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    गुरुग्राम में साइबर ठगों ने तीन लोगों को बनाया शिकार, फर्जी पुलिसकर्मी बनकर ढाई लाख रुपये ठगे

    Updated: Thu, 28 Aug 2025 12:48 PM (IST)

    गुरुग्राम में साइबर ठगों ने तीन लोगों को अपना शिकार बनाया और उनसे ढाई लाख रुपये ठग लिए। एक व्यक्ति से इलेक्ट्रिकल सामान के नाम पर दूसरे से पुलिसकर्मी बनकर केस के नाम पर और तीसरे के खाते से धोखाधड़ी से पैसे निकाले गए। पुलिस ने मामले दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

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    साइबर ठगों का आतंक बढ़ रहा है। (सांकेतिक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। साइबर ठगों ने शहर में रहने वाले तीन लोगों को विभिन्न तरीकों से साइबर ठगी का शिकार बनाया। किसी से इलेक्ट्रिकल माल का सप्लायर बनकर डेढ़ लाख ठग लिए तो किसी से पुलिसकर्मी बनकर केस के नाम पर डराकर रुपये ट्रांसफर करा लिए। पीड़ितों की शिकायत पर साइबर थाना पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

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    फरुखनगर के डाबोदा के रहने वाले शिवकुमार ने साइबर थाना मानेसर को दी शिकायत में कहा कि वह सनसाइन एंटरप्राइजेज के माध्यम से डीएलएफ फेज तीन में सड़क पर इलेक्ट्रिकल वर्क्स के लिए काम करते हैं। यहां वे पोल, लाइट, इम्यूनिशन, केबल्स आदि लगाते हैं।

    बीते दिनों कुछ इलेक्ट्रिकल सामान मंगाने के लिए ऑनलाइन सर्च कर रहे थे। इस दौरान उन्हें एक मोबाइल नंबर मिला। जब उन्होंने उस पर काल की तो फोन उठाने वाले ने खुद को सप्लायर बताया। ठगों ने सामान के रेट लिस्ट और कोटेशन भेजी।

    इसके बाद उनसे सामान भेजने के बदले 1 लाख 58 हजार रुपये ट्रांसफर कर लिए। रुपये जाने के बाद भी जब शिवकुमार के पास जब सामान नहीं आया और उन्होंने दोबारा फोन किया तो फोन बंद मिला।

    दूसरी ओर मानेसर के ढोरका गांव में रहने वाले कृष्णानंदन ने मानेसर साइबर थाना में दी शिकायत में कहा कि वह निजी कंपनी में नौकरी करते हैं। उनके पास बीते दिनों एक अंजान नंबर से फोन आया। फोन करने वाले ने अपने आप को पुलिसकर्मी बताया।

    कहा कि उनका एक आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। उन पर केस दर्ज किया गया है। गिरफ्तारी से बचने के लिए ठगों ने कई बार में 83500 ट्रांसफर करवा लिए। वहीं सोहना के हरियाहेड़ा गांव में रहने वाले इंद्रपाल के बैंक खाते से किसी ने साढ़े 18 हजार रुपये निकाल लिए।

    उन्होंने कहा कि बीते दिनों जब वह घर पर थे इस दौरान उनके मोबाइल पर बैंक से रुपये निकलने का मैसेज आया। कहा कि न तो उन्होंने किसी को ओटीपी दिया और न ही उनके पास किसी का फोन आया। लेकिन इसके बावजूद ये रुपये धोखाधड़ी से निकल गए।