Dev Uthani Ekadashi 2025: देवउठनी एकादशी से बजेंगी शहनाइयां, जानिए कब-कब हैं शुभ मुहूर्त
देवउठनी एकादशी हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से जागते हैं और चातुर्मास समाप्त होता है। इसके साथ ही विवाह और गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। गृहस्थ 1 नवंबर को और वैष्णव संप्रदाय 2 नवंबर को व्रत रखेंगे। विवाह कार्य 2 नवंबर से 14 दिसंबर तक चलेंगे।

जागरण संवाददाता, नारनौल। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। यह तिथि हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ मानी गई है। इसी दिन भगवान विष्णु 4 महीनों की योग निद्रा से जागते है। भगवान विष्णु के जागने के साथ ही चातुर्मास का समापन होता है।
इस दिन से सभी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि फिर से शुरू हो जाते हैं। देवउठनी एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी, देवोत्थान एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
इस दिन साधक भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना करते है। तथा व्रत का पालन करते हैं। इसके साथ ही इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है।
आचार्य क्रांति निर्मल शास्त्री ने बताया कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि एक नवंबर को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर शुरू हो रही है तथा दो नवंबर को सुबह 7 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में देवउठनी एकादशी का व्रत गृहस्थ लोग एक नवंबर को रख सकते है।
वैष्णव संप्रदाय के लोग दो नवंबर को रखेंगे। इस दिन से विवाह कार्य शुरू हो जाएंगे, जो कि विवाह कार्य 14 दिसंबर तक चलेंगे। 14 दिसंबर को शुक्रास्त होने के कारण विवाह आदि शुभ कार्य के मुहूर्त बंद हो जाएंगे।

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