितना कूड़ा था: 140 लाख मीट्रिक टन
- अब कितना कूड़ा है: 80.7 लाख मीट्रिक टन
- प्रतिदिन कितना कूड़ा निस्तारित हो रहा है :8200
- प्रतिदिन कितना नया कूड़ा डलता है : 2000 मीट्रिक टन
गुरुग्राम लैंडफिल साइट
- क्षेत्रफल : 30 एकड़
- कब शुरू हुई: 2008
- कब तक साफ करना है कूड़ा: फरवरी 2026
- पहले कितना कूड़ा था: 30.43 लाख मीट्रिक टन
- अब कितना कूड़ा है: 12.5 लाख मीट्रिक टन
- प्रतिदिन कितना कूड़ा निस्तारित हो रहा है :0
- प्रतिदिन कितना नया कूड़ा डलता है : 2200 मीट्रिक टन
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