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    पूर्व CM हुड्डा के प्रधान सचिव रहे एमएम तायल की 14 करोड़ की संपत्ति कुर्क, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED की कार्रवाई

    Updated: Tue, 08 Jul 2025 12:07 AM (IST)

    प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के प्रधान सचिव रहे एमएल तायल की 14.06 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है। तायल और उनके परिवार पर आय से अधिक संपत्ति जमा करने का आरोप है। ईडी की जांच में पाया गया कि तायल और उनके परिवार ने अवैध तरीकों से 14.06 करोड़ रुपये की अतिरिक्त संपत्ति हासिल की।

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    हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा। फाइल फोटो

    आईएएनएस, चंडीगढ़। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के प्रधान सचिव रहे एमएल तायल के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून 2002 के तहत तायल से जुड़ी नौ संपत्तियों को अस्थायी रूप से जब्त किया। 

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    चंडीगढ़, नई दिल्ली और गुरुग्राम में दो घर और सात अपार्टमेंट शामिल हैं। इसके अलावा 30 जून को 14.06 करोड़ रुपये की बैंक राशि भी जब्त की गई।

    एमएम तायल रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं और उनके परिवार पर आय से अधिक संपत्ति जमा करने का आरोप है। तायल ने 6 मार्च 2005 से 31 अक्टूबर 2009 तक हरियाणा मुख्यमंत्री कार्यालय में काम किया था और बाद में 30 नवंबर 2009 से 31 दिसंबर 2014 तक भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के सदस्य रहे।

    ईडी की जांच में पता चला कि 1 जनवरी 2006 से 31 दिसंबर 2014 के बीच तायल और उनके परिवार ने अपनी जानी-मानी आय से 14.06 करोड़ रुपये की अतिरिक्त संपत्ति हासिल की, जो कथित तौर पर अवैध तरीकों से प्राप्त धन से खरीदी गई थी। ईडी ने तायल, उनकी पत्नी सविता तायल और बेटे कार्तिक तायल के वित्तीय लेनदेन, आयकर रिकॉर्ड और शेयर बाजार की गतिविधियों की जांच की।

    एक अन्य कार्रवाई में ईडी की चंडीगढ़ इकाई ने 4 जुलाई को उत्तर प्रदेश के नोएडा और लखनऊ में तीन संदिग्ध कंपनियों के परिसरों पर छापेमारी की। इस दौरान कई अहम दस्तावेज, डिजिटल डिवाइस और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड जब्त किए गए।

    इन कंपनियों से जुड़े 116 बैंक खातों को भी फ्रीज किया गया। अब तक 103 करोड़ रुपये से अधिक राशि वाले 16 बैंक खातों पर रोक लगाई जा चुकी है।

    ईडी ने बताया कि ये कंपनियां फर्जी निदेशकों द्वारा संचालित थीं और खुद को आईटी कंपनी बताकर वॉलेट-आधारित एपीआई, घरेलू धन हस्तांतरण, आधार-सक्षम भुगतान सिस्टम और बिल भुगतान सेवाएं देने का दावा करती थीं।

    लेकिन ये कंपनियां वास्तव में क्यूएफएक्स, वाईएफएक्स ऑनलाइन फॉरेक्स और मल्टी-लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) घोटाले से जुड़े अवैध धन को वैध बनाने का काम कर रही थीं, जिसने देशभर में हजारों निवेशकों को ठगा।