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    गृह मंत्री शाह तक पहुंचा मामला, हरियाणा के कॉलेजों को पंजाब यूनिवर्सिटी से मान्यता दिलाने की मांग, 17 को बैठक में उठेगा मुद्दा

    By Sohan Lal Edited By: Sohan Lal
    Updated: Sat, 15 Nov 2025 01:01 PM (IST)

    हरियाणा के कॉलेजों को पंजाब यूनिवर्सिटी से मान्यता दिलाने का मामला अब गृह मंत्री अमित शाह तक पहुंच गया है। यह मुद्दा 17 नवंबर को एक महत्वपूर्ण बैठक में भी उठ सकता, जिसमें इस विषय पर विस्तार से चर्चा हो सकती है। हरियाणा के निवासी लगातार कॉलेजों को मान्यता दिलाने के लिए प्रयासरत है और इस बैठक से सकारात्मक परिणाम की उम्मीद है।

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    केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भेजा गया पत्र।

     

    जागरण संवाददाता, पंचकूला। हरियाणा के कॉलेजों को चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी से मान्यता दिलाने का मामला केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तक पहुंच गया है। इसके लिए शिवालिक विकास मंच के प्रदेशाध्यक्ष एवं कांग्रेस पूर्व प्रदेश सचिव विजय बंसल ने पत्र लिखा है। उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से भी यही मांग की है।

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    बंसल ने सीएम से मांग की है कि 17 नवंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में फरीदाबाद में होने वाली नॉर्दर्न जोनल काउंसिल की बैठक में पंजाब यूनिवर्सिटी का मुद्दा उठाकर पंचकूला और अंबाला जिले के सभी कॉलेजों को पंजाब यूनिवर्सिटी से दोबारा अटैच करवाने का कष्ट करें। विगत 9 जुलाई 2022 को जयपुर में हुई नॉर्दर्न जोनल काउंसिल की बैठक में भी हरियाणा ने यह मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया था, लेकिन पंजाब ने इसका कड़ा विरोध किया था।

    विजय बंसल ने बताया कि एक नवंबर 1976 तक हरियाणा के कई कॉलेज पंजाब यूनिवर्सिटी से संबंधित थे, लेकिन उसके बाद यह व्यवस्था खत्म कर दी गई थी। हरियाणा का अपनी राजधानी चंडीगढ़ में बराबर का हिस्सा है और जबकि पहले भी यहां के कॉलेज पंजाब यूनिवर्सिटी से एफिलिएटिड थे तो इन्हें दोबारा से यूनिवर्सिटी से जोड़ा जाना कोई गलत बात नहीं है बल्कि यह जिला पंचकूला और अंबाला के युवाओं को उच्च शिक्षा दिलाने के अधिकार का विषय है।

    पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ में हरियाणा की हिस्सेदारी फायदे वाली होगी क्योंकि यहां देश से भी अच्छे अंक लेकर पढ़ने वाले बच्चे आते हैं उनके साथ हरियाणा के बच्चे पढ़ेंगे तो प्रतिस्पर्धा के लिए उनकी शिक्षा भी बेहतर होगी। 

    उन्होने बताया कि पहले पंजाब यूनिवर्सिटी में 92 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार का जबकि 4 फीसदी हरियाणा और 4 फीसदी पंजाब का हिस्सा था। लेकिन तत्कालीन बंसीलाल सरकार के वक्त एक कार्यक्रम में हुए विवाद के बाद हरियाणा सरकार ने अपना हिस्सा हटा दिया था उसके बाद कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी बनी थी।

    महत्वपूर्ण फैसले लेने वाली सीनेट की सदस्यता भी अब हरियाणा के पास नहीं है। यदि हिस्सेदारी मिले तो मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और एसीएस एजुकेशन डिपार्टमेंट के साथ कुछ अन्य को भी सीनेट की सदस्यता मिल सकती है क्योंकि सीनेट ही यूनिवर्सिटी में अहम फैसले लेती है। हिस्सेदारी न होने से पंजाब के सदस्यों की संख्या ज्यादा बढ़ गई है।

    वहीं सदस्यता खत्म होने पर हरियाणा ने फंड देने भी बंद कर दिया था। अब हरियाणा 8 के बजाय  20 करोड़ रुपये तक देने को तैयार है। पूर्व में इसे लेकर कोर्ट में हरियाणा राज्य सरकार शपथ पत्र भी दे चुकी है। हालांकि पंजाब पीयू का पेरेंट्स स्टेट है इसलिए उसकी अप्रूवल जरूरी है लेकिन पंजाब सरकार सहमति नहीं दे रही है।