हरियाणा में कॉन्स्टेबल के ट्रांसफर के लिए पोर्टल पर बतानी होगी जाति, दीप्रेंद्र हुड्डा ने BJP को घेरा
हरियाणा पुलिस में सिपाही और मुख्य सिपाही के ऑनलाइन तबादले शुरू हो गए हैं जिसके लिए 25 सितंबर तक आवेदन किया जा सकता है। पुलिस कर्मचारियों को तबादले के लिए अपनी जाति बतानी होगी जिसका कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने विरोध किया है। प्रतिनियुक्ति पर चल रहे पुलिसकर्मी तबादले के लिए पात्र नहीं हैं लेकिन प्रशिक्षण संस्थानों में अस्थायी ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी आवेदन कर सकते हैं।

राज्य ब्यूरो, जागरण। हरियाणा पुलिस में तैनात पुरुष सिपाही और मुख्य सिपाही के ऑनलाइन स्थानांतरण होंगे।
बृहस्पतिवार को ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो गई जो 25 सितंबर तक चलेगी। स्थानांतरण के लिए पुलिस कर्मचारियों को जाति भी बतानी पड़ेगी, जिसको लेकर विवाद शुरू हो गया है।
ऑनलाइन स्थानांतरण को लेकर पुलिस महानिदेशक कार्यालय की ओर से पलवल, नूंह, महेंद्रगढ़ और यमुनानगर के पुलिस अधीक्षकों और महानिरीक्षकों तथा गुरुग्राम, फरीदाबाद और पंचकूला के पुलिस उपायुक्तों और आयुक्तों को निर्देशित कर दिया गया है।
सिपाही और मुख्य सिपाही अपने मोबाइल नंबर के साथ पर जाकर अपने व्यक्तिगत विवरण जैसे यूनिट, यूनिक आइडी, नाम, लिंग, बेल्ट नंबर और जाति की जानकारी भरकर अधिकतम 10 जिलों की पसंद दर्ज कर अपना पंजीकरण कर सकते हैं।
उम्मीदवारों के लिए सभी 10 विकल्प भरना अनिवार्य नहीं है और वे अपनी सुविधा अनुसार कम विकल्प भी भर सकते हैं।
निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि ऐसे पुरुष पुलिसकर्मी जो जिला पुलिस के अलावा राज्य अपराध शाखा, सीआइडी, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, हरियाणा राज्य नशा नियंत्रण ब्यूरो, हरियाणा राज्य प्रवर्तन ब्यूरो और पुलिस मुख्यालय में प्रतिनियुक्ति या अस्थायी डयूटी पर तैनात हैं।
वह इस प्रक्रिया में भाग नही ले सकेंगे। प्रशिक्षण संस्थानों में अस्थायी ड्यूटी पर तैनात पुरुष पुलिसकर्मी इस ट्रांसफर ड्राइव में भाग ले सकते हैं।
दीप्रेंद्र हुड्डा ने क्यों जताया विरोध?
कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने सिपाही और मुख्य सिपाही के ऑनलाइन स्थानांतरण के लिए जाति पूछे जाने का विरोध करते हुए कहा कि इससे ज्यादा नकारात्मक और प्रदेश को शर्मसार करने वाला कदम नहीं हो सकता।
किसी भी अधिकारी और कर्मचारी की कोई जाति या धर्म नहीं होता, बल्कि इंसानियत और जनसेवा ही उनका धर्म होता है। सरकार बताए कि ऐसा फैसला किसके आदेश पर हुआ।
यदि डीजीपी के स्तर पर हुआ है तो उन्हें इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से त्यागपत्र देना चाहिए। यदि सत्ता शीर्ष से हुआ है तो मुख्यमंत्री इसका जवाब दें। कांग्रेस इस प्रकार के विभाजनकारी फैसले को लागू नहीं होने देगी।
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