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    काले रंग के बाजरे ने बढ़ाई किसानों की चिंता, सरकार ने खरीद में नहीं दी ढील तो रंग के कारण हो सकता है फेल

    Updated: Sun, 14 Sep 2025 04:41 PM (IST)

    झज्जर में बारिश से बाजरे की फसल खराब हुई है जिससे बाजरे का रंग काला हो गया है और गुणवत्ता प्रभावित हुई है। मंडियों में काले बाजरे की आवक बढ़ गई है जिससे किसानों और व्यापारियों की चिंता बढ़ गई है। वे सरकार से खरीद नियमों में ढील देने की मांग कर रहे हैं ताकि उनकी फसल खरीदी जा सके।

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    काले रंग के बाजरे ने बढ़ाई किसानों की चिंता। फोटो जागरण

    जागरण संवाददाता, झज्जर। पिछले दिनों मानसून की बारिश के कारण खराब हुई बाजरे की फसल का असर बाजरे के उत्पादन व गुणवत्ता पर भी पड़ रहा है। जिससे किसानों व आढ़तियों की चिंता भी बढ़ रही है, क्योंकि मंडी में जो जितना बाजरा आ रहा है उसमें से करीब 70 से 80 प्रतिशत बाजरा काले रंग का आ रहा है।

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    जिसकी वजह से इस बार सरकार ने अगर बाजरे की खरीद में ढिलाई नहीं दी तो बाजरे की गुणवत्ता को लेकर बड़े सवाल खड़े हो सकते हैं और गुणवत्ता पर खरा न उतरने की वजह से बाजो की ढेरियां फेल हो सकती हैं। इस वजह से किसानों की चिंता बढ़ी हुई है।

    जिले में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के आंकड़ों के मुताबिक करीब 80237 एकड़ भूमि में बाजरे की बिजाई की गई थी। जिसमें से करीब 62000 एकड़ भूमि की फसल खराब हो चुकी है।

    25 से 100 तक खराब हुई इस फसल का असर सीधा बाजरे की गुणवत्ता पर दिखाई देने लगा है। हालांकि बाजरे के कुछ ढेरियां सफेद रंग की भी आ रही हैं और वह बाजार गुणवत्ता में भी अच्छा दिखाई दे रहा है।

    बाजरे के टेस्ट में भी फर्क

    बारिश के कारण बाजरे के टेस्ट में भी काफी फर्क है। सफेद रंग के बाजरे में जहां मिठास है, वहीं काले रंग के बाजरे में चबाने पर कड़वाहट महसूस हो रही है। सरकार के नियम अनुसार कलरफेड बाजरे की खरीद नहीं होती, लेकिन इस बार यह समस्या सबसे ज्यादा सामने आएगी। वहीं जिले की अनाज मंडियों में अब तक करीब 35 हजार क्विंटल बाजरा आ चुका है।

    आढ़ती और किसान सरकार की तरफ से खरीद शुरू करवाने का इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि मानसून की शुरुआत में ही अच्छी बारिश होने के बाद किसानों ने बाजरे की अगेती फसल की फसल की बिजाई कर दी थी और अब बाजरे की फसल पकने के बाद कटाई व कढ़ाई का कार्य तेजी से चल रहा है।

    धान डालने के लिए नहीं बचेगा स्थान

    अगर अनाज मंडियों में बाजरे की खरीद एक एक अक्टूबर से शुरू हुई तो इस बार मंडियां उस समय तक बाजरे से पूरी तरह भर चुकी होंगी और धान डालने के लिए जगह तक नहीं बच पाएगी। बाजरे की खरीद पहले शुरू करवाने के लिए आढ़तियों ने एसडीएम से सोमवार को अनाज मंडी में बुलाने व डीसी से मिलने की योजना बनाई है।

    पीआर व ग्रेड ए धान की होती है सरकारी खरीद

    सरकार की तरफ से जिले में धान की खरीद के लिए पांच मंडियां निर्धारित कर दी हैं। इनमें झज्जर, बहादुरगढ़, बेरी, मातनहेल व माजरा डी मंडियां शामिल हैं। मातनहेल व झज्जर की अनाज मंडियों में बाजरे की आवक तेजी से चल रही है।

    झज्जर की अनाज मंडी में करीब 18 हजार व मातनहेल की अनाज मंडी में करीब 17 हजार क्विंटल बाजरा पहुंच चुका है। सरकार की तरफ से बाजरे का समर्थन मूल्य 2775 रुपये निर्धारित किया गया है। वहीं पीआर धान का मूल्य 2369 रुपये व ग्रेड ए धान का मूल्य 2389 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया हुआ है।

    सोमवार को मिलेंगे डीसी से झज्जर अनाज मंडी के आढ़ती एसोसिएशन के कार्यवाहक प्रधान हरेंद्र सिलाना का कहना है कि सोमवार को एसडीएम को झज्जर की अनाज मंडी में आकर हालात का जायजा लेनी की मांग की गई है। उसके बाद बाजरे की सरकारी खरीद जल्दी शुरू करवाने की मांग को लेकर उनसे मिला जाएगा।

    बाजरे की गुणवत्ता को लेकर नियमों में नहीं कोई बदलाव

    डीएफएससी अशोक शर्मा का कहना है कि सरकार की तरफ अभी तक बाजरे की गुणवत्ता को लेकर नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। बाजरे की सरकारी खरीद एक अक्टूबर से पहले शुरू करने के कोई आदेश नहीं आए हैं।

    अगर सरकार के बाजरा पहले खरीदने के आदेश आते हैं ताे एजेंसियां पहले खरीद कार्य करने के लिए मंडियों में पहुंच जाएंगी।