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    जस्टिस निर्मल यादव को बरी करने के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती, आखिर किस मामले में बढ़ीं जज साहब की मुश्किलें?

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 12:02 PM (IST)

    सीबीआई ने 2008 के जज के घर नकदी मामले में निचली अदालत के बरी करने के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। अपील में रविंदर सिंह राजीव गुप्ता निर्मल सिंह और पूर्व जज निर्मल यादव को प्रतिवादी बनाया गया है। सीबीआई का कहना है कि ट्रायल कोर्ट ने साक्ष्यों की अनदेखी की जबकि 15 लाख रुपये की बरामदगी और इकबालिया बयान मौजूद थे।

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    जस्टिस निर्मल यादव को बरी करने के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती (CBI File Photo)

    राज्य ब्यूरो, पंचकूला। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई ) ने 2008 के बहुचर्चित “जज के घर नकदी” मिलने के मामले में विशेष सीबीआई अदालत चंडीगढ़ के 29 मार्च को सुनाए गए बरी करने संबंधी फैसले को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी है।

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    सीबीआई ने अपनी अपील में रविंदर सिंह, राजीव गुप्ता, निर्मल सिंह और पूर्व जज निर्मल यादव को प्रतिवादी बनाया है। हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच जस्टिस मंजरी नेहरू कौल और जस्टिस एचएस ग्रेवाल ने अपील पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया और 15 दिसंबर के लिए निचली अदालत का रिकॉर्ड तलब करने के निर्देश दिए।

    15 लाख रुपये की हुई बरामदगी

    सीबीआई की ओर से विशेष लोक अभियोजक आकाशदीप सिंह द्वारा दायर अपील में कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट ने कानून और तथ्यों की अनदेखी करते हुए पूरे अभियोजन पक्ष को खारिज कर दिया गया, जबकि मामले में विश्वसनीय साक्ष्य मौजूद थे। इसमें 15 लाख रुपये की बरामदगी, घटनाक्रम की कड़ी और कई इकबालिया बयान शामिल थे।

    सीबीआई का कहना है कि 13 अगस्त 2008 को जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर से 15 लाख रुपये की बरामदगी हुई थी, जिसे प्रकाश राम द्वारा गलती से वहां पहुंचा दिया गया था। यह रकम दरअसल आरोपी नंबर-पांच (जस्टिस निर्मल यादव) के लिए थी।

    अगले दिन यह राशि राजीव गुप्ता के जरिए जस्टिस निर्मल यादव तक पहुंचाई गई और उसी दिन उन्होंने सोलन में जमीन खरीदी। अपील में आरोप लगाया गया है कि यह रकम न्यायिक पक्षपात के बदले दी गई थी। साथ ही इसमें काल डिटेल रिकॉर्ड, धारा 164 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत दर्ज इकबालिया बयान और अन्य परिस्थिति जन्य साक्ष्यों का उल्लेख है।

    जांच के दौरान पता चला था कि आरोपित रविंदर सिंह ने अपने मित्र संजीव बंसल के माध्यम से 15 लाख रुपये जस्टिस निर्मल यादव को भिजवाए थे, लेकिन यह रकम गलत पते पर पहुंच गई। बाद में संजीव बंसल की मृत्यु हो गई और उनके खिलाफ की गई कार्यवाही समाप्त हो गई।

    78 गवाहों के बयान दर्ज हुए

    ट्रायल कोर्ट में कुल 78 गवाहों के बयान दर्ज हुए, जिनमें से कई मुकर गए थे, जिसके बाद अदालत ने शेष आरोपियों को बरी कर दिया। सीबीआई ने अपनी अपील में रविंदर सिंह, राजीव गुप्ता, निर्मल सिंह और पूर्व जज निर्मल यादव को प्रतिवादी बनाया है।