मनाया अहोई अष्टमी का पर्व, महिलाओं ने बच्चों के लिए रखा व्रत
जिलेभर में रविवार को अहोई अष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। पर्व को लेकर महिलाओं ने अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए व्रत रखा। पर्व को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह देखा गया। इस मौके पर सुबह के समय महिलाओं ने जहां पूजा- अर्चना की।
जागरण संवाददाता, कैथल : जिलेभर में रविवार को अहोई अष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। पर्व को लेकर महिलाओं ने अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए व्रत रखा। पर्व को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह देखा गया। इस मौके पर सुबह के समय महिलाओं ने जहां पूजा- अर्चना की। इसके बाद शाम को कथा सुनी।
बता दें कि अहोई अष्टमी के पर्व के दिन महिलाएं व्रत को रात के समय तारों को देखकर खोलती हैं। श्री हनुमान वाटिका के मुख्य पुजारी पंडित विशाल शर्मा ने बताया कि यह व्रत निर्जला रखा जाता है और इसमें अहोई माता की पूजा की जाती है। मान्यता है कि कार्तिक मास की अष्टमी के दिन निर्जला व्रत रखकर अहोई माता की पूजा करने से संतान की लंबी आयु होती है। शर्मा ने बताया कि अहोई माता की पूजा के लिए कहीं कहीं चांदी के दानें लाएं जाते हैं और हर अहोई अष्टमी पर दो दानें माला में पिरोए डाले जाते हैं। श्री सनातन धर्म मंदिर सीवन में चल रही कार्तिक मास कथा में लिया भाग
सीवन : श्री सनातन धर्म मंदिर सीवन में चल रही कार्तिक मास कथा में मंदिर के महन्त महेश शर्मा ने कथा करते हुए साध संगत से कहा कि कार्तिक मास में सूर्य नीच का होता हैं, इस कारण इस मास में विवाह आदि कार्य कम होते हैं, लेकिन इस मास में भगवान का सतसंग, पूजा व नाम लेना उनके नाम का यज्ञ करना तथा देव मंदिर की परिक्रमा करना इन कार्यों को करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती हैं। महेश शर्मा ने कहा कि शास्त्रों मे ये भी वर्णन है कि जो इस मास को नियमित निभाते हैं वो मरणोपरांत स्वर्ग में नहीं वो सीधा भगवान के पास जाता हैं तभी ये मास अपने आप मे अति विशेष मास हैं, क्योंकि ये त्योहारों का भी मास हैं इस मास मे गोवर्धन पूजा, विश्वकर्मा दिवस जिसमें शास्त्रों की पूजा की जाती हैं, देव उठायनी एकादशी आती हैं जब भगवान विष्णु सावन माह में हरि शायनी एकादशी पर सो जाते हैं और चार महीनों के लिए कार्य रुक जाते हैं तब भगवान विष्णु इसी महीने में जागते हैं जिस महीने मे भगवान जाग जाएं, वो मास अपने आप सभी देवी देवताओं का अति प्रिय मास बन जाता हैं। इसलिए कार्तिक मास को नियमित निभाना अति उत्तम है। इसी माह में दीवाली, तुलसी विवाह, भाई दूज आदि त्योहार मनाए जाते हैं व गुरुनानक जयंती पर ये मास पूर्ण हो जाता है। इसलिए कार्तिक मास अपने आपमें महत्वपूर्ण है।
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