भ्रष्ट पटवािरयों की सूची जारी करने में तीन अधिकारी जिम्मेदार, वापस नहीं होगी, हरियाणा सरकार का हाईकोर्ट में जवाब
हरियाणा सरकार ने उच्च न्यायालय में पटवारी भ्रष्टाचार सूची मामले में जांच रिपोर्ट पेश की। सरकार ने सूची लीक होने के लिए तीन अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया और उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। सरकार का कहना है कि सूची गोपनीय थी और उन्होंने इसे सार्वजनिक नहीं किया। याचिकाकर्ताओं ने सूची को सार्वजनिक डोमेन से हटाने की मांग की है क्योंकि इससे उनके अधिकारों का उल्लंघन होता है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के राजस्व विभाग में कार्यरत 370 पटवारियों को भ्रष्ट बताने वाली सूची जारी करने के मामले में जांच रिपोर्ट राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में दाखिल कर दी है। सरकार ने तीन अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है और सूची वापस लिए जाने से इन्कार कर दिया है।
राजस्व विभाग के विशेष सचिव ने कोर्ट में जवाब दायर कर कहा कि पटवारियों की संदिग्ध सूची लीक होने के मामले में तथ्य जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर यह पाया गया कि राजीव मल्होत्रा (तत्कालीन अंडर सेक्रेटरी- वर्तमान में डिप्टी सेक्रेटरी), आजाद बल्डिया (डिप्टी सुपरिंटेंडेंट) और रविंद्र कुमार (असिस्टेंट) अपनी ड्यूटी निभाने में लापरवाह रहे और सूची को सार्वजनिक डोमेन में लीक करने के लिए जिम्मेदार पाए गए।
रिपोर्ट के आधार पर सक्षम प्राधिकारी ने इन तीनों अधिकारियों के खिलाफ हरियाणा सिविल सर्विसेज (दंड एवं अपील) नियम 2016 के तहत बड़ी सजा की कार्रवाई शुरू कर दी है। इस संबंध में चार सितंबर 2025 को चार्जशीट जारी की गई है। सरकार की तरफ से कहा गया कि यह सूची अति गोपनीय थी और सरकार की तरफ से इसको सार्वजनिक नहीं किया गया। जिस पर कोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा कि सभी समाचार पत्रों में लिखा हुआ है कि सरकार द्वारा जारी सूची।
कोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्या वह सूची वापस ले रही है, इस पर सरकारी वकील ने कहा कि जब सरकार ने सूची जारी नहीं की तो वापस लेने का कोई मतलब नहीं है। याची पटवारियों की वकील ईशानी गोयल ने हरियाणा सरकार के इस आरोप का खंडन करते हुए कहा कि राजस्व मंत्री ने कहा था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ इस तरह की और भी सूची जारी होगी, इसलिए यह कहना गलत है कि यह सूची अधिकारियों की गलती से जारी हुई।
ईशानी ने कहा कि राजनीतिक लाभ लेने के लिए यह सूची जारी की गई थी। इस मामले में याची साहिबजीत सिंह संधू ने कहा कि पटवारियों को भ्रष्ट बताने वाली सूची के सार्वजनिक होने के बाद इसे प्रकाशित किया गया। बिना किसी आधिकारिक जांच के व्यक्तियों को भ्रष्ट बताना उनके अधिकारों का उल्लंघन है और यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
हरियाणा सरकार ने यह स्वीकार किया कि यह विभाग का सबसे गोपनीय दस्तावेज था। इस मामले में याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की थी, ताकि उन 370 पटवारियों और 170 निजी व्यक्तियों के मूलभूत अधिकारों की रक्षा की जा सके, जिसका नाम भ्रष्ट पटवारियों के रूप में एक सूची में प्रकाशित किया गया था। याचिकाकर्ता ने अदालत से आग्रह किया कि इस सूची को तुरंत सार्वजनिक डोमेन से वापस लिया जाए और आगे इसकी कोई भी जानकारी प्रकाशित या प्रसारित न हो।
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