Move to Jagran APP

'सजा मिलने के बाद पेंशन क्यों?', ओपी चौटाला समेत 4 पूर्व विधायकों की पेंशन पर रोक के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा (Haryana News Hindi) के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला सहित चार पूर्व विधायकों को कोर्ट द्वारा सजा सुनाए जाने के बावजूद पेंशन दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी है। हाईकोर्ट ने सभी प्रतिवादियों से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह जनता के पैसे का दुरुपयोग है।

By Dayanand Sharma Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Thu, 07 Nov 2024 02:03 PM (IST)
Hero Image
पूर्व विधायकों को सजा के बाद भी पेंशन को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा (Haryana News) के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला सहित चार पूर्व विधायकों को कोर्ट द्वारा सजा सुनाने के बाद भी पेंशन दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सरकार के आग्रह पर सुनवाई स्थगित कर दी है। इस मामले में सभी प्रतिवादी पक्ष से जवाब मांगा गया है।

चंडीगढ़ निवासी हरी चंद अरोड़ा ने दायर की याचिका

इस मामले में हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सतबीर सिंह कादियान, पूर्व विधायक अजय चौटाला और शेर सिंह बड़शामी से पूछा हुआ है कि क्यों न उनकी पेंशन पर रोक लगा दी जाए? याची चंडीगढ़ निवासी हरी चंद अरोड़ा के मुताबिक उन्होंने विधानसभा सचिवालय से पूर्व विधायकों की पेंशन के बारे में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी।

यह भी पढ़ें- हरियाणा विधानसभा में राज्यपाल पेश करेंगे नई सरकार का रोड मैप, 13 से 18 नवंबर तक चलेगा सत्र

सचिवालय की तरफ से बताया गया कि 288 पूर्व विधायकों को पेंशन दी जा रही है। इनमें ओमप्रकाश चौटाला को दो लाख 15 हजार 430 रुपये पेंशन मिल रही है। उनके पुत्र अजय चौटाला को 50 हजार 100 रुपये प्रति माह पेंशन मिल रही है और शेर सिंह बड़शामी को भी 50 हजार 100 रुपये प्रति माह पेंशन मिल रही है। ऐसे ही सतबीर सिंह कादियान को भी पेंशन दी जा रही है।

'सजा होने के बाद भी क्यों मिल रही पेंशन?'

याची का कहना है कि ओमप्रकाश चौटाला, अजय चौटाला और शेर सिंह बड़शामी को भ्रष्टाचार के आरोप में 16 दिसंबर 2013 को दस साल की सजा हो चुकी है। सतबीर कादियान को भी 26 अगस्त 2016 को सात साल की सजा हो चुकी है। इसलिए इन्हें पेंशन मिलना गैरकानूनी है। यह जनता के पैसे का दुरुपयोग है।

अरोड़ा ने बहस के दौरान कहा कि हरियाणा विधानसभा की धारा 7-ए (1-ए) (वेतन, भत्ता और सदस्यों की पेंशन) अधिनियम, 1975 के तहत अगर किसी विधायक को कोर्ट सजा सुना दे, तो वे पेंशन के अयोग्य हो जाते हैं। अरोड़ा ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने विधानसभा सचिव के सामने भी पेंशन रोकने के लिए याचिका दायर की थी।

हालांकि, विधानसभा सचिव ने अपने फैसले में कहा कि ये पूर्व विधायक वेतन-भत्ते एवं पेंशन एक्ट के तहत पेंशन के हकदार हैं। इनकी सदस्यता न तो कभी दल बदल कानून के तहत रद्द की गई और न ही इन्हें कभी जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत अयोग्य ठहराया गया। वहां से याचिका खारिज होने के बाद याची ने हाईकोर्ट की शरण ली।

यह भी पढ़ें- 'फोटो डिलीट करें, CM नायब सैनी को नहीं होने दूंगा बदनाम', आखिर किस बात पर भड़के अनिल विज

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।