गुरुग्राम मेयर के जाति प्रमाण पत्र की जांच के आदेश, हाई कोर्ट ने उपायुक्त को दिए 30 दिन
गुरुग्राम नगर निगम की मेयर राजरानी मल्होत्रा के जाति प्रमाण पत्र की जांच उपायुक्त करेंगे। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने यह आदेश एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिकाकर्ता का आरोप है कि मेयर ने चुनाव लड़ने के लिए फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाया है। न्यायालय ने उपायुक्त को 30 दिनों में जांच पूरी करने का आदेश दिया है। वादी पक्ष को अपना पक्ष रखने को कहा है।

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। नगर निगम गुरुग्राम की मेयर राजरानी मल्होत्रा का जाति प्रमाण पत्र सही है या नहीं, इसकी जांच उपायुक्त करेंगे। यह आदेश पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने फर्जी जाति प्रमाण होने को लेकर डाली गई याचिका पर 25 अगस्त को सुनवाई करते हुए जारी किया है। उपायुक्त को 30 दिनों के भीतर जांच पूरी कर सच्चाई सामने लाने को कहा गया है। साथ ही वादी पक्ष को इस संबंध में हरियाणा सरकार द्वारा बनाई गई स्टेट कमेटी के सामने अपना पक्ष रखने को भी कहा गया है।
याचिकाकर्ता यशपाल प्रजापति का आरोप है कि मेयर राजरानी मल्होत्रा ने चुनाव लड़ने के लिए अपनी जाति बदलकर पिछड़ा वर्ग-ए का जाति प्रमाण पत्र बनवाया है। राजरानी मल्होत्रा जाति से पंजाबी जाट खत्री हैं। चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने फर्जी तरीके से सुनार दर्शा कर बैकवर्ड क्लास का सर्टिफिकेट जारी करवाया है।
प्रजापति ने फर्जी प्रमाण पत्र को रद कर सख्त कार्रवाई की मांग की है। याचिकाकर्ता ने मेयर पद के लिए कांग्रेस पार्टी से उम्मीदवार रहीं सीमा पाहूजा के ऊपर भी फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाने का आरोप लगा रखा है। न्यायालय ने यह भी कहा है कि अगर उपायुक्त 30 दिनों में जांच नहीं करते हैं तो याचिकाकर्ता राज्य स्तर की जांच समिति के समक्ष अपील करने के लिए स्वतंत्र है।
इधर, जाति प्रमाण पत्र सही है या नहीं, इसकी जांच पूरी होने तक जिला अदालत में भी एक याचिका दायर है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता बनवारी लाल का दावा है कि मेयर का जाति प्रमाण पत्र फर्जी है। उनके पास प्रमाण हैं। चुनाव लड़ने के लिए फर्जी प्रमाण बनवाया गया। उनकी मांग है कि जब तक मामले की जांच पूरी नहीं हो जाती है जब तक मेयर को उनके अधिकार से वंचित किया जाए यानी उन्हें काम करने पर रोक लगाई जाए।
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