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    कागजों में घूम रहा बायोमेट्रिक हाजिरी शुरू करने का आदेश, धरातल पर बंक मार रहे शिक्षक

    Updated: Thu, 28 Aug 2025 09:00 PM (IST)

    नूंह जिले में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति खराब है। स्कूलों में बायोमेट्रिक मशीनें खराब होने के कारण शिक्षक समय पर नहीं आ रहे हैं जिससे शिक्षा पर बुरा असर पड़ रहा है। उपायुक्त के आदेशों के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। कई स्कूलों में मशीनें खराब पड़ी हैं या हैं ही नहीं।

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    कागजों में घूम रहा बायोमेट्रिक हाजिरी शुरू करने का आदेश। जागरण

    मोहम्मद मुस्तफा, नूंह। नूंह जिले की शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर भले ही विभाग और जिला प्रशासन दावे करता हो, लेकिन शिक्षकों की बिगड़ी हुई आदत में जर्रा बराबर भी सुधार नजर नहीं आ रहा है। स्कूलों में खराब पड़ी बायोमेट्रिक हाजिरी मशीनों का शिक्षक गलत फायदा उठा रहे हैं।

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    बायोमेट्रिक हाजिरी बंद होने के कारण स्कूलों में गुरुजी देरी से पहुंचते हैं और समय से पहले ही छुट्टी करके घर लौट जाते हैं। यह सिलसिला कारोना काल के बाद से ही चला आ रहा है। क्योंकि काेरोना काल के दौरान बायोमेट्रिक हाजिरी लगाना बंद कर दिया है। जिसे बाद में चालू नहीं किया गया। उस वक्त जाे मशीनें लगाई गई थी व खराब हो गई थी। जिन्हें बाद में ठीक नहीं कराया गया।

    वहीं, गिरते शिक्षा के स्तर को सुधारने व गुरुजी के समय पर स्कूल पहुंचने के मकसद से जिला उपायुक्त द्वारा स्कूलों में बायोमेट्रिक हाजिरी के लिए कई बार आदेश जारी किए जा चुके हैं लेकिन धरातल पर इन आदेशों की कोई पालना नहीं हो रही है।

    लोगों का कहना है कि यहां शिक्षा का सबसे बड़ा मुद्दा है। जिसके सुधार की ओर न शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों का ध्यान है ओर न ही जिला उपायुक्त का। अधिकारियों पर नकेल नहीं कसे जाने के चलते शिक्षक जमकर बंक मार रहे हैं।

    आलम यह है कि कहीं बायोमेट्रिक मशीन खराब पड़ी हुई है तो किसी स्कूल में मशीन ही नहीं है। जिसका असर यह है कि समय पर शिक्षक स्कूल ही नहीं आते। दैनिक जागरण की तरफ पिछले दिनों कुछ स्कूलों में शिक्षकों की लेटलतीफी के मामले उजागर किए, लेकिन विभाग के अधिकारियों की तरफ से कोई सख्ती नहीं की गई। जिस कारण अभी भी सरकारी स्कूलों में शिक्षक मनमानी कर रहे हैं।

    बता दें कि जिले में 887 स्कूल हैं। जिनमें से 500 प्राइमरी, 260 मिडिल और 127 सीनियर सेकेंडरी स्कूल हैं। इनमें किसी भी स्कूल में में बायोमेट्रिक हाजिरी नहीं लगती है। जिले के लोगों का मामना है कि अगर बायोमेट्रिक हाजिरी लागू हो जाए तो शिक्षक समय पर स्कूल आ सकेंगे, जिससे शिक्षा में सुधार की गुजाइंश दिखाई देती है।

    इन गांवों में सबसे अधिक बिगड़ी शिक्षा व्यवस्था : हालांकि जिले अधिकांश गांवों में शिक्षा की स्थिति ठीक नहीं है फिर भी झारपुड़ी गांव, बूबलहेड़ी, ढाणा, डूंगेजा, जेतलका, मल्हाका, नीमखेड़ा, बडेड, ऐंचवाड़ी, रानोता, मानौता, झिमरावट, खानपुरघाटी, पापड़ा, लुहिंगा खुर्द, चांदड़ाका, तिगांव, महूं, आमका ऐसे गांव हैं, जहां पर सबसे ज्यादा हालात खराब हैं।

    जागरण सुझाव: शिक्षा विभाग को चाहिए कि सभी स्कूल में बायोमेट्रिक मशीनों को ठीक कराए, ताकि शिक्षक स्कूल में समय पर आ सकें।

    • जिले में उपायुक्त को स्कूलों की जांच के लिए ठीमें गठित की जानी चाहिए
    • गठित की जाने वाली टीमों में एसडीएम, जिले के अधिकारियों को रोजाना तीन-चार स्कूलों की जांच के लिए लगाया जाना चाहिए।
    • अभिभावकों को भी चाहिए कि वे स्कूलों में नियमित रूप से जाकर बच्चों की पढ़ाई को लेकर जानकारी हासिल करें।
    • स्कूलों में एसएमसी कमेटी को स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर जानकारी रखनी चाहिए। पीटीएस मीटिंग में यह मामला उठाया जाए।
    • ग्राम पंचायत को चाहिए स्कूलों में जाकर शिक्षा व शिक्षकों को ध्यान रखना चाहिए।

    स्कूलों में बायोमेट्रिक हाजिरी शुरू करने के लिए सख्ती बरती जाएगी। जिन स्कूलों में शिक्षक समय पर स्कूल नहीं आ रहे हैं। उनके ऊपर भी विभागीय कार्रवाई की जाएगी। - चरण देव, खंड शिक्षा अधिकारी फिरोजपुर झिरका