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    हरियाणा में DBT प्रणाली से रुका योजनाओं में फर्जीवाड़ा, गलत लाभ ले रहे 37 लाख फर्जी लाभार्थी पकड़े

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 08:37 PM (IST)

    हरियाणा में डीबीटी प्रणाली ने सरकारी योजनाओं में होने वाले फर्जीवाड़े को रोकने में सफलता पाई है। पिछले 11 सालों में लगभग 37 लाख ऐसे लोगों को पकड़ा गया है जो गलत तरीके से योजनाओं का फायदा उठा रहे थे जिससे 10 हजार करोड़ से अधिक की राशि गलत हाथों में जाने से बच गई।

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    हरियाणा में DBT प्रणाली से रुका योजनाओं में फर्जीवाड़ा (प्रतीकात्मक फोटो)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) सरकारी योजनाओं में फर्जीवाड़ा रोकने में सफल रहा है। पिछले 11 वर्षों में डीबीटी की मदद से करीब 37 लाख लोगों को पकड़ा गया है, जो गलत तरीके से योजनाओं का लाभ ले रहे थे। इस दौरान 10 हजार 187 करोड़ रुपये गलत हाथों में जाने से बचाए गए।

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    मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता में मंगलवार को आयोजित डीबीटी सलाहकार बोर्ड की चौथी बैठक में यह जानकारी सामने आई। मुख्य सचिव कहा कि डीबीटी से न केवल लाखों नागरिकों को समयबद्ध, पारदर्शी और प्रभावी तरीके से लाभ सुनिश्चित हुआ है बल्कि फर्जी और डुप्लीकेट लाभार्थियों की संख्या में भी खासी कमी आई है।

    इस उपलब्धि से रिसाव पर अंकुश लगाने और जवाबदेही बढ़ाने की राज्य सरकार की प्रतिबद्धता जाहिर होती है। उन्होंने बताया कि डीबीटी योजनाओं के माध्यम से प्रदेश सरकार ने अभी तक एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि हस्तांतरित की है। वित्त वर्ष 2024-25 में ही 14 करोड़ 82 लाख लेन-देन के माध्यम से दो करोड़ 78 लाख लाभार्थियों को 17 हजार 824 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए हैं।

    मुख्य सचिव ने कहा कि संबंधित नोडल अधिकारी राज्य डीबीटी पोर्टल पर लाभार्थी डेटा को नियमित रूप से अपडेट करें। साथ ही परिवार पहचान पत्र व आधार विवरण का सुचारू एकीकरण भी सुनिश्चित किया जाए ताकि सेवा वितरण में दक्षता, सटीकता और पारदर्शिता बढ़ाई जा सके। अब तक 26 विभागों द्वारा 156 डीबीटी योजनाएं राज्य पोर्टल पर अपलोड की गई हैं। इनमें 96 राज्य योजनाएं तथा 60 केंद्र प्रायोजित योजनाएं (सीएसएस) शामिल हैं।

    बैठक में सामाजिक न्याय, सशक्तीकरण, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण तथा अंत्योदय (सेवा) विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव जी अनुपमा, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के प्रधान सचिव डी सुरेश और वित्त विभाग के आयुक्त एवं सचिव मोहम्मद शाइन ने भी अपनी बात रखी।