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    गुरुग्राम में पतंगबाजी का शौक बढ़ा रहा बेजुबानों का दर्द, सात दिनों में 25 से अधिक पक्षी घायल

    Updated: Sun, 17 Aug 2025 04:43 PM (IST)

    गुरुग्राम में स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन पर पतंगबाजी के दौरान कई पक्षी मांझे से घायल हुए। धर्मार्थ पक्षी चिकित्सालय में 25 से अधिक पक्षियों का इलाज किया गया। डॉक्टरों के अनुसार मांझे से घायल होने वाले पक्षियों में कबूतरों की संख्या अधिक है। अस्पताल में घायल पक्षियों की देखभाल की जा रही है। घायल पक्षी मिलने पर तुरंत ब्लीडिंग रोकें और पुलिस को सूचित करें।

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    पतंगबाजी का शौक बढ़ा रहा बेजुबानों का दर्द, सात दिनों में 25 से अधिक पक्षी घायल।

    जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। साइबर सिटी में स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन के मौके पर पतंगबाजी पक्षियों के लिए काल बनी है। खतरनाक मांझे की चपेट में आने से कुछ बेजुबानों के जीवन की डोर कट गई तो कई पक्षियों के पंख कटने व हड्डियां टूटने से वे उड़ने से मोहताज हो गए हैं। पिछले सात महीनों में पतंग के मांझे से 25 से अधिक पक्षी घायल हो चुके हैं। निजी क्लीनिकों में भी घायल पक्षी लाए गए हैं, ऐसे में यह आंकड़ा कई गुणा बढ़ जाता है।

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    स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पतंगबाजी का शौक अपने चरम पर होता है। लोग खुले आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें उड़ा कर खुश होते हैं, लेकिन वह यह भूल जाते हैं कि नीला आसमान में आजाद परिंदें भी उड़ते है। जिस मांझे के सहारे ये पतंगें उड़ाई जाती हैं, उससे कई पक्षी मांझे में फंस कर गंभीर रूप से घायल भी हो जाते हैं जबकि हर साल सैकड़ों मासूम परिंदे अपनी जान गंवा देते हैं।

    जैकबपुरा स्थित धर्मार्थ पक्षी चिकित्सालय के डा. राजकुमार के मुताबिक, 9 से 15 अगस्त के बीच 25 से अधिक पक्षियों को बचाया गया जबकि जनवरी से जुलाई के बीच करीब 30 घायल उपचार के लिए लाए गए। इनमें से अधिकतर मामले जनलेवा मांझे से हुए हैं।

    अस्पताल में सबसे अधिक मामले द्वारका एक्सप्रेसवे और सोसाइटियों से आ रहे हैं। पेड़ों-बिजली के तारों पर फंसे मांझे से पक्षी घायल हो जाते हैं। पालम विहार निवासी आरव सिंह कहते हैं कि उनके घर के पास घायल अवस्था में दो कबूतर मिले, इनके पंख पूरी तरह से मांझे से उलझे हुए थे। उन्हें उपचार के लिए एक निजी क्लीनिक में लेकर पहुंचे।

    घायल पक्षियों में कबूतर की संख्या ज्यादा

    चिकित्सकों की मानें तो पतंग के मांझा की चपेट में आकर किसी पक्षी के पंख कटे तो किसी की हड्डी टूटी गई। घायल पक्षियों में कबूतर की संख्या अधिक है। इसके बाद चील, तोते और अन्य पक्षी भी इन जानलेवा मांझे की चपेट में आ जाते हैं। कबूतरों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अच्छी होती है, वे अधिकतर किसी भी स्थिति में जीवित रहते हैं। लेकिन अन्य पक्षी प्रजातियों को काफी संघर्ष करना पड़ता है।

    हर प्रकार के पक्षियों का किया जाता है इलाज

    धर्मार्थ चिकित्सालय में हर प्रकार के पक्षियों का इलाज किया जाता है। अस्पताल में एक शेल्टर भी बनाया गया है। यहां घायल पक्षियों को रखा जाता है, जो उड़ नहीं पाते और ठीक होने तक उनकी पूरी देखभाल की जाती है। पक्षियों की देखभाल के लिए अस्पताल में डा. राजकुमार का कहना है कि स्वतंत्रता दिवस, रक्षाबंधन, मकरसंक्रांति जैसे त्योहारों के आसपास घायल पक्षियों की संख्या बढ़ जाती है। कई बार पक्षी की जान बचाने के लिए चोटिल हिस्से को काटकर अलग करना पड़ रहा है।

    घायल पक्षी का ऐसे रखें ध्यान

    - अगर घायल पक्षी मिलता है तो सबसे पहले उसकी ब्लीडिंग को रोका जाए।

    - पक्षियों को पालीथिन में बंद न करें, उन्हें किसी गत्ते के डिब्बे में रख दें।

    - कहीं मांझा दिखता है, तो पुलिस को सूचित करें।