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    हरियाणा पुलिस और जेल विभाग के अधिकारियों में वर्दी-वेतन पर टकराव, DGP ने ऊंचे रैंक के बैज पहनने पर उठाए सवाल

    Updated: Sun, 07 Sep 2025 07:15 PM (IST)

    हरियाणा में पुलिस और जेल विभाग के अधिकारियों के बीच वर्दी और वेतन को लेकर टकराव बढ़ गया है। पुलिस महानिदेशक ने जेल अधिकारियों द्वारा ऊंचे रैंक के बैज पहनने पर आपत्ति जताई है जबकि जेल अधिकारियों का कहना है कि वास्तविक मुद्दा वेतन की असमानता है। उन्होंने गृह विभाग को पत्र लिखकर वेतन समानता की मांग की है। मामला अब सरकार के पाले में है।

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    पुलिस और जेल विभाग के अधिकारियों में वर्दी-वेतन पर टकराव। डीजीपी का फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के पुलिस और जेल विभाग के अधिकारियों में वर्दी तथा वेतन पर टकराव के हालात बन गए हैं। जेल अधिकारी ऊंचे रैंक के बैज पहन रहे हैं, जिस पर हरियाणा के पुलिस महानिदेशक को आपत्ति है। इसके विपरीत जेल अधिकारियों की दलील है कि वास्तविक मुद्दा बैच या वर्दी का नहीं, बल्कि वेतन की असमानता का है।

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    पुलिस महानिदेशक ने जहां जेल विभाग को इस संबंध में पत्र लिखा है, वहीं जेल विभाग के अधिकारियों ने गृह विभाग को पत्र लिखकर कुछ समितियों की सिफारिशों के आधार पर वेतन की असमानता को दूर करने की मांग की है।

    जेल व पुलिस विभाग के अधिकारियों के बीच टकराव इसलिए भी बढ़ने की संभावना है, क्योंकि हाल ही में हरियाणा सरकार ने जेल विभाग में एचपीएस अधिकारियों की नियुक्तियां की हैं। आइपीएस अधिकारियों को आइएएस के पदों पर नियुक्तियां देने का प्रयोग सरकार पहले ही कर चुकी है, जोकि अभी भी जारी है।

    एचपीएस अधिकारियों को परिवहन विभाग में भी पूर्व में नियुक्तियां मिल चुकी हैं। हरियाणा के पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने जेल विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि हरियाणा जेल नियम 2022 के अनुसार जेल अधिकारियों को जो बैज दिए गए हैं, वे पुलिस अधिकारियों के वास्तविक पे स्केल से कहीं ऊंचे स्तर के हैं।

    पुलिस महानिदेशक का तर्क है कि सेना और पुलिस दोनों में बैज और प्रतीक हमेशा पे स्केल से जुड़े होते हैं। अगर जेल विभाग में इस अनुशासन को तोड़ा गया तो यूनिफार्म्ड फोर्सेज़ में ‘रैंक पैरिटी’ खत्म हो जाएगी और आपातकालीन परिस्थितियों में कमांड की एकरूपता प्रभावित होगी।

    पुलिस महानिदेशक के इस पत्र के बाद जेल अधीक्षकों ने गृह सचिव डा. सुमिता मिश्रा को सौंपे पत्र में कहा है कि पुलिस की आपत्तियां तर्कहीन हैं। वर्दी हमेशा रैंक के आधार पर निर्धारित होती है, वेतनमान के आधार पर नहीं।

    उनका कहना है कि जेल सुपरिटेंडेंट क्लास-वन अधिकारी होते हैं और वे जेल प्रमुख के तौर पर वही भूमिका निभाते हैं, जो जिले में पुलिस अधीक्षक निभाते हैं। तर्क दिया है कि वास्तविक समस्या वेतन असमानता की है।

    अगर सरकार को लगता है कि पुलिस और जेल अधिकारियों की तुलना में अंतर है, तो इसे वर्दी से नहीं बल्कि वेतन समानता (पे पैरिटी) से दूर किया जाना चाहिए। अब पूरा मामला हरियाणा सरकार के पाले में है।

    एक ओर पुलिस विभाग वर्दी और बैज को पे स्केल के अनुरूप करने की मांग कर रहा है, ताकि रैंक डिसिप्लिन बना रहे। दूसरी ओर जेल अधिकारी वेतन समानता और पदमान्यता की मांग उठा रहे हैं।

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