अब बारिश में जलभराव से नहीं जूझेगा पलवल का हसनपुर, एसबीआर तकनीक दिलाएगी इस समस्या से छुटकारा
हसनपुर में जलभराव की समस्या से निजात दिलाने के लिए नौ करोड़ की लागत से चार एमएलडी क्षमता का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाएगा। पुराने एसटीपी को भी अपग्रेड किया जाएगा। एसबीआर तकनीक का इस्तेमाल होगा, जिससे पानी चार चरणों में शुद्ध होगा। प्लांट के जुलाई 2027 तक तैयार होने की उम्मीद है। जन स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है।

कुलवीर चौहान, पलवल। हसनपुर को जल्द जलभराव से राहत मिलने जा रही है। करीब नौ करोड़ की लागत चार एमएलडी की क्षमता वाला अत्याधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की योजना शुरू कर दी गई है। इसके अलावा, पहले से संचालित तीन एमएलडी क्षमता वाले पुराने एसटीपी को भी अपग्रेड किया जा रहा है। जन स्वास्थ्य विभाग इसकी तैयारी में जुटा हुआ है।
जलभराव की समस्या हो रही थी पैदा
उल्लेखनीय कि हसनपुर में जलभराव की समस्या से निजात दिलाने के लिए करीब दस वर्ष पहले यमुना किनारे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया गया था। हसनपुर से आने वाला सीवर का पानी इस प्लांट में आता है और साफ होकर यह यमुना नदी में छोड़ दिया जाता है। लेकिन बीते कुछ वर्षों में हसनपुर की आबादी में वृद्धि हुई।
साथ ही सहनौली गांव भी इस सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ दिया गया। ऐसे में तीन एमएलडी वाला एसटीपी क्षमता से कहीं छोटा पड़ रहा है। हालात इस कदर खराब हैं कि सीवर का पानी ओवरफ्लो होकर सड़कों पर बहता रहता है। खुद सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी गंदे पानी में डूबा रहता है। हसनपुर और आसपास जलभराव की यह समस्या लंबे समय से उत्पन्न हो रही है।
वर्षा के मौसम में यह समस्या विकराल रूप धारण कर लेती है। स्थानीय निवासी लगातार इस समस्या से निजात दिलाने की मांग प्रशासन से कर रहे थे। इसी को देखते हुए इसकी क्षमता चार एमएलडी बढ़ाई जा रही है। इस पर करीब नौ करोड रुपये खर्च होंगे।
नई तकनीक से बनेगा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट
नए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में एसबीआर तकनीक यानी सीक्वेंस बैच रिएक्टर तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। यह तकनीक इस समय बड़े बड़े शहरों में इस्तेमाल की जा रही है । इस तकनीक के जरिए पानी को चार चरणों में शुद्ध किया जाएगा।
पहले इनलेट चैनल में गंदे पानी को जमा किया जाएगा, फिर ग्रिड चैनल में बड़े कचरे और ठोस चीजों को निकाला जाएगा, उसके बाद फिल्टर चैनल के जरिए पानी को और साफ किया जाएगा।
अंत में क्लोरीनेशन के जरिए बैक्टीरिया खत्म कर दिया जाएगा। इसके बाद ये शुद्ध पानी यमुना नदी में छोड़ा जाएगा। इस पूरे सिस्टम को चलाने के लिए 15 से 25 हार्स पावर की पांच मोटरें लगाई जाएंगी, ताकि किसी भी स्तर पर तकनीकी दिक्कत न आए।
डेढ़ से दो साल में ट्रीटमेंट प्लांट को चालू करने की योजना
यह एसटीपी लगभग डेढ़ एकड़ जमीन पर बनेगा और अधिकारियों का अनुमान है कि यह प्लांट जुलाई 2027 तक तैयार हो जाएगा। साथ ही, पुराने प्लांट को भी आधुनिक बनाया जाएगा।
हसनपुर में चार एमएलडी का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाना प्रस्तावित है। साथ ही पुराने तीन एमएलडी वाले ट्रीटमेंट प्लांट को भी नवीनीकरण किया जाएगा। इसमें करीब नौ करोड़ की लागत आएगी। इसके लिए जन स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है।
- अजय, एसडीओ, जन स्वास्थ्य विभाग

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