गाड़ी से सफर कर देश की संस्कृति का प्रचार कर रहे हैं हेल्थ कोच मुकेश, अब तक कर चुके हैं 31 देशों की यात्रा
हेल्थ कोच मुकेश कुमार 95 दिनों में 46 देशों की यात्रा पर निकले हैं जिसमें से 31 देशों का सफर पूरा कर चुके हैं। उनका लक्ष्य भारत की संस्कृति को विश्व तक पहुंचाना है। अपनी विशेष रूप से डिजाइन की गई कार पर जिसमें भारतीय धरोहरों को दर्शाया गया है वे हर देश में तिरंगा लहराते हैं।

रीतिका एस. वोहरा, कुरुक्षेत्र। नाम मुकेश कुमार, पेशे से हेल्थ कोच और उनका सपना दुनिया घूमकर देश की संस्कृति को पूरे विश्व तक पहुंचाना है। घूमने-फिरने के शौकीन मुकेश अब अपने सपने के करीब हैं। 95 दिन में 46 देशों के सफर पर निकले मुकेश 31 देशों की यात्रा पूरी कर चुके हैं।
इसके लिए उन्होंने अपनी कार को खास तरह से डिजाइन करवाया है, जिस पर देश से जुड़ी ऐतिहासिक व सांस्कृतिक विरासत और धरोहरों को प्रिंट किया गया है। वह जिस देश में पहुंचते हैं, वहां तिरंगे को हाथों में उठाकर लहराते हैं। इस यात्रा के लिए मुकेश पिछले साल से तैयारी कर रहे थे।
लक्ष्य को पूरा करने में ईरान-इराक का युद्ध व भारत-पाकिस्तान के युद्ध की रुकावट भी आई, लेकिन उनके कदम नहीं डगमगाए। परिस्थितियां अनुकूल होते ही उन्होंने अपनी यात्रा को 28 जून से शुरू किया। अब वे इटली पहुंच चुके हैं। अब तक 31 देशों तक पहुंचने में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन लक्ष्य मजबूत था और वे आगे बढ़ते रहे। अब तक 31 देशों के बार्डर पर भारतीय झंडे का प्रचार कर चुके हैं।
30 सितंबर को पहुंचेंगे लंदन
मुकेश रूस, फिनलैंड, स्वीडन, डेनमार्क, जर्मनी, आस्ट्रिया, तुर्किए, ग्रीस, सर्बिया, क्रोएशिया, इटली, वेटिकन सिटी, स्विट्जरलैंड, फ्रांस, स्पेन, पुर्तगाल समेत 46 देशों की यात्रा पर निकले हैं। वे लगभग 35 हजार किलोमीटर का सफर तय करके 30 सितंबर तक लंदन पहुंचेंगे।
कई दुश्वारियों का करना पड़ा सामना
मुकेश ने बताया कि जब वे चीन और कजाकिस्तान के बार्डर पर पहुंचे तो वहां उनके साथ पूछताछ की। इंटरनेट मीडिया अकाउंट खंगालने शुरू किए तो अधिकारियों को इंडियन आर्मी को लाइक किया पेज मिला। जिससे उन्हें लगा कि वे भारतीय सेना से हैं और यहां जासूसी करने आए हैं।
अधिकारियों ने चार घंटे पड़ताल के बाद ही उन्हें आगे जाने दिया। मुकेश ने अपने सफर के लिए वीजा को यात्रा के रूट के समय के अनुसार लिया है। ऐसे में उसी समय सारिणी के अनुसार उन्हें कई जगह समय पर पहुंचने के लिए दिन-रात सफर करना पड़ता है।
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