पुरानी हवेली के मलबे से बरामद हुए 1840 के चांदी के सिक्के, भीड़ ने लूटा खजाना; अधिकारियों पर उठे सवाल
कनीना-अटेली मार्ग पर नई अनाज मंडी स्थित चेलावास की दीवार के नजदीक चेलावास की पुरानी हवेली का मलबा डालने के बाद स्थानीय लोगों को 200 साल पुराने चांदी के सिक्के मिले। सिक्के वर्ष 1840 के हैं, प्रत्येक पर महारानी विक्टोरिया की तस्वीर अंकित है और इनमें एक-एक रुपये के चांदी के सिक्के शामिल हैं।

मलबे में मिले चांदी के प्राचीन सिक्के एवं बृहस्पतिवार को भी मलबे में सिक्के तराशते बच्चे। सौ- प्रत्यक्षदर्शी
संवाद सहयोगी, जागरण, कनीना। कनीना-अटेली मार्ग पर नई अनाज मंडी स्थित चेलावास की दीवार के नजदीक चेलावास की पुरानी हवेली का मलबा डालने के बाद स्थानीय लोगों को 200 साल पुराने चांदी के सिक्के मिले। सिक्के वर्ष 1840 के हैं, प्रत्येक पर महारानी विक्टोरिया की तस्वीर अंकित है और इनमें एक-एक रुपये के चांदी के सिक्के शामिल हैं।
घटना तब सामने आई जब बुधवार को एक बच्चे को मलबे में पहला सिक्का मिला। इसके बाद उसने अपने साथियों को सूचना दी, और देखते ही देखते लगभग 200 से 250 लोग मौके पर जमा हो गए। लोग औजार और यंत्रों से खुदाई करने लगे और जितने सिक्के हाथ लगे, उन्हें अपने कब्जे में ले गए। बूहस्पतिवार को भी बड़ी संख्या में लोग सिक्कों की तलाश करते रहे लेकिन सरकारी नुमाइंदे घटनास्थल पर मौके पर पहुंचने की कोई उपयोगिता नहीं समझी।
इस दौरान न तो पुलिस अधिकारी और न ही पुरातत्व विभाग या राजस्व विभाग का कोई प्रतिनिधि मौके पर दिखाई दिया। स्थानीय लोग अधिकारियों की निष्क्रियता पर गहराई से नाराज हैं। उनका कहना है कि यदि समय रहते अधिकारी और पुरातत्व विभाग के प्रतिनिधि मौके पर आते, तो न केवल सिक्कों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती थी, बल्कि ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण के लिए भी कदम उठाए जा सकते थे।
इस संबंध में एसडीएम ने कहीं बाहर होने का हवाला देते हुए मामले से किनारा कर लिया। वहीं स्थानीय पटवारी प्रदीप ने कहा कि उन्हें अभी कोई विभागीय निर्देश नहीं मिले हैं। लेकिन वह शनिवार को मुआयना करेंगे।
उधर, प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अगर अधिकारी समय पर आते, तो सिक्कों की सुरक्षा और मलबे की निगरानी सुनिश्चित की जा सकती थी। जानकारी के मुताबिक हवेली का मलबा मानसिंह नामक व्यक्ति ने अपनी अर्थमूवर और ट्रैक्टर की मदद से अनाज मंडी के पास डाल दिया था। माना जा रहा है कि सिक्के हवेली की दीवार में छुपाए गए थे।
हालांकि, मलबे को अब समतल कर दिया गया है और अधिकांश सिक्के पहले ही उठाए जा चुके हैं। कनीना के योगेश अग्रवाल ने कहा कि हवेली का मालिक पहले किसी उमराव का परिवार था, जो अब विदेश में रह रहा है।
हवेली पिछले कई सालों से खंडहरनुमा बनी हुई थी और अब यह मलबे की वजह से इतिहास प्रेमियों और स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई है। यह घटना सिर्फ एक ऐतिहासिक खजाने की बरामदगी नहीं है, बल्कि स्थानीय प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारियों की कार्रवाई की कमी को भी उजागर करती है।
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