पद्म पुरस्कार के लिए हरियाणा के तीन खिलाड़ी नामित, जानिए मनु भाकर, अमन सहरावत और सरबजोत की कहानी
खेल मंत्रालय ने पद्म पुरस्कारों के लिए झज्जर की मनु भाकर और अमन सहरावत सहित तीन हरियाणवी खिलाड़ियों को नामित किया है। मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में शूटिंग में दो कांस्य पदक जीते थे और वे आईएसएसएफ विश्व कप की तैयारी कर रही हैं। वहीं अमन सहरावत जिन्होंने कुश्ती में कांस्य पदक जीता मानते हैं कि इस पदक ने उनकी जिंदगी बदल दी।

जागरण संवाददाता, झज्जर। खेल मंत्रालय ने जिन पांच खिलाड़ियों के नाम पद्म पुरस्कारों के लिए नामित किए हैं, इनमें से झज्जर की मनु भाकर, बिरोहड़ गांव के अमन सहरावत सहित तीन हरियाणवी खिलाड़ी हैं। मनु भाकर ने पेरिस ओलिंपिक में शूटिंग में दो ब्रान्ज मेडल जीते।
एक मेडल में जोड़ीदार रहे अंबाला के सरबजोत भी नामित हुए हैं। पेरिस ओलिंपिक के ब्रान्ज मेडल जीतने वाले रेसलर अमन सहरावत भी झज्जर के हैं।
बता दें कि पुरस्कार समिति 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) के मौके पर पुरस्कारों की घोषणा करती है। पेरिस ओलिंपिक में 117 सदस्यीय भारतीय दल में 24 हरियाणवी थे। देश को मिले 6 पदकों में से 1 रजत और 3 ब्रान्ज हरियाणवियों ने जीतें।
मनु भाकर
गांव गोरिया की बेटी मनु भाकर खेल रत्न, अर्जुन अवार्ड जैसे सर्वोच्च खेल सम्मान पहले ही हासिल कर चुकी हैं। हाल ही में मनु भाकर ने कजाकिस्तान में हुई एशियन चैंपियनशिप में दो ब्रान्ज मेडल अपने नाम किए हैं।
साथ ही मनु 2027-2028 में भारत में होने वाली आईएसएसएफ विश्व कप चैंपियनशिप की तैयारी में जुटी हैं। टेनिस, मणिपुरी मार्शल आर्ट थांग-ता, बाक्सिंग, स्केटिंग, आर्चरी में हाथ आजमा चुकी मनु ने शूटिंग करियर की शुरुआत स्कूल में स्थापित की गई रेंज से की थी।
जिसमें उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। पिता रामकिशन भाकर मर्चेंट नेवी में अधिकारी हैं और उनकी मां सुमेधा शिक्षिका है। खेलों के साथ-साथ वह पढ़ाई में भी खास रूचि रखती है। इन दिनों वह आईआईएम से स्पोटर्स मेनेजमेंट करने की तैयारी में है।
अमन सहरावत
पेरिस ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले गांव बिरोहड़ निवासी अमन सहरावत की जिंदगी कभी आसान नहीं रही। माता-पिता के देहांत के बाद परिवार ने उनका पूरा साथ दिया। वे खुद भी मानते है कि ओलिंपिक पदक ने मेरी जिंदगी 90 फीसदी बदल दी।
इससे पहले मुझे कोई नहीं जानता था। पहले मेरे प्रदर्शन पर गौर नहीं किया जाता था, लेकिन पेरिस की सफलता के बाद लोग मुझे जानने लगे, मेरा सम्मान करने लगे। मुझे लगा कि मैंने देश के लिए कुछ किया है और 10-15 साल की कड़ी मेहनत रंग लाई है।
बता दें कि पदक जीतने के बाद भी एक सादा जीवन जीने वाले अमन सहरावत ने छत्रसाल स्टेडियम के अपने कक्ष में विशेष रूप से ऐसी लाइनों को स्थान दिया है, जिससे उन्हें रोजना आगे बढ़ने और मेडल जीतने की प्रेरणा मिलती है।
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